Current Date: 18 Nov, 2024

तेरे धाम आ गया हूँ

- उमा लहरी जी।


चलते चलते तेरे धाम आ गया हूँ,
मेरे श्याम आ गया हूँ,
थक हार चलते चलते,
सरे राह चलते चलते,
तेरे धाम आ गया हूँ,
मेरे श्याम आ गया हूँ,
थक हार चलते चलते,
सरे राह चलते चलते।।

तर्ज – चलते चलते यूँही कोई।


जिन्हे उम्र सारी सींचा,
जिन्हे उम्र सारी सींचा,
अरमानो के लहू से,
मेरे दिल के इस लहू से,
वो ही नश्तर, वो ही नश्तर,
दे रहे है वो ही खंजर दे रहे है,
सरे राह चलते चलते,
सरे राह चलते चलते,
तेरे धाम आ गया हूँ,
मेरे श्याम आ गया हूँ,
थक हार चलते चलते,
सरे राह चलते चलते।।


ये ही सोच थी की देखूं,
उन्हें हसते खिलखिलाते,
‘लहरी’ हसते खिलखिलाते,
अब वो ही अब वो ही,
अब वो ही है रुलाते,
कहाँ जाऊँ चलते चलते,
कहाँ जाऊँ चलते चलते,
तेरे धाम आ गया हूँ,
मेरे श्याम आ गया हूँ,
थक हार चलते चलते,
सरे राह चलते चलते।।


चलते चलते तेरे धाम आ गया हूँ,
मेरे श्याम आ गया हूँ,
थक हार चलते चलते,
सरे राह चलते चलते,
तेरे धाम आ गया हूँ,
मेरे श्याम आ गया हूँ,
थक हार चलते चलते,
सरे राह चलते चलते।।

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