वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ निर्विघ्नम कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा। ।

तेरे बिना यह दुनिया मुझको लगता बिल्कुल सुना है जब तू रहता है साथ तो खुशियां मिलती दुगुना है। ।

आप जहां रहते हैं धन- धान्य सुख-समृद्धि वहां स्वतः चली आती है कोई फिर ना दुख पाता दरिद्रता भी नष्ट हो जाती है। ।

गणपति है जग में सबसे निराला दुख के समय भी आपने संभाला। ।