विश्वकर्मा जयंती : कैसे करें पूजा, सरल पूजन विधि
भगवान विश्वकर्मा की पूजा और यज्ञ विशेष विधि-विधान से होता है।
इसकी विधि यह है कि यज्ञकर्ता स्नानादि-नित्यक्रिया से निवृत्त होकर पत्नी सहित पूजास्थान में बैठें।
इसके बाद विष्णु भगवान का ध्यान करें।
तत्पश्चात् हाथ में पुष्प, अक्षत लेकर-
ॐ आधार शक्तपे नम: और ॐ कूमयै नम:; ॐ अनंतम् नम:, ॐ पृथिव्यै नम:
ऐसा कहकर चारों ओर अक्षत छिड़कें और पीली सरसों लेकर दिग्बंधन करें।
अपने रक्षासूत्र बांधें एवं पत्नी को भी बांधें।
पुष्प जलपात्र में छोड़ें।
इसके बाद हृदय में भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करें।
रक्षादीप जलाएं, जलद्रव्य के साथ पुष्प एवं सुपारी लेकर संकल्प करें।
शुद्ध भूमि पर अष्टदल कमल बनाएं। उस स्थान पर सप्त धान्य रखें। उस पर मिट्टी और तांबे का जल डालें।
इसके बाद पंचपल्लव, सात तरह की मिट्टी, सुपारी, दक्षिणा कलश में डालकर कपड़े से कलश का आच्छादन करें।
चावल से भरा पात्र समर्पित कर ऊपर विश्वकर्मा बाबा की मूर्ति स्थापित करें और वरुण देव का आह्वान करें।
पुष्प चढ़ाकर कहना चाहिए- हे विश्वकर्मा जी, इस मूर्ति में विराजिए और मेरी पूजा स्वीकार कीजिए। इस प्रकार पूजन के बाद विविध प्रकार के औजारों और यंत्रों आदि की पूजा कर हवन यज्ञ करें।
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