Current Date: 20 Nov, 2024

ऊँचे ऊँचे पर्वत

- संजय गिरी


ऊँचे ऊँचे पर्वत पर है मैया का दरबार
सिंह सवारी बैठी माँ की महिमा बड़ी अपार,
शेरोवाली करे ज्योता वाली करे भगतो से प्यार।।

मन की मुरादे लेकर के जो माँ के दर पे आते
खुशियों से भरती माँ झोली खाली न वो जाते
मुह माँगा वरदान माँ देती भर देती भण्डार
कर देती माँ वारे न्यारे माँ की शक्ति अपार
शेरोवाली करे ज्योता वाली करे भगतो से प्यार।।

अपने भगत की हर इक अर्जी करती माँ सुनवाई
अरे किस को क्या है कब देना जाने सब महामाई
अपने भगत का कर देती माँ भव् से बेडा पार
अष्टभुजी जग जननी माता शक्ति का अवतार
शेरोवाली करे ज्योता वाली करे भगतो से प्यार।।

गिरी तू करले माँ की सेवा माँ ही तुझे बचाए
अरे बीच भवर में तेरी नैया माँ ही पार लगाये
माँ के नाम की ज्योत जला ले जीवन ले तू सवार
एक आये एक जाए याहा से छोड़ न ये संसार
शेरोवाली करे ज्योता वाली करे भगतो से प्यार।।

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