अहोई अष्टमी का व्रत करवा चौथ के 4 दिन के बाद रखा जाता है। करवा चौथ पर महिलााएं पति की दीर्घायु की कामना के लिए व्रत करती हैं तो अहोई अष्टमी पर संतान की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत करती हैं। रात में तारों को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करती हैं और फिर जल ग्रहण करती हैं। यह व्रत अहोई मैय्या को समर्पित होता है। इस साल 17 अक्टूबर को यह व्रत किया जाएगा। पंचांग के अनुसार, इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। मान्यता है कि इस योग में संतान की दीर्घायु के लिए रखा गया व्रत विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। आइए आपको बताते हैं इस व्रत से जुड़ी मान्यताएं, महत्व और पूजाविधि व शुभ मुहूर्त।
अहोई अष्टमी तिथि कब से कब तक
हिंदू पंचांग के अनुसार, 17 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 29 मिनट से कार्तिक कृष्ण अष्टमी का आरंभ हो रहा है। अष्टमी तिथि का समापन 18 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 57 मिनट पर होगा। इसलिए उदया तिथि की मान्यता के अनुसार यह व्रत 17 अक्टूबर को रखा जाना सर्वमान्य है।
अहोई अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त
अहोई अष्टमी पूजा कब से कब तक : शाम 5 बजकर 50 मिनट से 7 बजकर 05 मिनट तक
तारों के दिखने का समय : शाम 6 बजकर 13 मिनट पर
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