क्यों श्री हनुमान जी ने चीरा अपना सीना ?
भगवान राम जब रावण पर विजय प्राप्त करके वापिस आने के बाद उनका धूम धाम से उनका राज्याभिषेक किया गया,,, जिसके बाद शांति से अपना राजपाठ सम्भालने लगे,,, जिसे आज हम रामराज्य के नाम से जानते हैं,,,ऐसे ही एक दिन रामदरबार सजा हुआ था,,, सभी देश दुनिया की बातें कर रहें थे,,,सभा के एक तरफ़ विभीषण और बाक़ी के ज्ञानी लोग बैठे थे तो सभा के दूसरी ओर सुग्रीव और उनकी वानर सेना बैठी थी,,, और हनुमान जी हमेशा की तरह अपने प्रभु श्रीराम के चरणो में बैठे थे,,, तभी माता सीता ने हनुमान जी की भक्ति भाव से प्रसन्न होकर उन्हें एक मणि माणिक्य से सजी हुई हार भेंट करती हैं,,,ये हार सबसे पहले विभीषण ने प्रभु श्रीराम को भेंट दिया था,,, जिसे बाद में प्रभु राम ने माता सीता को प्रेम स्वरूप ये हार भेंट किया था,,, और अंततः माता सीता ने इसे अपने सबसे प्रिय भक्त हनुमान को भेंट किया,,,
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माला मिलने के बाद हनुमान जी ने उसे गौर से देखा,,, जिसके बाद उन्हें संतुष्टि नहीं हुई तो वो थोड़ी दूरी पर जाकर माला को और ध्यान से देखने लगे जैसे वो उसमें कुछ ढूँढ रहे हों,,, लेकिन कुछ ख़ास चीज़ ना मिलने पर हनुमान जी ने उस माला को तोड़ना शुरू कर दिया और उसके एक एक मोती को बड़े ही गौर से निहारने लगे,,,, और सभी मोती को गौर से देखने के बाद वो उसे तोड़कर तोड़कर फेकने लगे ऐसा करते हुए हनुमान जी ने उस माला को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया था,,, ये सब दरबार में उपस्थित लोगों ने देखा तो सब के सब दंग रह गए, और बड़े ही आश्चर्य भाव से सोचने लगे कि राम भक्त हनुमान जी ने माता सीता के दिए भेंट के साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया,,,
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जब हनुमान जी मोती तो तोड़ कर फेंक रहे थे तब विभीषण क्रोध से तप रहे थे,,,और मन ही मन सोच रहें थे कि इस वानर को इस हार की क़ीमत का कोई अंदाज़ा है भी या नहीं जो वो इस बेशक़ीमती हार को तोड़े जा रहा है,,,हनुमान जी इस कृत्य को लक्ष्मण जी भी देख रहें थे,,, उन्होंने जब अपनी नज़रें भगवान राम की तरफ़ की तो उन्होंने देखा कि भगवान राम हनुमान जी को देखकर मन ही मन मुस्कुरा रहें हैं,,, तब लक्ष्मण जी ने बड़े ही आश्चर्य से पूछा की ये क्या भय्या उधर हनुमान जी माता सीता के भेंट उस बेशक़ीमती हार को तोड़े जा रहें हैं और आप उन्हें रोकने के बजाय मुस्कुरा रहें हैं, आख़िर इसके पीछे का भेद क्या हैं???
