M:- श्री गणेशाय नमः श्री जानकी वल्लभो विजयते
श्री राम चरित मानसः पंचम सोपान सुंदरकांड
मंगलाचरण शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं।
ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम्॥
रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं।
वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूडामणिम्॥१॥
नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीये
सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा॥
भक्तिं प्रयच्छ रघुपुंगव निर्भरां मे।
कामादिदोषरहितं कुरु मानसं च॥२॥
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं।
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्॥
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं।
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥३॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
M:- मंगल भवन के मंगल हारी के जय सिया राम
द्रवहु सुदसरथ अचर बिहारी के जय सिया राम
जामवंत के बचन सुहाए के जय सिया राम
सुनि हनुमंत हृदय अति भाए के जय सिया राम
तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई के जय सिया राम
सहि दुख कंद मूल फल खाई के जय सिया राम
जब लगि आवौं सीतहि देखी के जय सिया राम
होइहि काजु मोहि हरष बिसेषी के जय सिया राम
यह कहि नाइ सबन्हि कहुँ माथा के जय सिया राम
चलेउ हरषि हियँ धरि रघुनाथा के जय सिया राम
सिंधु तीर एक भूधर सुंदर के जय सिया राम
कौतुक कूदि चढ़ेउ ता ऊपर के जय सिया राम
बार-बार रघुबीर सँभारी के जय सिया राम
तरकेउ पवनतनय बल भारी के जय सिया राम
जेहिं गिरि चरन देइ हनुमंता के जय सिया राम
चलेउ सो गा पाताल तुरंता के जय सिया राम
जिमि अमोघ रघुपति कर बाना के जय सिया राम
एही भाँति चलेउ हनुमाना के जय सिया राम
जलनिधि रघुपति दूत बिचारी के जय सिया राम
तैं मैनाक होहि श्रम हारी के जय सिया राम
॥दोहा 1॥
हनूमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम।
राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 2॥
M:- जात पवनसुत देवन्ह देखा के जय सिया राम
जानैं कहुँ बल बुद्धि बिसेषा के जय सिया राम
सुरसा नाम अहिन्ह कै माता के जय सिया राम
पठइन्हि आइ कही तेहिं बाता के जय सिया राम
आजु सुरन्ह मोहि दीन्ह अहारा के जय सिया राम
सुनत बचन कह पवनकुमारा के जय सिया राम
राम काजु करि फिरि मैं आवौं के जय सिया राम
सीता कइ सुधि प्रभुहि सुनावौं के जय सिया राम
तब तव बदन पैठिहउँ आई के जय सिया राम
सत्य कहउँ मोहि जान दे माई के जय सिया राम
कवनेहुँ जतन देइ नहिं जाना के जय सिया राम
ग्रससि न मोहि कहेउ हनुमाना के जय सिया राम
जोजन भरि तेहिं बदनु पसारा के जय सिया राम
कपि तनु कीन्ह दुगुन बिस्तारा के जय सिया राम
सोरह जोजन मुख तेहिं ठयऊ के जय सिया राम
तुरत पवनसुत बत्तिस भयऊ के जय सिया राम
जस जस सुरसा बदनु बढ़ावा के जय सिया राम
तासु दून कपि रूप देखावा के जय सिया राम
सत जोजन तेहिं आनन कीन्हा के जय सिया राम
अति लघु रूप पवनसुत लीन्हा के जय सिया राम
बदन पइठि पुनि बाहेर आवा के जय सिया राम
मागा बिदा ताहि सिरु नावा के जय सिया राम
मोहि सुरन्ह जेहि लागि पठावा के जय सिया राम
बुधि बल मरमु तोर मैं पावा के जय सिया राम
॥दोहा 2॥
राम काजु सबु करिहहु तुम्ह बल बुद्धि निधान।
आसिष देइ गई सो हरषि चलेउ हनुमान॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 3॥
M:- निसिचरि एक सिंधु महुँ रहई के जय सिया राम
करि माया नभु के खग गहई के जय सिया राम
जीव जंतु जे गगन उड़ाहीं के जय सिया राम
जल बिलोकि तिन्ह कै परिछाहीं के जय सिया राम
गहइ छाहँ सक सो न उड़ाई के जय सिया राम
एहि बिधि सदा गगनचर खाई के जय सिया राम
सोइ छल हनूमान कहँ कीन्हा के जय सिया राम
तासु कपटु कपि तुरतहिं चीन्हा के जय सिया राम
ताहि मारि मारुतसुत बीरा के जय सिया राम
बारिधि पार गयउ मतिधीरा के जय सिया राम
तहाँ जाइ देखी बन सोभा के जय सिया राम
गुंजत चंचरीक मधु लोभा के जय सिया राम
नाना तरु फल फूल सुहाए के जय सिया राम
खग मृग बृंद देखि मन भाए के जय सिया राम
सैल बिसाल देखि एक आगें के जय सिया राम
ता पर धाइ चढ़ेउ भय त्यागें के जय सिया राम
उमा न कछु कपि कै अधिकाई के जय सिया राम
प्रभु प्रताप जो कालहि खाई के जय सिया राम
गिरि पर चढ़ि लंका तेहिं देखी के जय सिया राम
कहि न जाइ अति दुर्ग बिसेषी के जय सिया राम
अति उतंग जलनिधि चहु पासा के जय सिया राम
कनक कोट कर परम प्रकासा के जय सिया राम
॥छन्द 1॥
कनक कोटि बिचित्र मनि कृत सुंदरायतना घना।
चउहट्ट हट्ट सुबट्ट बीथीं चारु पुर बहु बिधि बना॥
गज बाजि खच्चर निकर पदचर रथ बरूथन्हि को गनै।
बहुरूप निसिचर जूथ अतिबल सेन बरनत नहिं बनै॥१॥
बन बाग उपबन बाटिका सर कूप बापीं सोहहीं।
नर नाग सुर गंधर्ब कन्या रूप मुनि मन मोहहीं॥
कहुँ माल देह बिसाल सैल समान अतिबल गर्जहीं।
नाना अखारेन्ह भिरहिं बहुबिधि एक एकन्ह तर्जहीं॥२॥
करि जतन भट कोटिन्ह बिकट तन नगर चहुँ दिसि रच्छहीं।
कहुँ महिष मानुष धेनु खर अज खल निसाचर भच्छहीं॥
एहि लागि तुलसीदास इन्ह की कथा कछु एक है कही।
रघुबीर सर तीरथ सरीरन्हि त्यागि गति पैहहिं सही॥३॥
॥दोहा 3॥
पुर रखवारे देखि बहु कपि मन कीन्ह बिचार।
अति लघु रूप धरों निसि नगर करौं पइसार॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 4॥
M:- मसक समान रूप कपि धरी के जय सिया राम
लंकहि चलेउ सुमिरि नरहरी के जय सिया राम
नाम लंकिनी एक निसिचरी के जय सिया राम
सो कह चलेसि मोहि निंदरी के जय सिया राम
जानेहि नहीं मरमु सठ मोरा के जय सिया राम
मोर अहार जहाँ लगि चोरा के जय सिया राम
मुठिका एक महा कपि हनी के जय सिया राम
रुधिर बमत धरनीं ढनमनी के जय सिया राम
पुनि संभारि उठी सो लंका के जय सिया राम
जोरि पानि कर बिनय ससंका के जय सिया राम
जब रावनहि ब्रह्म बर दीन्हा के जय सिया राम
चलत बिरंच कहा मोहि चीन्हा के जय सिया राम
बिकल होसि तैं कपि कें मारे के जय सिया राम
तब जानेसु निसिचर संघारे के जय सिया राम
तात मोर अति पुन्य बहूता के जय सिया राम
देखेउँ नयन राम कर दूता के जय सिया राम
॥दोहा 4॥
तात स्वर्ग अपबर्ग सुख धरिअ तुला एक अंग।
तूल न ताहि सकल मिलि जो सुख लव सतसंग॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 5॥
M:- प्रबिसि नगर कीजे सब काजा के जय सिया राम
हृदयँ राखि कोसलपुर राजा के जय सिया राम
गरल सुधा रिपु करहिं मिताई के जय सिया राम
गोपद सिंधु अनल सितलाई के जय सिया राम
गरुड़ सुमेरु रेनु सम ताही के जय सिया राम
राम कृपा करि चितवा जाही के जय सिया राम
अति लघु रूप धरेउ हनुमाना के जय सिया राम
पैठा नगर सुमिरि भगवाना के जय सिया राम
मंदिर मंदिर प्रति करि सोधा के जय सिया राम
देखे जहँ तहँ अगनित जोधा के जय सिया राम
गयउ दसानन मंदिर माहीं के जय सिया राम
अति बिचित्र कहि जात सो नाहीं के जय सिया राम
सयन किएँ देखा कपि तेही के जय सिया राम
मंदिर महुँ न दीखि बैदेही के जय सिया राम
भवन एक पुनि दीख सुहावा के जय सिया राम
हरि मंदिर तहँ भिन्न बनावा के जय सिया राम
॥दोहा 5॥
रामायुध अंकित गृह सोभा बरनि न जाइ।
नव तुलसिका बृंद तहँ देखि हरष कपिराई॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 6॥
M:- लंका निसिचर निकर निवासा के जय सिया राम
इहाँ कहाँ सज्जन कर बासा के जय सिया राम
मन महुँ तरक करैं कपि लागा के जय सिया राम
तेहीं समय बिभीषनु जागा के जय सिया राम
राम राम तेहिं सुमिरन कीन्हा के जय सिया राम
हृदयँ हरष कपि सज्जन चीन्हा के जय सिया राम
एहि सन सठि करिहउँ पहिचानी के जय सिया राम सा
धु ते होइ न कारज हानी के जय सिया राम
बिप्र रूप धरि बचन सुनाए के जय सिया राम
सुनत बिभीषन उठि तहँ आए के जय सिया राम
करि प्रनाम पूँछी कुसलाई के जय सिया राम
बिप्र कहहु निज कथा बुझाई के जय सिया राम
की तुम्ह हरि दासन्ह महँ कोई के जय सिया राम
मोरें हृदय प्रीति अति होई के जय सिया राम
की तुम्ह रामु दीन अनुरागी के जय सिया राम
