श्रद्धा के फूल चढ़ाते चलो ये है गंगा नहाते चलो
तन ये दोबारा मिले ना मिले जीवन को पावन बनाते चलो
ये है गंगा नहाते चलो
इसने तारे लोभी ढोंगी ऋषि मुनियो को तारा
पाप हरिणी मोक्ष तारिणी इसकी निर्मल धरा
अमृत है माथे लगते चलो ये है गंगा नहाते चलो
ये है गंगा नहाते चलो
ब्रम्ह सुता गंगा कल्याणी भागीरथी संग आयी
गोमुख से गंगा सागर तक धरा बन लहराई
घट घट पे दिप जलाते चलो ये है गंगा नहाते चलो
ये है गंगा नहाते चलो
अंत समय तन राख में मिलके जब गंगा तट आये
ममता के आँचल में उसको गंगा गोद सुलाए
इस दर पे शीश नवाते चलो ये है गंगा नहाते चलो
ये है गंगा नहाते चलो
श्रद्धा के फूल चढ़ाते चलो ये है गंगा नहाते चलो
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