क्या है रावण के दस सिर होने का रहस्य
रावण हूँ मैं रावण दशानन रावण
ये लाइन आपने कई बार सुनी होगी लेकिन ये बहुत कम लोगों को पता है कि रावण के दस सिर कैसे प्रकट हुए थे,
तो भक्तों इस कहानी कि शुरुआत होती है उस समय से जब रावण पहली बार भगवान शिव की तपस्या कर रहा होता है,
हज़ारों वर्षों तक तपस्या करने के पश्चात भी भगवान शिव रावण से प्रसन्न नहीं होते हैं क्योंकि भगवान शिव रावण की भक्ति की परीक्षा लेने चाहते थे, तभी एक दिन रावण भक्ति भाव में इतना डूब जाता है कि वो देवों के देव महादेव को खुश करने के लिए अपने सिर की आहुति देने का निश्चय करता है, और भक्ति भाव में वो भगवान भोलेनाथ को स्मरण करते हुए अपने सिर को अपने शरीर से काटकर अलग कर देता है, लेकिन हैरान की बात तब हो जाती है जब सिर काटने के बाद भी रावण की मृत्यु होने के बजाय वो जीवित ही रहता है, और भोलेनाथ कि कृपा से उसका दूसरा सिर प्रकट हो जाता है, लेकिन रावण किसी भी तरह से भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहता था, इसलिए वो अपने दूसरे प्रकट हुए सिर को भी भगवान भोलेनाथ की भक्ति में अर्पित कर देता है लेकिन इसके बाद फिर से रावण के शरीर में एक और सिर प्रकट हो जाता है, जिसे रावण फिर से काट देता है ऐसा करते करते रावण 9 बार अपने सिर को काट देता है और वो दसवी बार प्रकट हुए सिर को भी वो काटने ही वाला होता है कि तभी भगवान भोलेनाथ उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर प्रकट हो जाते हैं और उसे उसका सिर काटने से रोक देते हैं, रावण की भक्ति से प्रस्सन होकर सबसे पहले तो भगवान भोलेनाथ उसके सभी कटे हुए सिरों को पुनः जीवित करके रावण को दशानन होने का वरदान देते हैं और रावण कि इक्षा पूरी करने के बाद वहाँ से पुनः कैलाश को विलीन हो जाते हैं इसी दिन से रावण भगवान शिव का परम भक्त कहलाने लगा खाटू श्याम जी का मधुर भजन: जब जब भी पुकारोगे मेरा श्याम आएगा
लेकिन रावण के दस सिर को लेकर कुछ लोगों का बिल्कुल अलग मानना है,,, इसे लेकर कुछ लोग मानते हैं कि
रावण के 10 सिर नहीं थे। वह 10 सिर हाने का भ्रम पैदा करता था, इसलिए दशानन कहलाता था। जैन शास्त्रों के अनुसार, रावण के गले में 9 मणियों की माला थी, उन मणियों में उसका सिर दिखता था जिससे दूसरों को 10 सिर होने का भ्रम पैदा हो जाता था,, दशानन को लेकर कुछ लोग ये भी मानते हैं कि रावण बहुत विद्वान था, उसे 6 दर्शन और 4 वेद कंठस्थ थे, इसलिए उसका नाम दसकंठी भी था। और बाद में दसकंठी को ही लोगों ने दस सिर मान लिया
आइए जाते जाते आपको रावण के दस सिर किस प्रतीक से जुड़े हैं वो भी बता ही देते हैं,,,रावण का पहला सिर रावण काम, दूसरा क्रोध, तीसरा लोभ, चौथा मोह, पांचवां गौरव, छठां ईर्ष्या, सातवां मन, आठवां ज्ञान, नौवां चित्त और दसवां अहंकार के प्रतीक माने जाते हैं,,, खाटू श्याम जी का मधुर भजन: जहां ले चलोगे वहीँ मैं चलूंगी
तो भक्तों ये थी रावण की दशानन होने की कथा आपको ये कथा कैसी लगी, हमें कमेंट करके जरूर बताएंतबतक के लिए धन्यवाद मिलते हैं अगली किसी नई कथा में।
what is the secret of Ravana having ten heads
I am Ravan, I am Ravan Dashanan Ravan
You must have heard this line many times but very few people know that how the ten heads of Ravana appeared.
So devotees, this story begins from the time when Ravana is doing penance to Lord Shiva for the first time,
Lord Shiva is not pleased with Ravana even after doing penance for thousands of years because Lord Shiva wanted to test Ravana's devotion, then one day Ravana gets so immersed in devotion that he goes to please Mahadev, the God of Gods. He decides to sacrifice his head, and in devotion he remembers Lord Bholenath and separates his head from his body, but to his surprise, Ravana dies even after beheading. Instead of dying, he remains alive, and by the grace of Bholenath, his second head appears, but Ravana wanted to please Lord Shiva by any means, so he also killed his second manifested head in devotion to Lord Bholenath. He offers it, but after this another head appears again in Ravana's body, which Ravana cuts off again. He is about to be bitten when Lord Bholenath appears pleased with his devotion and stops him from beheading Ravana. Pleased with devotion, Lord Bholenath first revives all his severed heads and gives Ravana a boon to appear and after fulfilling Ravana's wish, merges again in Kailash from there. came to be called the supreme devotee Sweet hymn of Khatu Shyam ji: Jab Jab Bhi Pukaroge Mera Shyam Aayega
But some people have a completely different belief about the ten heads of Ravana, some people believe that
Ravana did not have 10 heads. He used to create the illusion of losing 10 heads, hence was called Dashanan. According to Jain scriptures, Ravana had a garland of 9 gems around his neck, his head was visible in those gems, due to which others got confused about having 10 heads, some people also believe that Ravana was very scholar. , He had 6 Darshans and 4 Vedas by heart, hence his name Dasakanthi. And later, people considered Daskanthi as ten heads.
Let us tell you with which symbols the ten heads of Ravana are connected,,,, the first head of Ravana is lust, second anger, third greed, fourth fascination, fifth pride, sixth jealousy, seventh mind, eighth knowledge, The ninth mind and the tenth are considered symbols of the ego. Sweet hymn of Khatu Shyam ji: Jaha Le Chaloge Vahi Main Chalungi
So devotees, this was the story of Ravana appearing, how did you like this story, do tell us by commenting, thank you till then see you in the next new story.
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