आयहु मोहि करन बड़भागी के जय सिया राम
॥दोहा 6॥
तब हनुमंत कही सब राम कथा निज नाम।
सुनत जुगल तन पुलक मन मगन सुमिरि गुन ग्राम॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 7॥
M:- सुनहु पवनसुत रहनि हमारी के जय सिया राम
जिमि दसनन्हि महुँ जीभ बिचारी के जय सिया राम
तात कबहुँ मोहि जानि अनाथा के जय सिया राम
करिहहिं कृपा भानुकुल नाथा के जय सिया राम
तामस तनु कछु साधन नाहीं के जय सिया राम
प्रीत न पद सरोज मन माहीं के जय सिया राम
अब मोहि भा भरोस हनुमंता के जय सिया राम
बिनु हरिकृपा मिलहिं नहिं संता के जय सिया राम
जौं रघुबीर अनुग्रह कीन्हा के जय सिया राम
तौ तुम्ह मोहि दरसु हठि दीन्हा के जय सिया राम
सुनहु बिभीषन प्रभु कै रीती के जय सिया राम
करहिं सदा सेवक पर प्रीति के जय सिया राम
कहहु कवन मैं परम कुलीना के जय सिया राम
कपि चंचल सबहीं बिधि हीना के जय सिया राम
प्रात लेइ जो नाम हमारा। तेहि दिन ताहि न मिलै अहारा॥
॥दोहा 7॥
अस मैं अधम सखा सुनु मोहू पर रघुबीर।
कीन्हीं कृपा सुमिरि गुन भरे बिलोचन नीर॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 8॥
M:- जानतहूँ अस स्वामि बिसारी के जय सिया राम
फिरहिं ते काहे न होहिं दुखारी के जय सिया राम
एहि बिधि कहत राम गुन ग्रामा के जय सिया राम
पावा अनिर्बाच्य बिश्रामा के जय सिया राम
पुनि सब कथा बिभीषन कही के जय सिया राम
जेहि बिधि जनकसुता तहँ रही के जय सिया राम
तब हनुमंत कहा सुनु भ्राता के जय सिया राम
देखी चहउँ जानकी माता के जय सिया राम
जुगुति बिभीषन सकल सुनाई के जय सिया राम
चलेउ पवन सुत बिदा कराई के जय सिया राम
करि सोइ रूप गयउ पुनि तहवाँ के जय सिया राम
बन असोक सीता रह जहवाँ के जय सिया राम
देखि मनहि महुँ कीन्ह प्रनामा के जय सिया राम
बैठेहिं बीति जात निसि जामा के जय सिया राम
कृस तनु सीस जटा एक बेनी के जय सिया राम
जपति हृदयँ रघुपति गुन श्रेनी के जय सिया राम
॥दोहा 8॥
निज पद नयन दिएँ मन राम पद कमल लीन।
परम दुखी भा पवनसुत देखि जानकी दीन॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 9॥
M:- तरु पल्लव महँ रहा लुकाई के जय सिया राम
करइ बिचार करौं का भाई के जय सिया राम
तेहि अवसर रावनु तहँ आवा के जय सिया राम
संग नारि बहु किएँ बनावा के जय सिया राम
बहु बिधि खल सीतहि समुझावा के जय सिया राम
साम दान भय भेद देखावा के जय सिया राम
कह रावनु सुनु सुमुखि सयानी के जय सिया राम
मंदोदरी आदि सब रानी के जय सिया राम
तव अनुचरीं करउँ पन मोरा के जय सिया राम
एक बार बिलोकु मम ओरा के जय सिया राम
तृन धरि ओट कहति बैदेही के जय सिया राम
सुमिरि अवधपति परम सनेही के जय सिया राम
सुनु दसमुख खद्योत प्रकासा के जय सिया राम
कबहुँ कि नलिनी करइ बिकासा के जय सिया राम
अस मन समुझु कहति जानकी के जय सिया राम
खल सुधि नहिं रघुबीर बान की के जय सिया राम
सठ सूनें हरि आनेहि मोही के जय सिया राम
अधम निलज्ज लाज नहिं तोही के जय सिया राम
॥दोहा 9॥
आपुहि सुनि खद्योत सम रामहि भानु समान।
परुष बचन सुनि काढ़ि असि बोला अति खिसिआन॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 10॥
M:- सीता तैं मम कृत अपमाना के जय सिया राम
कटिहउँ तव सिर कठिन कृपाना के जय सिया राम
नाहिं त सपदि मानु मम बानी के जय सिया राम
सुमुखि होति न त जीवन हानी के जय सिया राम
स्याम सरोज दाम सम सुंदर के जय सिया राम
प्रभु भुज करि कर सम दसकंधर के जय सिया राम
सो भुज कंठ कि तव असि घोरा के जय सिया राम
सुनु सठ अस प्रवान पन मोरा के जय सिया राम
चंद्रहास हरु मम परितापं के जय सिया राम
रघुपति बिरह अनल संजातं के जय सिया राम
सीतल निसित बहसि बर धारा के जय सिया राम
कह सीता हरु मम दुख भारा के जय सिया राम
सुनत बचन पुनि मारन धावा के जय सिया राम
मयतनयाँ कहि नीति बुझावा के जय सिया राम
कहेसि सकल निसिचरिन्ह बोलाई के जय सिया राम
सीतहि बहु बिधि त्रासहु जाई के जय सिया राम
मास दिवस महुँ कहा न माना के जय सिया राम
तौ मैं मारबि काढ़ि कृपाना के जय सिया राम
॥दोहा 10॥
भवन गयउ दसकंधर इहाँ पिसाचिनि बृंद।
सीतहि त्रास देखावहिं धरहिं रूप बहु मंद॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 11॥
M:- त्रिजटा नाम राच्छसी एका के जय सिया राम
राम चरन रति निपुन बिबेका के जय सिया राम
सबन्हौ बोलि सुनाएसि सपना के जय सिया राम
सीतहि सेइ करहु हित अपना के जय सिया राम
सपनें बानर लंका जारी के जय सिया राम
जातुधान सेना सब मारी के जय सिया राम
खर आरूढ़ नगन दससीसा के जय सिया राम
मुंडित सिर खंडित भुज बीसा के जय सिया राम
एहि बिधि सो दच्छिन दिसि जाई के जय सिया राम
लंका मनहुँ बिभीषन पाई के जय सिया राम
नगर फिरी रघुबीर दोहाई के जय सिया राम
तब प्रभु सीता बोलि पठाई के जय सिया राम
यह सपना मैं कहउँ पुकारी के जय सिया राम
होइहि सत्य गएँ दिन चारी के जय सिया राम
तासु बचन सुनि ते सब डरीं के जय सिया राम
जनकसुता के चरनन्हि परीं के जय सिया राम
॥दोहा 11॥
जहँ तहँ गईं सकल तब सीता कर मन सोच।
मास दिवस बीतें मोहि मारिहि निसिचर पोच॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 12॥
M:- त्रिजटा सन बोलीं कर जोरी के जय सिया राम
मातु बिपति संगिनि तैं मोरी के जय सिया राम
तजौं देह करु बेगि उपाई के जय सिया राम
दुसह बिरहु अब नहिं सहि जाई के जय सिया राम
आनि काठ रचु चिता बनाई के जय सिया राम
मातु अनल पुनि देहि लगाई के जय सिया राम
सत्य करहि मम प्रीति सयानी के जय सिया राम
सुनै को श्रवन सूल सम बानी के जय सिया राम
सुनत बचन पद गहि समुझाएसि के जय सिया राम
प्रभु प्रताप बल सुजसु सुनाएसि के जय सिया राम
निसि न अनल मिल सुनु सुकुमारी के जय सिया राम
अस कहि सो निज भवन सिधारी के जय सिया राम
कह सीता बिधि भा प्रतिकूला के जय सिया राम
मिलिहि न पावक मिटिहि न सूला के जय सिया राम
देखिअत प्रगट गगन अंगारा के जय सिया राम
अवनि न आवत एकउ तारा के जय सिया राम
पावकमय ससि स्रवत न आगी के जय सिया राम
मानहुँ मोहि जानि हतभागी के जय सिया राम
सुनहि बिनय मम बिटप असोका के जय सिया राम
सत्य नाम करु हरु मम सोका के जय सिया राम
नूतन किसलय अनल समाना के जय सिया राम
देहि अगिनि जनि करहि निदाना के जय सिया राम
देखि परम बिरहाकुल सीता के जय सिया राम
सो छन कपिहि कलप सम बीता के जय सिया राम
॥सोरठा 12॥
कपि करि हृदयँ बिचार दीन्हि मुद्रिका डारि तब।
जनु असोक अंगार दीन्ह हरषि उठि कर गहेउ॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 13॥
M:- तब देखी मुद्रिका मनोहर के जय सिया राम
राम नाम अंकित अति सुंदर के जय सिया राम
चकित चितव मुदरी पहिचानी के जय सिया राम
हरष बिषाद हृदयँ अकुलानी के जय सिया राम
जीति को सकइ अजय रघुराई के जय सिया राम
माया तें असि रचि नहिं जाई के जय सिया राम
सीता मन बिचार कर नाना के जय सिया राम
मधुर बचन बोलेउ हनुमाना के जय सिया राम
रामचंद्र गुन बरनैं लागा के जय सिया राम
सुनतहिं सीता कर दुख भागा के जय सिया राम
लागीं सुनैं श्रवन मन लाई के जय सिया राम
आदिहु तें सब कथा सुनाई के जय सिया राम
श्रवनामृत जेहिं कथा सुहाई के जय सिया राम
कही सो प्रगट होति किन भाई के जय सिया राम
तब हनुमंत निकट चलि गयऊ के जय सिया राम
फिरि बैठीं मन बिसमय भयऊ के जय सिया राम
राम दूत मैं मातु जानकी के जय सिया राम
सत्य सपथ करुनानिधान की के जय सिया राम
यह मुद्रिका मातु मैं आनी के जय सिया राम
दीन्हि राम तुम्ह कहँ सहिदानी के जय सिया राम
नर बानरहि संग कहु कैसें के जय सिया राम
कही कथा भइ संगति जैसें के जय सिया राम
॥दोहा 13॥
कपि के बचन सप्रेम सुनि उपजा मन बिस्वास।
जाना मन क्रम बचन यह कृपासिंधु कर दास॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 14॥
M:- हरिजन जानि प्रीति अति गाढ़ी के जय सिया राम
सजल नयन पुलकावलि बाढ़ी के जय सिया राम
बूड़त बिरह जलधि हनुमाना के जय सिया राम
भयहु तात मो कहुँ जलजाना के जय सिया राम
अब कहु कुसल जाउँ बलिहारी के जय सिया राम
