Current Date: 21 Nov, 2024

ऊंचा पर्वत थी, आवो ने भैरूजी भजन

- Traditional


उंचा पर्वत थी आवो ने भैरूजी,
दुखड़ा म्हारा थे दादा निवारजो ।
रूमझूम रूमझूम करता थे आवो,
नावड़ी म्हारी थे पार उतारजो ।।
उंचा पर्वत थी आवो ने भैरूजी...

आओ टाबरिया ऊपर, करुणा बरसावजो,
कृपा करजो थे दादा, मत तरसावजो ।
नावड़ी डूबे हैं म्हारी, पार लगावजो,
दुखड़ा म्हारा थे दादा निवारजो ।।
उंचा पर्वत थी आवो ने भैरूजी...

आधी-व्याधि थे म्हारी, हरजो जग रा देव,
मन री मुरादों पूरी, करजो म्हारा देव ।
भुला भटका मैं, शरण मे आयो,
दुखड़ा म्हारा थे दादा निवारजो ।।
उंचा पर्वत थी आवो ने भैरूजी...

खाली झोली नैन री, भरजो भैरूजी,
भक्तों री आशा पूरी, करजो भेरूजी ।
नाकोड़ा दरबार ने, घना याद करे हैं,
दुखड़ा म्हारा थे दादा निवारजो ।।
उंचा पर्वत थी आवो ने भैरूजी...

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