बाबा तेरा तोरण द्वार जन्नत का द्वारा लागे -२
बाबा तेरा ........................
निकलू घर से जब में तस्वीर तेरी आखो में मेरे आसान हो जाता सफर
संग संग जब तू चले है मेरे दिखे दूर से जब तोरण द्वारा निकले मुँह से तेरा जयकारा
बाबा तेरा तोरण द्वार से निकलकर पंहुचा में श्याम कुंड स्नान करके
मेने इसमें धो लिए सारे अवगुण
हो जाती है चंचल काया देखे नजारा मन हरसाया अद्भुत है यहाँ का नजारा
बाबा तेरा तोरण द्वार जन्नत का नजारा लागे है
श्याम कुंड से होकर पंहुचा में श्याम बगीची के द्वार
महकी राह है पूरा चमन फूल खिले मोसमे बहार इतने सारे फूल है इस बगीचे के आँगन में
बाबा तुम्हारे भेज दे एक फूल अंगना में मेरे बाबा तेरा तोरण द्वार जन्नत का द्वार लागे
आयी घडी मिलन की अब करना कभी न मुझको जुड़ा हमेशा राहु में
तुझसे जुड़ा डोर से इ तू बांध ले बाबा तेरा तिरण द्वार जन्नत का द्वार लागे बाबा तेरा
बाबा से मिलके निकला जब खाटू की गलियों में घुमा और मिटटी मेरे
खाटू धाम की खुशबू बिखरे है चारो और तोरण द्वार मेरे अब में घर को अब ले कहे
जय बाबा तेरा तोरण द्वार जन्नत का द्वार लागे
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