टाबरिया बैठा है,
जो देणो है सो बाँट दे।।
तर्ज – सांवरियो बैठ्यो है।
दूर दूर से दौड़ दौड़ के,
द्वार तुम्हारे आए,
ये सब बालक तेरे बाबा,
कोई नहीं पराए,
बोले जय जयकार रात दिन,
तेरा ही गुण गाए,
बात बात में खर्चो लागे,
मांगण ने कित जावे,
हाँ मांगण ने कित जावे,
टाबरिया बैठ्या है,
कड़की को फंदो काट दे,
टाबरिया बैठ्या है,
जो देणो है सो बाँट दे।।
दीनानाथ दया का सागर,
जाणे दुनिया सारी,
साँची कहणो पाप नहीं है,
सुणलो बात हमारी,
मैं हाँ पक्का ग्रहस्ती बाबा,
ना कोई श्यामि मोड़ा,
खाली झोली भरे बिना म्हे,
आज तने नहीं छोड़ा,
हाँ आज तने नहीं छोड़ा,
टाबरिया बैठ्या है,
तू हंस के दे या डांट दे,
टाबरिया बैठ्या है,
जो देणो है सो बाँट दे।।
विनती करके हार गया सब,
बजा बजा के ताली,
अर्जी सुणल्यो बालाजी,
म्हारी जेब पड़ी है खाली,
बलशाली तू दानी कुहावे,
थारे क्या को घाटों,
भर्या खजाना खोल बिहारी,
चाहे जितना बांटों,
टाबरिया बैठ्या है,
जीवन में आनंद डाल दे,
टाबरिया बैठ्या है,
जो देणो है सो बाँट दे।।
टाबरिया बैठा है,
जो देणो है सो बाँट दे।।
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