याद किया ना कभी श्याम को,
बस माया ही जोड़ी।
दोहा
धरती को अम्बर से जोड़े,
उसका नाम मोहब्बत है,
शीशे को पत्थर से तोड़े,
उसका नाम मोहब्बत है,
कतरा कतरा सागर तट को,
जाती है हर बूँद मगर,
बहता दरिया वापस मोड़े,
उसका नाम मोहब्बत है।
याद किया ना कभी श्याम को,
बस माया ही जोड़ी,
श्याम नाम धन सिवा साथ,
ना जाए फूटी कोड़ी,
श्याम भजले,
श्याम भजले,
श्याम भजले।।
श्याम नाम धन,
जो तू यहाँ कमाएगा,
कभी ना भूलों,
काम वहां वो आएगा,
अगर श्याम से प्यार नहीं है,
कुछ तेरा उस पार नहीं है,
जनम ही लेती फिरेगी फिर तो,
तेरी रूह निगोड़ी,
श्याम भजले,
श्याम भजले,
श्याम भजले।।
लोग तुझे बस,
मरघट तक ले जाएंगे,
चाहने वाले,
दो आँसू टपकाएंगे
कोई ना तेरे संग चलेगा,
चिता में हर एक अंग जलेगा,
जिस दिन क्रूर काल की,
सर पर आकर गिरे हथोड़ी,
श्याम भजले,
श्याम भजले,
श्याम भजले।।
मानवता भी रहे,
तुम्हारे सीने में,
सब में देखो श्याम,
मजा तब जीने में,
चखकर श्याम नाम रस पीले,
मत होने दे बंधन ढ़ीले,
ऐसे बाँधो ङोर पीत की,
कभी ना जाए तोड़ी,
श्याम भजले,
श्याम भजले,
श्याम भजले।।
क्यों सुख ढूँढ रहे हो,
आज जमाने में,
गंगाजल क्या मिलता है,
मैखाने में,
सच्चा सुख श्री श्याम शरण में,
इनके ही गुण यश वर्णन में,
‘गजेसिंह’ ने भजनों से,
भक्ति की बूँद निचोड़ी,
श्याम भजले,
श्याम भजले,
श्याम भजले।।
याद किया ना कभीं श्याम को,
बस माया ही जोड़ी,
श्याम नाम धन सिवा साथ,
ना जाए फूटी कोड़ी,
श्याम भजले,
श्याम भजले,
श्याम भजले।।
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