अनुज सहित सुख भवन खरारी के जय सिया राम
कोमलचित कृपाल रघुराई के जय सिया राम
कपि केहि हेतु धरी निठुराई के जय सिया राम
सहज बानि सेवक सुखदायक के जय सिया राम क
बहुँक सुरति करत रघुनायक के जय सिया राम
कबहुँ नयन मम सीतल ताता के जय सिया राम
होइहहिं निरखि स्याम मृदु गाता के जय सिया राम
बचनु न आव नयन भरे बारी के जय सिया राम
अहह नाथ हौं निपट बिसारी के जय सिया राम
देखि परम बिरहाकुल सीता के जय सिया राम
बोला कपि मृदु बचन बिनीता के जय सिया राम
मातु कुसल प्रभु अनुज समेता के जय सिया राम
तव दुख दुखी सुकृपा निकेता के जय सिया राम
जनि जननी मानह जियँ ऊना के जय सिया राम
तुम्ह ते प्रेमु राम कें दूना के जय सिया राम
॥दोहा 14॥
रघुपति कर संदेसु अब सुनु जननी धरि धीर।
अस कहि कपि गदगद भयउ भरे बिलोचन नीर॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 15॥
M:- कहेउ राम बियोग तव सीता के जय सिया राम
मो कहुँ सकल भए बिपरीता के जय सिया राम
नव तरु किसलय मनहुँ कृसानू के जय सिया राम
कालनिसा सम निसि ससि भानू के जय सिया राम
कुबलय बिपिन कुंत बन सरिसा के जय सिया राम
बारिद तपत तेल जनु बरिसा के जय सिया राम
जे हित रहे करत तेइ पीरा के जय सिया राम
उरग स्वास सम त्रिबिध समीरा के जय सिया राम
कहेहू तें कछु दुख घटि होई के जय सिया राम
काहि कहौं यह जान न कोई के जय सिया राम
तत्व प्रेम कर मम अरु तोरा के जय सिया राम
जानत प्रिया एकु मनु मोरा के जय सिया राम
सो मनु सदा रहत तोहि पाहीं के जय सिया राम
जानु प्रीति रसु एतनेहि माहीं के जय सिया राम
प्रभु संदेसु सुनत बैदेही के जय सिया राम
मगन प्रेम तन सुधि नहिं तेही के जय सिया राम
कह कपि हृदयँ धीर धरु माता के जय सिया राम
सुमिरु राम सेवक सुखदाता के जय सिया राम
उर आनहु रघुपति प्रभुताई के जय सिया राम
सुनि मम बचन तजहु कदराई के जय सिया राम
॥दोहा 15॥
निसिचर निकर पतंग सम रघुपति बान कृसानु।
जननी हृदयँ धीर धरु जरे निसाचर जानु॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 16॥
M:- जौं रघुबीर होति सुधि पाई के जय सिया राम
करते नहिं बिलंबु रघुराई के जय सिया राम
राम बान रबि उएँ जानकी के जय सिया राम
तम बरुथ कहँ जातुधान की के जय सिया राम
अबहिं मातु मैं जाउँ लवाई के जय सिया राम
प्रभु आयुस नहिं राम दोहाई के जय सिया राम
कछुक दिवस जननी धरु धीरा के जय सिया राम
कपिन्ह सहित अइहहिं रघुबीरा के जय सिया राम
निसिचर मारि तोहि लै जैहहिं के जय सिया राम
तिहुँ पुर नारदादि जसु गैहहिं के जय सिया राम
हैं सुत कपि सब तुम्हहि समाना के जय सिया राम
जातुधान अति भट बलवाना के जय सिया राम
मोरें हृदय परम संदेहा के जय सिया राम
सुनि कपि प्रगट कीन्हि निज देहा के जय सिया राम
कनक भूधराकार सरीरा के जय सिया राम
समर भयंकर अतिबल बीरा के जय सिया राम
सीता मन भरोस तब भयऊ के जय सिया राम
पुनि लघु रूप पवनसुत लयऊ के जय सिया राम
॥दोहा 16॥
सुनु माता साखामृग नहिं बल बुद्धि बिसाल।
प्रभु प्रताप तें गरुड़हि खाइ परम लघु ब्याल॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 17॥
M:- मन संतोष सुनत कपि बानी के जय सिया राम
भगति प्रताप तेज बल सानी के जय सिया राम
आसिष दीन्हि राम प्रिय जाना के जय सिया राम
होहु तात बल सील निधाना के जय सिया राम
अजर अमर गुननिधि सुत होहू के जय सिया राम
करहुँ बहुत रघुनायक छोहू के जय सिया राम
करहुँ कृपा प्रभु अस सुनि काना के जय सिया राम
निर्भर प्रेम मगन हनुमाना के जय सिया राम
बार बार नाएसि पद सीसा के जय सिया राम
बोला बचन जोरि कर कीसा के जय सिया राम
अब कृतकृत्य भयउँ मैं माता के जय सिया राम
आसिष तव अमोघ बिख्याता के जय सिया राम
सुनहु मातु मोहि अतिसय भूखा के जय सिया राम
लागि देखि सुंदर फल रूखा के जय सिया राम
सुनु सुत करहिं बिपिन रखवारी के जय सिया राम
परम सुभट रजनीचर भारी के जय सिया राम
तिन्ह कर भय माता मोहि नाहीं के जय सिया राम
जौं तुम्ह सुख मानहु मन माहीं के जय सिया राम
॥दोहा 17॥
देखि बुद्धि बल निपुन कपि कहेउ जानकीं जाहु।
रघुपति चरन हृदयँ धरि तात मधुर फल खाहु॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 18॥
M:- चलेउ नाइ सिरु पैठेउ बागा के जय सिया राम
फल खाएसि तरु तोरैं लागा के जय सिया राम
रहे तहाँ बहु भट रखवारे के जय सिया राम
कछु मारेसि कछु जाइ पुकारे के जय सिया राम
नाथ एक आवा कपि भारी के जय सिया राम
तेहिं असोक बाटिका उजारी के जय सिया राम
खाएसि फल अरु बिटप उपारे के जय सिया राम
रच्छक मर्दि मर्दि महि डारे के जय सिया राम
सुनि रावन पठए भट नाना के जय सिया राम
तिन्हहि देखि गर्जेउ हनुमाना के जय सिया राम
सब रजनीचर कपि संघारे के जय सिया राम
गए पुकारत कछु अधमारे के जय सिया राम
पुनि पठयउ तेहिं अच्छकुमारा के जय सिया राम
चला संग लै सुभट अपारा के जय सिया राम
आवत देखि बिटप गहि तर्जा के जय सिया राम
ताहि निपाति महाधुनि गर्जा के जय सिया राम
॥दोहा 18॥
कछु मारेसि कछु मर्देसि कछु मिलएसि धरि धूरि।
कछु पुनि जाइ पुकारे प्रभु मर्कट बल भूरि॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 19॥
M:- सुनि सुत बध लंकेस रिसाना के जय सिया राम
पठएसि मेघनाद बलवाना के जय सिया राम
मारसि जनि सुत बाँधेसु ताही के जय सिया राम
देखिअ कपिहि कहाँ कर आही के जय सिया राम
चला इंद्रजित अतुलित जोधा के जय सिया राम
बंधु निधन सुनि उपजा क्रोधा के जय सिया राम
कपि देखा दारुन भट आवा के जय सिया राम
कटकटाइ गर्जा अरु धावा के जय सिया राम
अति बिसाल तरु एक उपारा के जय सिया राम
बिरथ कीन्ह लंकेस कुमारा के जय सिया राम
रहे महाभट ताके संगा के जय सिया राम
गहि गहि कपि मर्दई निज अंगा के जय सिया राम
तिन्हहि निपाति ताहि सन बाजा के जय सिया राम
भिरे जुगल मानहुँ गजराजा के जय सिया राम
मुठिका मारि चढ़ा तरु जाई के जय सिया राम
ताहि एक छन मुरुछा आई के जय सिया राम
उठि बहोरि कीन्हिसि बहु माया के जय सिया राम
जीति न जाइ प्रभंजन जाया के जय सिया राम
॥दोहा 19॥
ब्रह्म अस्त्र तेहि साँधा कपि मन कीन्ह बिचार।
जौं न ब्रह्मसर मानउँ महिमा मिटइ अपार॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 20॥
M:- ब्रह्मबान कपि कहुँ तेहिं मारा के जय सिया राम
परतिहुँ बार कटकु संघारा के जय सिया राम
तेहिं देखा कपि मुरुछित भयऊ के जय सिया राम
नागपास बाँधेसि लै गयऊ के जय सिया राम
जासु नाम जपि सुनहु भवानी के जय सिया राम
भव बंधन काटहिं नर ग्यानी के जय सिया राम
तासु दूत कि बंध तरु आवा के जय सिया राम
प्रभु कारज लगि कपिहिं बँधावा के जय सिया राम
कपि बंधन सुनि निसिचर धाए के जय सिया राम
कौतुक लागि सभाँ सब आए के जय सिया राम
दसमुख सभा दीखि कपि जाई के जय सिया राम
कहि न जाइ कछु अति प्रभुताई के जय सिया राम
कर जोरें सुर दिसिप बिनीता के जय सिया राम
भृकुटि बिलोकत सकल सभीता के जय सिया राम
देखि प्रताप न कपि मन संका के जय सिया राम
जिमि अहिगन महुँ गरुड़ असंका के जय सिया राम
॥दोहा 20॥
कपिहि बिलोकि दसानन बिहसा कहि दुर्बाद।
सुत बध सुरति कीन्हि पुनि उपजा हृदयँ बिसाद॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 21॥
M:- कह लंकेस कवन तैं कीसा के जय सिया राम
केहि कें बल घालेहि बन खीसा के जय सिया राम
की धौं श्रवन सुनेहि नहिं मोही के जय सिया राम
देखउँ अति असंक सठ तोही के जय सिया राम
मारे निसिचर केहिं अपराधा के जय सिया राम
कहु सठ तोहि न प्रान कइ बाधा के जय सिया राम
सुनु रावन ब्रह्मांड निकाया के जय सिया राम
पाइ जासु बल बिरचति माया के जय सिया राम
जाकें बल बिरंचि हरि ईसा के जय सिया राम
पालत सृजत हरत दससीसा के जय सिया राम
जा बल सीस धरत सहसानन के जय सिया राम
अंडकोस समेत गिरि कानन के जय सिया राम
धरइ जो बिबिध देह सुरत्राता के जय सिया राम
तुम्ह से सठन्ह सिखावनु दाता के जय सिया राम
हर कोदंड कठिन जेहिं भंजा के जय सिया राम
तेहि समेत नृप दल मद गंजा के जय सिया राम
खर दूषन त्रिसिरा अरु बाली के जय सिया राम
बधे सकल अतुलित बलसाली के जय सिया राम
