Current Date: 17 Nov, 2024

तुमसे कन्हैया मेरी प्रीत पुरानी

- संजय मित्तल जी।


तुमसे कन्हैया मेरी प्रीत पुरानी,
परख ना पाये ये दुनिया दीवानी,
तुमसे कन्हैया मेरी प्रीत पुरानी।।

तर्ज – परदेसियों से ना अँखियाँ।

पथ में है कांटे रेन अँधेरी,
दिल को लगी है ठेस घनेरी,
कौन सुनेगा गम की कहानी,
तुमसे कन्हैया मेरी प्रीत पुरानी।।

नज़रे तुम्हारे दर पे भी छाई,
मुझको ना भायी तेरी जुदाई,
पंक्षी है प्यासा और पास ना पानी,
तुमसे कन्हैया मेरी प्रीत पुरानी।।

कौन जो मुझको धीर बँधाये,
चैन ना पाये दिल रो रो के गाये,
मुश्किल हो गई ‘शिव’ को निभानी,
तुमसे कन्हैया मेरी प्रीत पुरानी।।

तुमसे कन्हैया मेरी प्रीत पुरानी,
परख ना पाये ये दुनिया दीवानी,
तुमसे कन्हैया मेरी प्रीत पुरानी।।

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