छठ पूजा के महीने भर पहले से घर की सफाई होने लगती है । पूजाघर की पुताई करा कर एक कमरा व्रती ( जो छठ का व्रत रखे ) के लिए आरक्षित कर दिया जाता है ।
बाजार से गेंहूँ लाकर धोए सुखाये जाते हैं । गेंहूँ सूखने के दौरान कोई न कोई बच्चा या बुजुर्ग पूरे समय बैठा पहरा देता है । ये इसलिए कि कोई जैसे - तैसे हाथों से छू न दे ; चिड़िया न चोंच मार दे, वरना गेंहूँ फिर से धोने पड़ेंगे ।
आटा चक्की वाले 2 -3 दिन अपना प्रांगण और मशीन धो- पोंछ कर साफ रखते हैं । उन दिनों वे केवल छठपूजा के लिये धुले गेंहूँ की पिसाई करते हैं ।
अब ये आटा तैयार है ठेकुआ बनाने के लिए ।
विधि - जितना खस्ता ठेकुआ बनाना है ,उस हिसाब से परात में आटा लेकर उसमें घी का मोयन डालें । अच्छी तरह मिला लें । फिर किशमिश , कतरा हुआ नारियल और छुहारा , सौंफ ,इलायची के दाने , आदि हल्का कूट कर मिला लें । गुड़ को जरा से पानी में पिघला कर ठंडा कर लें । थोड़ा - थोड़ा कर उपयुक्त मात्रा में गुड़ मिला लें ।
अब थोड़ा थोड़ा दूध डालते हुए सख्त गूंधें । अब ठेकुआ का साँचा लें । उसपर घी हल्के हाथों से मल दें ताकि लोई चिपके नहीं ।
अब आटे की छोटी- छोटी लोइयाँ बनाकर सांचे पर रख हल्के हाथों से दबा कर चपटा आकार दें ।
इस तरह ठेकुआ तैयार करके सूप में रखते जाएं । तेज आंच में एक गहरी कड़ाही में घी गर्म करें । घी के गरम होते ही आंच मद्धम कर दें । 4 - 6 ठेकुआ डालकर दोनों तरफ से सुनहरा होने तक तल लें । इसी तरह सभी ठेकुआ तल लें । अब प्रसाद हेतु ठेकुआ तैयार है ।
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