॥दोहा 21॥
जाके बल लवलेस तें जितेहु चराचर झारि।
तास दूत मैं जा करि हरि आनेहु प्रिय नारि॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 22॥
M:- जानउँ मैं तुम्हारि प्रभुताई के जय सिया राम
सहसबाहु सन परी लराई के जय सिया राम
समर बालि सन करि जसु पावा के जय सिया राम
सुनि कपि बचन बिहसि बिहरावा के जय सिया राम
खायउँ फल प्रभु लागी भूँखा के जय सिया राम
कपि सुभाव तें तोरेउँ रूखा के जय सिया राम
सब कें देह परम प्रिय स्वामी के जय सिया राम
मारहिं मोहि कुमारग गामी के जय सिया राम
जिन्ह मोहि मारा ते मैं मारे के जय सिया राम
तेहि पर बाँधेउँ तनयँ तुम्हारे के जय सिया राम
मोहि न कछु बाँधे कइ लाजा के जय सिया राम
कीन्ह चहउँ निज प्रभु कर काजा के जय सिया राम
बिनती करउँ जोरि कर रावन के जय सिया राम
सुनहु मान तजि मोर सिखावन के जय सिया राम
देखहु तुम्ह निज कुलहि बिचारी के जय सिया राम
भ्रम तजि भजहु भगत भय हारी के जय सिया राम
जाकें डर अति काल डेराई के जय सिया राम
जो सुर असुर चराचर खाई के जय सिया राम
तासों बयरु कबहुँ नहिं कीजै के जय सिया राम
मोरे कहें जानकी दीजै के जय सिया राम
॥दोहा 22॥
प्रनतपाल रघुनायक करुना सिंधु खरारि।
गएँ सरन प्रभु राखिहैं तव अपराध बिसारि॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 23॥
M:- राम चरन पंकज उर धरहू के जय सिया राम
लंका अचल राजु तुम्ह करहू के जय सिया राम
रिषि पुलस्ति जसु बिमल मयंका के जय सिया राम
तेहि ससि महुँ जनि होहु कलंका के जय सिया राम
राम नाम बिनु गिरा न सोहा के जय सिया राम
देखु बिचारि त्यागि मद मोहा के जय सिया राम
बसन हीन नहिं सोह सुरारी के जय सिया राम
सब भूषन भूषित बर नारी के जय सिया राम
राम बिमुख संपति प्रभुताई के जय सिया राम
जाइ रही पाई बिनु पाई के जय सिया राम
सजल मूल जिन्ह सरितन्ह नाहीं के जय सिया राम
बरषि गएँ पुनि तबहिं सुखाहीं के जय सिया राम
सुनु दसकंठ कहउँ पन रोपी के जय सिया राम
बिमुख राम त्राता नहिं कोपी के जय सिया राम
संकर सहस बिष्नु अज तोही के जय सिया राम
सकहिं न राखि राम कर द्रोही के जय सिया राम
॥दोहा 23॥
मोहमूल बहु सूल प्रद त्यागहु तम अभिमान।
भजहु राम रघुनायक कृपा सिंधु भगवान॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 24॥
M:- जदपि कही कपि अति हित बानी के जय सिया राम
भगति बिबेक बिरति नय सानी के जय सिया राम
बोला बिहसि महा अभिमानी के जय सिया राम
मिला हमहि कपि गुर बड़ ग्यानी के जय सिया राम
मृत्यु निकट आई खल तोही के जय सिया राम
लागेसि अधम सिखावन मोही के जय सिया राम
उलटा होइहि कह हनुमाना के जय सिया राम
मतिभ्रम तोर प्रगट मैं जाना के जय सिया राम
सुनि कपि बचन बहुत खिसिआना के जय सिया राम
बेगि न हरहु मूढ़ कर प्राना के जय सिया राम
सुनत निसाचर मारन धाए के जय सिया राम
सचिवन्ह सहित बिभीषनु आए के जय सिया राम
नाइ सीस करि बिनय बहूता के जय सिया राम
नीति बिरोध न मारिअ दूता के जय सिया राम
आन दंड कछु करिअ गोसाँई के जय सिया राम
सबहीं कहा मंत्र भल भाई के जय सिया राम
सुनत बिहसि बोला दसकंधर के जय सिया राम
अंग भंग करि पठइअ बंदर के जय सिया राम
॥दोहा 24॥
कपि कें ममता पूँछ पर सबहि कहउँ समुझाइ।
तेल बोरि पट बाँधि पुनि पावक देहु लगाइ॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 25॥
M:- पूँछहीन बानर तहँ जाइहि के जय सिया राम
तब सठ निज नाथहि लइ आइहि के जय सिया राम
जिन्ह कै कीन्हिसि बहुत बड़ाई के जय सिया राम
देखउ मैं तिन्ह कै प्रभुताई के जय सिया राम
बचन सुनत कपि मन मुसुकाना के जय सिया राम
भइ सहाय सारद मैं जाना के जय सिया राम
जातुधान सुनि रावन बचना के जय सिया राम
लागे रचैं मूढ़ सोइ रचना के जय सिया राम
रहा न नगर बसन घृत तेला के जय सिया राम
बाढ़ी पूँछ कीन्ह कपि खेला के जय सिया राम
कौतुक कहँ आए पुरबासी के जय सिया राम
मारहिं चरन करहिं बहु हाँसी के जय सिया राम
बाजहिं ढोल देहिं सब तारी के जय सिया राम
नगर फेरि पुनि पूँछ प्रजारी के जय सिया राम
पावक जरत देखि हनुमंता के जय सिया राम
भयउ परम लघुरूप तुरंता के जय सिया राम
निबुकि चढ़ेउ कप कनक अटारीं के जय सिया राम
भईं सभीत निसाचर नारीं के जय सिया राम
॥दोहा 25॥
हरि प्रेरित तेहि अवसर चले मरुत उनचास।
अट्टहास करि गर्जा कपि बढ़ि लाग अकास॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 26॥
M:- देह बिसाल परम हरुआई के जय सिया राम
मंदिर तें मंदिर चढ़ धाई के जय सिया राम
जरइ नगर भा लोग बिहाला के जय सिया राम
झपट लपट बहु कोटि कराला के जय सिया राम
तात मातु हा सुनिअ पुकारा के जय सिया राम
एहिं अवसर को हमहि उबारा के जय सिया राम
हम जो कहा यह कपि नहिं होई के जय सिया राम
बानर रूप धरें सुर कोई के जय सिया राम
साधु अवग्या कर फलु ऐसा के जय सिया राम
जरइ नगर अनाथ कर जैसा के जय सिया राम
जारा नगरु निमिष एक माहीं के जय सिया राम
एक बिभीषन कर गृह नाहीं के जय सिया राम
ताकर दूत अनल जेहिं सिरिजा के जय सिया राम
जरा न सो तेहि कारन गिरिजा के जय सिया राम
उलटि पलटि लंका सब जारी के जय सिया राम
कूदि परा पुनि सिंधु मझारी के जय सिया राम
॥दोहा 26॥
पूँछ बुझाइ खोइ श्रम धरि लघु रूप बहोरि।
जनकसुता कें आगें ठाढ़ भयउ कर जोरि॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 27॥
M:- मातु मोहि दीजे कछु चीन्हा के जय सिया राम
जैसें रघुनायक मोहि दीन्हा के जय सिया राम
चूड़ामनि उतारि तब दयऊ के जय सिया राम
हरष समेत पवनसुत लयऊ के जय सिया राम
कहेहु तात अस मोर प्रनामा के जय सिया राम
सब प्रकार प्रभु पूरनकामा के जय सिया राम
दीन दयाल बिरिदु संभारी के जय सिया राम
हरहु नाथ सम संकट भारी के जय सिया राम
तात सक्रसुत कथा सनाएहु के जय सिया राम
बान प्रताप प्रभुहि समुझाएहु के जय सिया राम
मास दिवस महुँ नाथु न आवा के जय सिया राम
तौ पुनि मोहि जिअत नहिं पावा के जय सिया राम
कहु कपि केहि बिधि राखौं प्राना के जय सिया राम
तुम्हहू तात कहत अब जाना के जय सिया राम
तोहि देखि सीतलि भइ छाती के जय सिया राम
पुनि मो कहुँ सोइ दिनु सो राती के जय सिया राम
॥दोहा 27॥
जनकसुतहि समुझाइ करि बहु बिधि धीरजु दीन्ह।
चरन कमल सिरु नाइ कपि गवनु राम पहिं कीन्ह॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 28॥
M:- चलत महाधुनि गर्जेसि भारी के जय सिया राम
गर्भ स्रवहिं सुनि निसिचर नारी के जय सिया राम
नाघि सिंधु एहि पारहि आवा के जय सिया राम
सबद किलिकिला कपिन्ह सुनावा के जय सिया राम
हरषे सब बिलोकि हनुमाना के जय सिया राम
नूतन जन्म कपिन्ह तब जाना के जय सिया राम
मुख प्रसन्न तन तेज बिराजा के जय सिया राम
कीन्हेसि रामचंद्र कर काजा के जय सिया राम
मिले सकल अति भए सुखारी के जय सिया राम
तलफत मीन पाव जिमि बारी के जय सिया राम
चले हरषि रघुनायक पासा के जय सिया राम
पूँछत कहत नवल इतिहासा के जय सिया राम
तब मधुबन भीतर सब आए के जय सिया राम
अंगद संमत मधु फल खाए के जय सिया राम
रखवारे जब बरजन लागे के जय सिया राम
मुष्टि प्रहार हनत सब भागे के जय सिया राम
॥दोहा 28॥
जाइ पुकारे ते सब बन उजार जुबराज।
सुनि सुग्रीव हरष कपि करि आए प्रभु काज॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 29॥
M:- जौं न होति सीता सुधि पाई के जय सिया राम
मधुबन के फल सकहिं कि काई के जय सिया राम
एहि बिधि मन बिचार कर राजा के जय सिया राम
आइ गए कपि सहित समाजा के जय सिया राम
आइ सबन्हि नावा पद सीसा के जय सिया राम
मिलेउ सबन्हि अति प्रेम कपीसा के जय सिया राम
पूँछी कुसल कुसल पद देखी के जय सिया राम
राम कृपाँ भा काजु बिसेषी के जय सिया राम
नाथ काजु कीन्हेउ हनुमाना के जय सिया राम
राखे सकल कपिन्ह के प्राना के जय सिया राम
सुनि सुग्रीव बहुरि तेहि मिलेऊ के जय सिया राम
कपिन्ह सहित रघुपति पहिं चलेऊ के जय सिया राम
राम कपिन्ह जब आवत देखा के जय सिया राम
किएँ काजु मन हरष बिसेषा के जय सिया राम
फटिक सिला बैठे द्वौ भाई के जय सिया राम
परे सकल कपि चरनन्हि जाई के जय सिया राम