जिसके बाद भगवान राम बोले, हे लक्ष्मण,,, हनुमान जी वानरों में सबसे श्रेष्ठ हैं,, इसलिए उन्होंने ये कुछ सोच समझकर ही ऐसा किया होगा,,, इसलिए मैं इस बारे में कुछ नहीं कह सकता और मुझे सच में इसका कारण नहीं पता,,, इसलिए तुम्हें इस जिज्ञासा का उत्तर हनुमान से ही मिलेगा,,, भगवान राम की बातें सुनकर लक्ष्मण जी और विभीषण ने हनुमान से प्रश्न किया कि तब हनुमान जी ने बड़े ही भोलेपन से सबको जबाब दिया कि
मेरे लिए हर वो वस्तु व्यर्थ है जिसमें मेरे प्रभु राम का नाम ना हो,,, मैंने यह हार अमूल्य समझ कर लिया था, लेकिन जब मैनें इसे देखा तो पाया कि इसमें कहीं भी राम-नाम नहीं है,,, उन्होंने कहा मेरी समझ से कोई भी अमुल्य वस्तु राम के नाम के बिना अमूल्य हो ही नहीं सकती,,, अतः उसे त्याग देना चाहिए,,,यह बात सुनकर लंकापती विभीषण बोले ‘आपके शरीर पर भी तो राम का नाम नहीं है तो इस शरीर को क्यों रखा है? इस शरीर को भी त्याग दो? विभीषण की बात सुनकर हनुमान ने अपने सीनी को तेज नाखूनों से फाड़ दिया और उसे विभीषण को दिखाया,,, जिसमें श्रीराम और माता सीता दिखाई दिए,,, यह घटना देख कर लक्ष्मण जी इस बात से आश्चर्यचकित रह गए, और उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ,,,
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तो भक्तों ये थी हनुमान जी के सीना चीरने की कथा आपको ये कथा कैसी लगी, हमें कमेंट करके जरूर बताएं
Why did Shri Hanuman ji cut his chest ?
When Lord Ram returned after defeating Ravana, he was coronated with great fanfare,,, after which he started handling his kingdom peacefully,,, which we know today as Ramrajya,,, one such day Ramdarbar was decorated,,, all the countries were talking about the world,,, Vibhishan and other wise people were sitting on one side of the assembly and on the other side of the assembly Sugriva and his monkey army were sitting,,, and Hanuman ji always Like sitting at the feet of our Lord Shri Ram,,, then mother Sita, pleased with the devotion of Hanuman ji, presents him a necklace decorated with a gem,,, this necklace was first presented to Lord Shri Ram by Vibhishan. ,,, Which was later gifted by Lord Rama to Mother Sita as a form of love,,, and finally Mother Sita presented it to her dearest devotee Hanuman,,,
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After getting the garland, Hanuman ji looked at it carefully,,, after which he was not satisfied, so he went a little distance and started looking at the garland more carefully as if he was looking for something in it,,, but did not find anything special. Hanuman ji started breaking that garland and started looking at each pearl very carefully, When the people present in the court saw all this, everyone was stunned, and started thinking with great surprise that why Ram devotee Hanuman ji behaved like this with the gift given by Mother Sita. did,,,
When Hanuman ji was breaking the pearl and throwing it, then Vibhishan was burning with anger,,, and he was thinking in his mind whether this monkey has any idea of the value of this necklace or not, that he could break this priceless necklace. Hanuman ji was also watching this act of Laxman ji,,, when he turned his eyes towards Lord Ram, he saw that Lord Ram was smiling in his heart after seeing Hanuman ji,,, then Laxman ji Asked with great surprise, what is this fear, on the other side, Hanuman ji is breaking that priceless necklace gifted to Mother Sita and instead of stopping them, you are smiling, what is the difference behind this???
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After which Lord Ram said, O Lakshman,,, Hanuman ji is the best among monkeys,,, so he must have done this after some thinking,,, that's why I can't say anything about this and I really don't know the reason ,,, That's why you will get the answer of this curiosity from Hanuman only,,, After listening to the words of Lord Ram, Laxman ji and Vibhishan asked Hanuman that then Hanuman ji answered very innocently that
Everything is useless for me, which does not have the name of my Lord Ram,,, I had considered this necklace as priceless, but when I saw it, I found that there is no name of Ram anywhere in it,,, they said my understanding. No priceless thing can be priceless without the name of Ram,,, so it should be abandoned ? Abandon this body too? After listening to Vibhishan, Hanuman tore his chest with sharp nails and showed it to Vibhishan,,, in which Shri Ram and Mata Sita appeared,, Lakshman ji was surprised to see this incident, and he realized his mistake. realized,
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So devotees this was the story of Hanuman ji tearing his chest , Thank you for the time,,, See you in the next new story.
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