॥दोहा 29॥
प्रीति सहित सब भेंटे रघुपति करुना पुंज।
पूछी कुसल नाथ अब कुसल देखि पद कंज॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 30॥
M:- जामवंत कह सुनु रघुराया के जय सिया राम
जा पर नाथ करहु तुम्ह दाया के जय सिया राम
ताहि सदा सुभ कुसल निरंतर के जय सिया राम
सुर नर मुनि प्रसन्न ता ऊपर के जय सिया राम
सोइ बिजई बिनई गुन सागर के जय सिया राम
तासु सुजसु त्रैलोक उजागर के जय सिया राम
प्रभु कीं कृपा भयउ सबु काजू के जय सिया राम
जन्म हमार सुफल भा आजू के जय सिया राम
नाथ पवनसुत कीन्हि जो करनी के जय सिया राम
सहसहुँ मुख न जाइ सो बरनी के जय सिया राम
पवनतनय के चरित सुहाए के जय सिया राम
जामवंत रघुपतिहि सुनाए के जय सिया राम
सुनत कृपानिधि मन अति भाए के जय सिया राम
पुनि हनुमान हरषि हियँ लाए के जय सिया राम
कहहु तात केहि भाँति जानकी के जय सिया राम
रहति करति रच्छा स्वप्रान की के जय सिया राम
॥दोहा 30॥
नाम पाहरू दिवस निसि ध्यान तुम्हार कपाट।
लोचन निज पद जंत्रित जाहिं प्रान केहिं बाट॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 31॥
M:- चलत मोहि चूड़ामनि दीन्हीं के जय सिया राम
रघुपति हृदयँ लाइ सोइ लीन्ही के जय सिया राम
नाथ जुगल लोचन भरि बारी के जय सिया राम
बचन कहे कछु जनककुमारी के जय सिया राम
अनुज समेत गहेहु प्रभु चरना के जय सिया राम
दीन बंधु प्रनतारति हरना के जय सिया राम
मन क्रम बचन चरन अनुरागी के जय सिया राम
केहिं अपराध नाथ हौं त्यागी के जय सिया राम
अवगुन एक मोर मैं माना के जय सिया राम
बिछुरत प्रान न कीन्ह पयाना के जय सिया राम
नाथ सो नयनन्हि को अपराधा के जय सिया राम
निसरत प्रान करहिं हठि बाधा के जय सिया राम
बिरह अगिनि तनु तूल समीरा के जय सिया राम
स्वास जरइ छन माहिं सरीरा के जय सिया राम
नयन स्रवहिं जलु निज हित लागी के जय सिया राम
जरैं न पाव देह बिरहागी के जय सिया राम
सीता कै अति बिपति बिसाला के जय सिया राम
बिनहिं कहें भलि दीनदयाला के जय सिया राम
॥दोहा 31॥
निमिष निमिष करुनानिधि जाहिं कलप सम बीति।
बेगि चलिअ प्रभु आनिअ भुज बल खल दल जीति॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 32॥
M:- सुनि सीता दुख प्रभु सुख अयना के जय सिया राम
भरि आए जल राजिव नयना के जय सिया राम
बचन कायँ मन मम गति जाही के जय सिया राम
सपनेहुँ बूझिअ बिपति कि ताही के जय सिया राम
कह हनुमंत बिपति प्रभु सोई के जय सिया राम
जब तव सुमिरन भजन न होई के जय सिया राम
केतिक बात प्रभु जातुधान की के जय सिया राम
रिपुहि जीति आनिबी जानकी के जय सिया राम
सुनु कपि तोहि समान उपकारी के जय सिया राम
नहिं कोउ सुर नर मुनि तनुधारी के जय सिया राम
प्रति उपकार करौं का तोरा के जय सिया राम
सनमुख होइ न सकत मन मोरा के जय सिया राम
सुनु सुत तोहि उरिन मैं नाहीं के जय सिया राम
देखेउँ करि बिचार मन माहीं के जय सिया राम
पुनि पुनि कपिहि चितव सुरत्राता के जय सिया राम
लोचन नीर पुलक अति गाता के जय सिया राम
॥दोहा 32॥
सुनि प्रभु बचन बिलोकि मुख गात हरषि हनुमंत।
चरन परेउ प्रेमाकुल त्राहि त्राहि भगवंत॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई ॥
बार बार प्रभु चहइ उठावा। प्रेम मगन तेहि उठब न भावा॥
प्रभु कर पंकज कपि कें सीसा। सुमिरि सो दसा मगन गौरीसा॥
सावधान मन करि पुनि संकर। लागे कहन कथा अति सुंदर॥
कपि उठाई प्रभु हृदयँ लगावा। कर गहि परम निकट बैठावा॥
कहु कपि रावन पालित लंका। केहि बिधि दहेउ दुर्ग अति बंका॥
प्रभु प्रसन्न जाना हनुमाना। बोला बचन बिगत अभिमाना॥
साखामग कै बड़ि मनुसाई। साखा तें साखा पर जाई॥
नाघि सिंधु हाटकपुर जारा। निसिचर गन बधि बिपिन उजारा॥
सो सब तव प्रताप रघुराई। नाथ न कछू मोरि प्रभुताई॥
॥दोहा 33॥
ता कहुँ प्रभु कछु अगम नहिं जा पर तुम्ह अनुकूल।
तव प्रभावँ बड़वानलहि जारि सकइ खलु तूल॥
॥चौपाई 33॥
M:- नाथ भगति अति सुखदायनी के जय सिया राम
देहु कृपा करि अनपायनी के जय सिया राम
सुनि प्रभु परम सरल कपि बानी के जय सिया राम
एवमस्तु तब कहेउ भवानी के जय सिया राम
उमा राम सुभाउ जेहिं जाना के जय सिया राम
ताहि भजनु तजि भाव न आना के जय सिया राम
यह संबाद जासु उर आवा के जय सिया राम
रघुपति चरन भगति सोइ पावा के जय सिया राम
सुनि प्रभु बचन कहहिं कपि बृंदा के जय सिया राम
जय जय जय कृपाल सुखकंदा के जय सिया राम
तब रघुपति कपिपतिहि बोलावा के जय सिया राम
कहा चलैं कर करहु बनावा के जय सिया राम
अब बिलंबु केह कारन कीजे के जय सिया राम
तुरंत कपिन्ह कहँ आयसु दीजे के जय सिया राम
कौतुक देखि सुमन बहु बरषी के जय सिया राम
नभ तें भवन चले सुर हरषी के जय सिया राम
॥दोहा 34॥
कपिपति बेगि बोलाए आए जूथप जूथ।
नाना बरन अतुल बल बानर भालु बरूथ॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 34॥
M:- प्रभु पद पंकज नावहिं सीसा के जय सिया राम
गर्जहिं भालु महाबल कीसा के जय सिया राम
देखी राम सकल कपि सेना के जय सिया राम
चितइ कृपा करि राजिव नैना के जय सिया राम
राम कृपा बल पाइ कपिंदा के जय सिया राम
भए पच्छजुत मनहुँ गिरिंदा के जय सिया राम
हरषि राम तब कीन्ह पयाना के जय सिया राम
सगुन भए सुंदर सुभ नाना के जय सिया राम
जासु सकल मंगलमय कीती के जय सिया राम
तासु पयान सगुन यह नीती के जय सिया राम
प्रभु पयान जाना बैदेहीं के जय सिया राम
फरकि बाम अँग जनु कहि देहीं के जय सिया राम
जोइ जोइ सगुन जानकिहि होई के जय सिया राम
असगुन भयउ रावनहिं सोई के जय सिया राम
चला कटकु को बरनैं पारा के जय सिया राम
गर्जहिं बानर भालु अपारा के जय सिया राम
नख आयुध गिरि पादपधारी। चले गगन महि इच्छाचारी॥
केहरिनाद भालु कपि करहीं। डगमगाहिं दिग्गज चिक्करहीं॥
॥छन्द 2॥
M:- चिक्करहिं दिग्गज डोल महि गिरि लोल सागर खरभरे।
मन हरष सभ गंधर्ब सुर मुनि नाग किंनर दुख टरे॥
कटकटहिं मर्कट बिकट भट बहु कोटि कोटिन्ह धावहीं।
जय राम प्रबल प्रताप कोसलनाथ गुन गन गावहीं॥१॥
1सहि सक न भार उदार अहिपति बार बारहिं मोहई।
गह दसन पुनि पुनि कमठ पृष्ठ कठोर सो किमि सोहई॥
रघुबीर रुचिर प्रयान प्रस्थिति जानि परम सुहावनी।
जनु कमठ खर्पर सर्पराज सो लिखत अबिचल पावनी॥२॥
॥दोहा 35॥
एहि बिधि जाइ कृपानिधि उतरे सागर तीर।
जहँ तहँ लागे खान फल भालु बिपुल कपि बीर॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 35॥
M:- उहाँ निसाचर रहहिं ससंका के जय सिया राम
जब तें जारि गयउ कपि लंका के जय सिया राम
निज निज गृहँ सब करहिं बिचारा के जय सिया राम
नहिं निसिचर कुल केर उबारा के जय सिया राम
जासु दूत बल बरनि न जाई के जय सिया राम
तेहि आएँ पुर कवन भलाई के जय सिया राम
दूतिन्ह सन सुनि पुरजन बानी के जय सिया राम
मंदोदरी अधिक अकुलानी के जय सिया राम
रहसि जोरि कर पति पग लागी के जय सिया राम
बोली बचन नीति रस पागी के जय सिया राम
कंत करष हरि सन परिहरहू के जय सिया राम
मोर कहा अति हित हियँ धरहू के जय सिया राम
समुझत जासु दूत कइ करनी के जय सिया राम
स्रवहिं गर्भ रजनीचर घरनी के जय सिया राम
तासु नारि निज सचिव बोलाई के जय सिया राम
पठवहु कंत जो चहहु भलाई के जय सिया राम
तव कुल कमल बिपिन दुखदाई के जय सिया राम
सीता सीत निसा सम आई के जय सिया राम
सुनहु नाथ सीता बिनु दीन्हें के जय सिया राम
हित न तुम्हार संभु अज कीन्हें के जय सिया राम
॥दोहा 36॥
राम बान अहि गन सरिस निकर निसाचर भेक।
जब लगि ग्रसत न तब लगि जतनु करहु तजि टेक॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 36॥
M:- श्रवन सुनी सठ ता करि बानी के जय सिया राम
बिहसा जगत बिदित अभिमानी के जय सिया राम
सभय सुभाउ नारि कर साचा के जय सिया राम
मंगल महुँ भय मन अति काचा के जय सिया राम
जौं आवइ मर्कट कटकाई के जय सिया राम
जिअहिं बिचारे निसिचर खाई के जय सिया राम
कंपहिं लोकप जाकीं त्रासा। तासु नारि सभीत बड़ि हासा॥
अस कहि बिहसि ताहि उर लाई के जय सिया राम
चलेउ सभाँ ममता अधिकाई के जय सिया राम
फमंदोदरी हृदयँ कर चिंता के जय सिया राम
भयउ कंत पर बिधि बिपरीता के जय सिया राम
बैठेउ सभाँ खबरि असि पाई के जय सिया राम
सिंधु पार सेना सब आई के जय सिया राम
बूझेसि सचिव उचित मत कहहू के जय सिया राम
ते सब हँसे मष्ट करि रहहू के जय सिया राम
जितेहु सुरासुर तब श्रम नाहीं के जय सिया राम
नर बानर केहि लेखे माहीं के जय सिया राम
॥दोहा 37॥
सचिव बैद गुर तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस।
राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 37॥
M:- सोइ रावन कहुँ बनी सहाई के जय सिया राम
अस्तुति करहिं सुनाइ सुनाई के जय सिया राम
अवसर जानि बिभीषनु आवा के जय सिया राम
भ्राता चरन सीसु तेहिं नावा के जय सिया राम
पुनि सिरु नाइ बैठ निज आसन के जय सिया राम
बोला बचन पाइ अनुसासन के जय सिया राम
जौ कृपाल पूँछिहु मोहि बाता के जय सिया राम
मति अनुरूप कहउँ हित ताता के जय सिया राम
जो आपन चाहै कल्याना के जय सिया राम
सुजसु सुमति सुभ गति सुख नाना के जय सिया राम
सो परनारि लिलार गोसाईं के जय सिया राम
तजउ चउथि के चंद कि नाईं के जय सिया राम
चौदह भुवन एक पति होई के जय सिया राम
भूत द्रोह तिष्टइ नहिं सोई के जय सिया राम
गुन सागर नागर नर जोऊ के जय सिया राम
अलप लोभ भल कहइ न कोऊ के जय सिया राम
॥दोहा 38॥
काम क्रोध मद लोभ सब नाथ नरक के पंथ।
सब परिहरि रघुबीरहि भजहु भजहिं जेहि संत॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 38॥
M:- तात राम नहिं नर भूपाला के जय सिया राम
भुवनेस्वर कालहु कर काला के जय सिया राम
ब्रह्म अनामय अज भगवंता के जय सिया राम
ब्यापक अजित अनादि अनंता के जय सिया राम
गो द्विज धेनु देव हितकारी के जय सिया राम
कृपा सिंधु मानुष तनुधारी के जय सिया राम
जन रंजन भंजन खल ब्राता के जय सिया राम
बेद धर्म रच्छक सुनु भ्राता के जय सिया राम
ताहि बयरु तजि नाइअ माथा के जय सिया राम
प्रनतारति भंजन रघुनाथा के जय सिया राम
देहु नाथ प्रभु कहुँ बैदेही के जय सिया राम
भजहु राम बिनु हेतु सनेही के जय सिया राम
सरन गएँ प्रभु ताहु न त्यागा के जय सिया राम
बिस्व द्रोह कृत अघ जेहि लागा के जय सिया राम
जासु नाम त्रय ताप नसावन के जय सिया राम
सोइ प्रभु प्रगट समुझु जियँ रावन के जय सिया राम
॥दोहा 39॥
बार बार पद लागउँ बिनय करउँ दससीस।
परिहरि मान मोह मद भजहु कोसलाधीस॥(क)॥
मुनि पुलस्ति निज सिष्य सन कहि पठई यह बात।
तुरत सो मैं प्रभु सन कही पाइ सुअवसरु तात॥(ख)॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 39॥
M:- माल्यवंत अति सचिव सयाना के जय सिया राम
तासु बचन सुनि अति सुख माना के जय सिया राम
तात अनुज तव नीति बिभूषन के जय सिया राम
सो उर धरहु जो कहत बिभीषन के जय सिया राम
रिपु उतकरष कहत सठ दोऊ के जय सिया राम
दूरि न करहु इहाँ हइ कोऊ के जय सिया राम
माल्यवंत गह गयउ बहोरी के जय सिया राम
कहइ बिभीषनु पुनि कर जोरी के जय सिया राम
सुमति कुमति सब कें उर रहहीं के जय सिया राम
नाथ पुरान निगम अस कहहीं के जय सिया राम
जहाँ सुमति तहँ संपति नाना के जय सिया राम
जहाँ कुमति तहँ बिपति निदाना के जय सिया राम
तव उर कुमति बसी बिपरीता के जय सिया राम
हित अनहित मानहु रिपु प्रीता के जय सिया राम
कालराति निसिचर कुल केरी के जय सिया राम
तेहि सीता पर प्रीति घनेरी के जय सिया राम
॥दोहा 40॥
तात चरन गहि मागउँ राखहु मोर दुलार।
सीता देहु राम कहुँ अहित न होइ तुम्हारा॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
M:- ॥चौपाई 40॥
बुध पुरान श्रुति संमत बानी के जय सिया राम
कही बिभीषन नीति बखानी के जय सिया राम
सुनत दसानन उठा रिसाई के जय सिया राम
खल तोहिं निकट मृत्यु अब आई के जय सिया राम
जिअसि सदा सठ मोर जिआवा के जय सिया राम
रिपु कर पच्छ मूढ़ तोहि भावा के जय सिया राम
कहसि न खल अस को जग माहीं के जय सिया राम
भुज बल जाहि जिता मैं नाहीं के जय सिया राम
मम पुर बसि तपसिन्ह पर प्रीती के जय सिया राम
सठ मिलु जाइ तिन्हहि कहु नीती के जय सिया राम
अस कहि कीन्हेसि चरन प्रहारा के जय सिया राम
अनुज गहे पद बारहिं बारा के जय सिया राम
उमा संत कइ इहइ बड़ाई के जय सिया राम
मंद करत जो करइ भलाई के जय सिया राम
तुम्ह पितु सरिस भलेहिं मोहि मारा के जय सिया राम
रामु भजें हित नाथ तुम्हारा के जय सिया राम
सचिव संग लै नभ पथ गयऊ के जय सिया राम
सबहि सुनाइ कहत अस भयऊ के जय सिया राम
॥दोहा 41॥
रामु सत्यसंकल्प प्रभु सभा कालबस तोरि।
मैं रघुबीर सरन अब जाउँ देहु जनि खोरि॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 41॥
M:- अस कहि चला बिभीषनु जबहीं के जय सिया राम
आयू हीन भए सब तबहीं के जय सिया राम
साधु अवग्या तुरत भवानी के जय सिया राम
कर कल्यान अखिल कै हानी के जय सिया राम
रावन जबहिं बिभीषन त्यागा के जय सिया राम
भयउ बिभव बिनु तबहिं अभागा के जय सिया राम
चलेउ हरषि रघुनायक पाहीं के जय सिया राम
करत मनोरथ बहु मन माहीं के जय सिया राम
देखिहउँ जाइ चरन जलजाता के जय सिया राम
अरुन मृदुल सेवक सुखदाता के जय सिया राम
जे पद परसि तरी रिषनारी के जय सिया राम
दंडक कानन पावनकारी के जय सिया राम
जे पद जनकसुताँ उर लाए के जय सिया राम
कपट कुरंग संग धर धाए के जय सिया राम
हर उर सर सरोज पद जेई के जय सिया राम
अहोभाग्य मैं देखिहउँ तेई के जय सिया राम
॥दोहा 42॥
जिन्ह पायन्ह के पादुकन्हि भरतु रहे मन लाइ।
ते पद आजु बिलोकिहउँ इन्ह नयनन्हि अब जाइ॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 42॥
M:- ऐहि बिधि करत सप्रेम बिचारा के जय सिया राम
आयउ सपदि सिंदु एहिं पारा के जय सिया राम
कपिन्ह बिभीषनु आवत देखा के जय सिया राम
जाना कोउ रिपु दूत बिसेषा के जय सिया राम
ताहि राखि कपीस पहिं आए के जय सिया राम
समाचार सब ताहि सुनाए के जय सिया राम
कह सुग्रीव सुनहु रघुराई के जय सिया राम
आवा मिलन दसानन भाई के जय सिया राम
कह प्रभु सखा बूझिए काहा के जय सिया राम
कहइ कपीस सुनहु नरनाहा के जय सिया राम
जानि न जाइ निसाचर माया के जय सिया राम
कामरूप केहि कारन आया के जय सिया राम
भेद हमार लेन सठ आवा के जय सिया राम
राखिअ बाँधि मोहि अस भावा के जय सिया राम
सखा नीति तुम्ह नीकि बिचारी के जय सिया राम
मम पन सरनागत भयहारी के जय सिया राम
सुनि प्रभु बचन हरष हनुमाना के जय सिया राम
सरनागत बच्छल भगवाना के जय सिया राम
॥दोहा 43॥
सरनागत कहुँ जे तजहिं निज अनहित अनुमानि।
ते नर पावँर पापमय तिन्हहि बिलोकत हानि॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 43॥
M:- कोटि बिप्र बध लागहिं जाहू के जय सिया राम
आएँ सरन तजउँ नहिं ताहू के जय सिया राम
सनमुख होइ जीव मोहि जबहीं के जय सिया राम
जन्म कोटि अघ नासहिं तबहीं के जय सिया राम
पापवंत कर सहज सुभाऊ के जय सिया राम
भजनु मोर तेहि भाव न काऊ के जय सिया राम
जौं पै दुष्ट हृदय सोइ होई के जय सिया राम
मोरें सनमुख आव कि सोई के जय सिया राम
निर्मल मन जन सो मोहि पावा के जय सिया राम
मोहि कपट छल छिद्र न भावा के जय सिया राम
भेद लेन पठवा दससीसा के जय सिया राम
तबहुँ न कछु भय हानि कपीसा के जय सिया राम
जग महुँ सखा निसाचर जेते के जय सिया राम
लछिमनु हनइ निमिष महुँ तेते के जय सिया राम
जौं सभीत आवा सरनाईं के जय सिया राम
रखिहउँ ताहि प्रान की नाईं के जय सिया राम
॥दोहा 44॥
उभय भाँति तेहि आनहु हँसि कह कृपानिकेत।
जय कृपाल कहि कपि चले अंगद हनू समेत॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 44॥
M:- सादर तेहि आगें करि बानर के जय सिया राम
चले जहाँ रघुपति करुनाकर के जय सिया राम
दूरिहि ते देखे द्वौ भ्राता के जय सिया राम
नयनानंद दान के दाता के जय सिया राम
बहुरि राम छबिधाम बिलोकी के जय सिया राम
रहेउ ठटुकि एकटक पल रोकी के जय सिया राम
भुज प्रलंब कंजारुन लोचन के जय सिया राम
स्यामल गात प्रनत भय मोचन के जय सिया राम
सघ कंध आयत उर सोहा के जय सिया राम
आनन अमित मदन मन मोहा के जय सिया राम
नयन नीर पुलकित अति गाता के जय सिया राम
मन धरि धीर कही मृदु बाता के जय सिया राम
नाथ दसानन कर मैं भ्राता के जय सिया राम
निसिचर बंस जनम सुरत्राता के जय सिया राम
सहज पापप्रिय तामस देहा के जय सिया राम
जथा उलूकहि तम पर नेहा के जय सिया राम
॥दोहा 45॥
श्रवन सुजसु सुनि आयउँ प्रभु भंजन भव भीर।
त्राहि त्राहि आरति हरन सरन सुखद रघुबीर॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 45॥
M:- अस कहि करत दंडवत देखा के जय सिया राम
तुरत उठे प्रभु हरष बिसेषा के जय सिया राम
दीन बचन सुनि प्रभु मन भावा के जय सिया राम
भुज बिसाल गहि हृदयँ लगावा के जय सिया राम
अनुज सहित मिलि ढिग बैठारी के जय सिया राम
बोले बचन भगत भय हारी के जय सिया राम
कहु लंकेस सहित परिवारा के जय सिया राम
कुसल कुठाहर बास तुम्हारा के जय सिया राम
खल मंडली बसहु दिनु राती के जय सिया राम
सखा धरम निबहइ केहि भाँती के जय सिया राम
मैं जानउँ तुम्हारि सब रीती के जय सिया राम
अति नय निपुन न भाव अनीती के जय सिया राम
बरु भल बास नरक कर ताता के जय सिया राम
दुष्ट संग जनि देइ बिधाता के जय सिया राम
अब पद देखि कुसल रघुराया के जय सिया राम
जौं तुम्ह कीन्हि जानि जन दाया के जय सिया राम
॥दोहा 46॥
तब लगि कुसल न जीव कहुँ सपनेहुँ मन बिश्राम।
जब लगि भजत न राम कहुँ सोक धाम तजि काम॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 46॥
M:- तब लगि हृदयँ बसत खल नाना के जय सिया राम
लोभ मोह मच्छर मद माना के जय सिया राम
जब लगि उर न बसत रघुनाथा के जय सिया राम
धरें चाप सायक कटि भाथा के जय सिया राम
ममता तरुन तमी अँधिआरी के जय सिया राम
राग द्वेष उलूक सुखकारी के जय सिया राम
तब लगि बसति जीव मन माहीं के जय सिया राम
जब लगि प्रभु प्रताप रबि नाहीं के जय सिया राम
अब मैं कुसल मिटे भय भारे के जय सिया राम
देखि राम पद कमल तुम्हारे के जय सिया राम
तुम्ह कृपाल जा पर अनुकूला के जय सिया राम
ताहि न ब्याप त्रिबिध भव सूला के जय सिया राम
मैं निसिचर अति अधम सुभाऊ के जय सिया राम
सुभ आचरनु कीन्ह नहिं काऊ के जय सिया राम
जासु रूप मुनि ध्यान न आवा के जय सिया राम
तेहिं प्रभु हरषि हृदयँ मोहि लावा के जय सिया राम
॥दोहा 47॥
अहोभाग्य मम अमित अति राम कृपा सुख पुंज।
देखेउँ नयन बिरंचि सिव सेब्य जुगल पद कंज॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 47॥
M:- सुनहु सखा निज कहउँ सुभाऊ के जय सिया राम
जान भुसुंडि संभु गिरिजाऊ के जय सिया राम
जौं नर होइ चराचर द्रोही के जय सिया राम
आवै सभय सरन तकि मोही के जय सिया राम
तजि मद मोह कपट छल नाना के जय सिया राम
करउँ सद्य तेहि साधु समाना के जय सिया राम
जननी जनक बंधु सुत दारा के जय सिया राम
तनु धनु भवन सुहृद परिवारा के जय सिया राम
सब कै ममता ताग बटोरी के जय सिया राम
मम पद मनहि बाँध बरि डोरी के जय सिया राम
समदरसी इच्छा कछु नाहीं के जय सिया राम
हरष सोक भय नहिं मन माहीं के जय सिया राम
अस सज्जन मम उर बस कैसें के जय सिया राम
लोभी हृदयँ बसइ धनु जैसें के जय सिया राम
तुम्ह सारिखे संत प्रिय मोरें के जय सिया राम
धरउँ देह नहिं आन निहोरें के जय सिया राम
॥दोहा 48॥
सगुन उपासक परहित निरत नीति दृढ़ नेम।
ते नर प्रान समान मम जिन्ह कें द्विज पद प्रेम॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 48॥
M:- सुनु लंकेस सकल गुन तोरें के जय सिया राम
तातें तुम्ह अतिसय प्रिय मोरें के जय सिया राम
राम बचन सुनि बानर जूथा के जय सिया राम
सकल कहहिं जय कृपा बरूथा के जय सिया राम
सुनत बिभीषनु प्रभु कै बानी के जय सिया राम
नहिं अघात श्रवनामृत जानी के जय सिया राम
पद अंबुज गहि बारहिं बारा के जय सिया राम
हृदयँ समात न प्रेमु अपारा के जय सिया राम
सुनहु देव सचराचर स्वामी के जय सिया राम
प्रनतपाल उर अंतरजामी के जय सिया राम
उर कछु प्रथम बासना रही के जय सिया राम
प्रभु पद प्रीति सरित सो बही के जय सिया राम
अब कृपाल निज भगति पावनी के जय सिया राम
देहु सदा सिव मन भावनी के जय सिया राम
एवमस्तु कहि प्रभु रनधीरा के जय सिया राम
मागा तुरत सिंधु कर नीरा के जय सिया राम
दपि सखा तव इच्छा नहीं के जय सिया राम
मोर दरसु अमोघ जग माहीं के जय सिया राम
अस कहि राम तिलक तेहि सारा के जय सिया राम
सुमन बृष्टि नभ भई अपारा के जय सिया राम
॥दोहा 49॥
रावन क्रोध अनल निज स्वास समीर प्रचंड।
जरत बिभीषनु राखेउ दीन्हेउ राजु अखंड॥(क)॥
जो संपति सिव रावनहि दीन्हि दिएँ दस माथ।
सोइ संपदा बिभीषनहि सकुचि दीन्हि रघुनाथ॥(ख)॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 49॥
M:- अस प्रभु छाड़ि भजहिं जे आना के जय सिया राम
ते नर पसु बिनु पूँछ बिषाना के जय सिया राम
निज जन जानि ताहि अपनावा के जय सिया राम
प्रभु सुभाव कपि कुल मन भावा के जय सिया राम
पुनि सर्बग्य सर्ब उर बासी के जय सिया राम
सर्बरूप सब रहित उदासी के जय सिया राम
बोले बचन नीति प्रतिपालक के जय सिया राम
कारन मनुज दनुज कुल घालक के जय सिया राम
सुनु कपीस लंकापति बीरा के जय सिया राम
केहि बिधि तरिअ जलधि गंभीरा के जय सिया राम
संकुल मकर उरग झष जाती के जय सिया राम
अति अगाध दुस्तर सब भाँति के जय सिया राम
कह लंकेस सुनहु रघुनायक के जय सिया राम
कोटि सिंधु सोषक तव सायक के जय सिया राम
जद्यपि तदपि नीति असि गाई के जय सिया राम
बिनय करिअ सागर सन जाई के जय सिया राम
॥दोहा 50॥
प्रभु तुम्हार कुलगुर जलधि कहिहि उपाय बिचारि।
बिनु प्रयास सागर तरिहि सकल भालु कपि धारि॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 50॥
M:- सखा कही तुम्ह नीति उपाई के जय सिया राम
करिअ दैव जौं होइ सहाई के जय सिया राम
मंत्र न यह लछिमन मन भावा के जय सिया राम
राम बचन सुनि अति दुख पावा के जय सिया राम
नाथ दैव कर कवन भरोसा के जय सिया राम
सोषिअ सिंधु करिअ मन रोसा के जय सिया राम
कादर मन कहुँ एक अधारा के जय सिया राम
दैव दैव आलसी पुकारा के जय सिया राम
सुनत बिहसि बोले रघुबीरा के जय सिया राम
ऐसेहिं करब धरहु मन धीरा के जय सिया राम
अस कहि प्रभु अनुजहि समुझाई के जय सिया राम
सिंधु समीप गए रघुराई के जय सिया राम
प्रथम प्रनाम कीन्ह सिरु नाई के जय सिया राम
बैठे पुनि तट दर्भ डसाई के जय सिया राम
जबहिं बिभीषन प्रभु पहिं आए के जय सिया राम
पाछें रावन दूत पठाए के जय सिया राम
॥दोहा 51॥
सकल चरित तिन्ह देखे धरें कपट कपि देह।
प्रभु गुन हृदयँ सराहहिं सरनागत पर नेह॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 51॥
M:- प्रगट बखानहिं राम सुभाऊ के जय सिया राम
अति सप्रेम गा बिसरि दुराऊ के जय सिया राम
रिपु के दूत कपिन्ह तब जाने के जय सिया राम
सकल बाँधि कपीस पहिं आने के जय सिया राम
कह सुग्रीव सुनहु सब बानर के जय सिया राम
अंग भंग करि पठवहु निसिचर के जय सिया राम
सुनि सुग्रीव बचन कपि धाए के जय सिया राम
बाँधि कटक चहु पास फिराए के जय सिया राम
बहु प्रकार मारन कपि लागे के जय सिया राम
दीन पुकारत तदपि न त्यागे के जय सिया राम
जो हमार हर नासा काना के जय सिया राम
तेहि कोसलाधीस कै आना के जय सिया राम
सुनि लछिमन सब निकट बोलाए के जय सिया राम
दया लागि हँसि तुरत छोड़ाए के जय सिया राम
रावन कर दीजहु यह पाती के जय सिया राम
लछिमन बचन बाचु कुलघाती के जय सिया राम
॥दोहा 52॥
कहेहु मुखागर मूढ़ सन मम संदेसु उदार।
सीता देइ मिलहु न त आवा कालु तुम्हार॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 52॥
M:- तुरत नाइ लछिमन पद माथा के जय सिया राम
चले दूत बरनत गुन गाथा के जय सिया राम
कहत राम जसु लंकाँ आए के जय सिया राम
रावन चरन सीस तिन्ह नाए के जय सिया राम
बिहसि दसानन पूँछी बाता के जय सिया राम
कहसि न सुक आपनि कुसलाता के जय सिया राम
पुन कहु खबरि बिभीषन केरी के जय सिया राम
जाहि मृत्यु आई अति नेरी के जय सिया राम
करत राज लंका सठ त्यागी के जय सिया राम
होइहि जव कर कीट अभागी के जय सिया राम
पुनि कहु भालु कीस कटकाई के जय सिया राम
कठिन काल प्रेरित चलि आई के जय सिया राम
जिन्ह के जीवन कर रखवारा के जय सिया राम
भयउ मृदुल चित सिंधु बिचारा के जय सिया राम
कहु तपसिन्ह कै बात बहोरी के जय सिया राम
जिन्ह के हृदयँ त्रास अति मोरी के जय सिया राम
॥दोहा 53॥
की भइ भेंट कि फिरि गए श्रवन सुजसु सुनि मोर।
कहसि न रिपु दल तेज बल बहुत चकित चित तोर॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 53॥
M:- नाथ कृपा करि पूँछेहु जैसें के जय सिया राम
मानहु कहा क्रोध तजि तैसें के जय सिया राम
मिला जाइ जब अनुज तुम्हारा के जय सिया राम
जातहिं राम तिलक तेहि सारा के जय सिया राम
रावन दूत हमहि सुनि काना के जय सिया राम
कपिन्ह बाँधि दीन्हें दुख नाना के जय सिया राम
श्रवन नासिका काटैं लागे के जय सिया राम
राम सपथ दीन्हें हम त्यागे के जय सिया राम
पूँछिहु नाथ राम कटकाई के जय सिया राम
बदन कोटि सत बरनि न जाई के जय सिया राम
नाना बरन भालु कपि धारी के जय सिया राम
बिकटानन बिसाल भयकारी के जय सिया राम
जेहिं पुर दहेउ हतेउ सुत तोरा के जय सिया राम
सकल कपिन्ह महँ तेहि बलु थोरा के जय सिया राम
अमित नाम भट कठिन कराला के जय सिया राम
अमित नाग बल बिपुल बिसाला के जय सिया राम
॥दोहा 54॥
द्विबिद मयंद नील नल अंगद गद बिकटासि।
दधिमुख केहरि निसठ सठ जामवंत बलरासि॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 54॥
M:- ए कपि सब सुग्रीव समाना के जय सिया राम
इन्ह सम कोटिन्ह गनइ को नाना के जय सिया राम
राम कृपाँ अतुलित बल तिन्हहीं के जय सिया राम
तृन समान त्रैलोकहि गनहीं के जय सिया राम
अस मैं सुना श्रवन दसकंधर के जय सिया राम
पदुम अठारह जूथप बंदर के जय सिया राम
नाथ कटक महँ सो कपि नाहीं के जय सिया राम
जो न तुम्हहि जीतै रन माहीं के जय सिया राम
परम क्रोध मीजहिं सब हाथा के जय सिया राम
आयसु पै न देहिं रघुनाथा के जय सिया राम
सोषहिं सिंधु सहित झष ब्याला के जय सिया राम
पूरहिं न त भरि कुधर बिसाला के जय सिया राम
मर्दि गर्द मिलवहिं दससीसा के जय सिया राम
ऐसेइ बचन कहहिं सब कीसा के जय सिया राम
गर्जहिं तर्जहिं सहज असंका के जय सिया राम
मानहुँ ग्रसन चहत हहिं लंका के जय सिया राम
॥दोहा 55॥
सहज सूर कपि भालु सब पुनि सिर पर प्रभु राम।
रावन काल कोटि कहुँ जीति सकहिं संग्राम॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 55॥
M:- राम तेज बल बुधि बिपुलाई के जय सिया राम
सेष सहस सत सकहिं न गाई के जय सिया राम
सक सर एक सोषि सत सागर के जय सिया राम
तव भ्रातहि पूँछेउ नय नागर के जय सिया राम
तासु बचन सुनि सागर पाहीं के जय सिया राम
मागत पंथ कृपा मन माहीं के जय सिया राम
सुनत बचन बिहसा दससीसा के जय सिया राम
जौं असि मति सहाय कृत कीसा के जय सिया राम
सहज भीरु कर बचन दृढ़ाई के जय सिया राम
सागर सन ठानी मचलाई के जय सिया राम
मूढ़ मृषा का करसि बड़ाई के जय सिया राम
रिपु बल बुद्धि थाह मैं पाई के जय सिया राम
सचिव सभीत बिभीषन जाकें के जय सिया राम
बिजय बिभूति कहाँ जग ताकें के जय सिया राम
सुनि खल बचन दूत रिस बाढ़ी के जय सिया राम
समय बिचारि पत्रिका काढ़ी के जय सिया राम
रामानुज दीन्हीं यह पाती के जय सिया राम
नाथ बचाइ जुड़ावहु छाती के जय सिया राम
बिहसि बाम कर लीन्हीं रावन के जय सिया राम
सचिव बोलि सठ लाग बचावन के जय सिया राम
॥दोहा 56॥
बातन्ह मनहि रिझाइ सठ जनि घालसि कुल खीस।
राम बिरोध न उबरसि सरन बिष्नु अज ईस॥(क)॥
की तजि मान अनुज इव प्रभु पद पंकज भृंग।
होहि कि राम सरानल खल कुल सहित पतंग॥(ख)॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 56॥
M:- सुनत सभय मन मुख मुसुकाई के जय सिया राम
कहत दसानन सबहि सुनाई के जय सिया राम
भूमि परा कर गहत अकासा के जय सिया राम
लघु तापस कर बाग बिलासा के जय सिया राम
कह सुक नाथ सत्य सब बानी के जय सिया राम
समुझहु छाड़ि प्रकृति अभिमानी के जय सिया राम
सुनहु बचन मम परिहरि क्रोध के जय सिया राम
नाथ राम सन तजहु बिरोधा के जय सिया राम
अति कोमल रघुबीर सुभाऊ के जय सिया राम
जद्यपि अखिल लोक कर राऊ के जय सिया राम
मिलत कृपा तुम्ह पर प्रभु करिही के जय सिया राम
उर अपराध न एकउ धरिही के जय सिया राम
जनकसुता रघुनाथहि दीजे के जय सिया राम
एतना कहा मोर प्रभु कीजे के जय सिया राम
जब तेहिं कहा देन बैदेही के जय सिया राम
चरन प्रहार कीन्ह सठ तेही के जय सिया राम
नाइ चरन सिरु चला सो तहाँ के जय सिया राम
कृपासिंधु रघुनायक जहाँ के जय सिया राम
करि प्रनामु निज कथा सुनाई के जय सिया राम
राम कृपाँ आपनि गति पाई के जय सिया राम
रिषि अगस्ति कीं साप भवानी के जय सिया राम
राछस भयउ रहा मुनि ग्यानी के जय सिया राम
बंदि राम पद बारहिं बारा के जय सिया राम
मुनि निज आश्रम कहुँ पगु धारा के जय सिया राम
॥दोहा 57॥
बिनय न मानत जलधि जड़ गए तीनि दिन बीति।
बोले राम सकोप तब भय बिनु होइ न प्रीति॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 57॥
M:- लछिमन बान सरासन आनू के जय सिया राम
सोषौं बारिधि बिसिख कृसानु के जय सिया राम
सठ सन बिनय कुटिल सन प्रीति के जय सिया राम
सहज कृपन सन सुंदर नीति के जय सिया राम
ममता रत सन ग्यान कहानी के जय सिया राम
अति लोभी सन बिरति बखानी के जय सिया राम
क्रोधिहि सम कामिहि हरिकथा के जय सिया राम
ऊसर बीज बएँ फल जथा के जय सिया राम
अस कहि रघुपति चाप चढ़ावा के जय सिया राम
यह मत लछिमन के मन भावा के जय सिया राम
संधानेउ प्रभु बिसिख कराला के जय सिया राम
उठी उदधि उर अंतर ज्वाला के जय सिया राम
मकर उरग झष गन अकुलाने के जय सिया राम
जरत जंतु जलनिधि जब जाने के जय सिया राम
कनक थार भरि मनि गन नाना के जय सिया राम
बिप्र रूप आयउ तजि माना के जय सिया राम
॥दोहा 58॥
काटेहिं पइ कदरी फरइ कोटि जतन कोउ सींच।
बिनय न मान खगेस सुनु डाटेहिं पइ नव नीच॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 58॥
M:- सभय सिंधु गहि पद प्रभु केरे के जय सिया राम
छमहु नाथ सब अवगुन मेरे के जय सिया राम
गगन समीर अनल जल धरनी के जय सिया राम
इन्ह कइ नाथ सहज जड़ करनी के जय सिया राम
तव प्रेरित मायाँ उपजाए के जय सिया राम
सृष्टि हेतु सब ग्रंथनि गाए के जय सिया राम
प्रभु आयसु जेहि कहँ जस अहई के जय सिया राम
सो तेहि भाँति रहें सुख लहई के जय सिया राम
प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्हीं के जय सिया राम
मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्हीं के जय सिया राम
ढोल गवाँर सूद्र पसु नारी के जय सिया राम
सकल ताड़ना के अधिकारी के जय सिया राम
प्रभु प्रताप मैं जाब सुखाई के जय सिया राम
उतरिहि कटकु न मोरि बड़ाई के जय सिया राम
प्रभु अग्या अपेल श्रुति गाई के जय सिया राम
करौं सो बेगि जो तुम्हहि सोहाई के जय सिया राम
॥दोहा 59॥
सुनत बिनीत बचन अति कह कृपाल मुसुकाइ।
जेहि बिधि उतरै कपि कटकु तात सो कहहु उपाइ॥
कोरस :- जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
जय सिया राम बोलो जय सिया राम बोलो जय सिया राम
॥चौपाई 59॥
M:- नाथ नील नल कपि द्वौ भाई के जय सिया राम
लरिकाईं रिषि आसिष पाई के जय सिया राम
तिन्ह कें परस किएँ गिरि भारे के जय सिया राम
तरिहहिं जलधि प्रताप तुम्हारे के जय सिया राम
मैं पुनि उर धरि प्रभु प्रभुताई के जय सिया राम
करिहउँ बल अनुमान सहाई के जय सिया राम
एहि बिधि नाथ पयोधि बँधाइअ के जय सिया राम
जेहिं यह सुजसु लोक तिहुँ गाइअ के जय सिया राम
एहि सर मम उत्तर तट बासी के जय सिया राम
हतहु नाथ खल नर अघ रासी के जय सिया राम
सुनि कृपाल सागर मन पीरा के जय सिया राम
तुरतहिं हरी राम रनधीरा के जय सिया राम
देखि राम बल पौरुष भारी के जय सिया राम
हरषि पयोनिधि भयउ सुखारी के जय सिया राम
सकल चरित कहि प्रभुहि सुनावा के जय सिया राम
चरन बंदि पाथोधि सिधावा के जय सिया राम
॥छन्द 3॥
निज भवन गवनेउ सिंधु श्रीरघुपतिहि यह मत भायऊ।
यह चरित कलि मल हर जथामति दास तुलसी गायऊ॥
सुख भवन संसय समन दवन बिषाद रघुपति गुन गना।
तजि सकल आस भरोस गावहि सुनहि संतत सठ मना॥
॥दोहा 60॥
सकल सुमंगल दायक रघुनायक गुन गान।
सादर सुनहिं ते तरहिं भव सिंधु बिना जलजान॥
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