स्थायी :- जिसके तट पर मुक्ति पाता सारा सकल जहान सुनो गंगा की कथा महान करे माँ सबका ही कल्याण
कोरस:- सुनो गंगा की कथा महान करे माँ सबका ही कल्याण-2
वार्ता :- मोक्ष दायनी पाप नाशिनी भव से तारणी भागीरथी देवो की प्यारी शिव की दुलारी विष्णु पदी श्री माँ गंगे नमो नमः भक्तो गंगा जी के बिना तो कभी मोक्ष प्राप्त नहीं हो सकता न पापो का विनाश हो सकता त्रिलोक निवासिनी माँ गंगा ही एक ऐसी देवी है जो जीवन से अंत तक हमारा साथ निभाती है कामी क्रोधी लोभी पापी सब इसकी शरण में मोक्ष प्राप्त करते है आइये भक्तो अब हम तुम्हे माँ गंगे की पावन गाथा सुनाते है जो कल्याणकारी है !
१
माँ गंगे मगर विहिनी सुरेश्वरि विष्णु पदी माँ
है माता मोक्ष दायिनी माँ गंगे पाप नाशिनी
कोरस:- है माता मोक्ष दायिनी माँ गंगे पाप नाशिनी -2
सदा विष्णु की दीवानी सुनो गंगा की कहानी
सूर्यवंशी एक राजा सगर की दो थी रानी
कोरस:- सूर्यवंशी एक राजा सगर की दो थी रानी-2
धर्मिदानी महातपस्वी राजा सागर महान
जगत में था इनका सम्मान जगत में था इनका सम्मान
कोरस:- सुनो गंगा की कथा महान करे माँ सबका ही कल्याण
वार्ता :- धर्मिदानी महातपस्वी राजा सगर के राज्य में प्रजा सदा सुखी और आनंद मानती अपने महाराज का जय जयकार करती सदा सम्मान करती भक्तो माँ गंगा भूलोक में कैसे पधारी इसी पाप नाशिनी माँ गंगे का एक प्रसंग सुना रहा हूं भक्तो सम्राट सगर की दो रनिया थी पहली पत्नी वेदमि तथा दूसरी पत्नी शैव्या
शैव्या का एक पुत्र था असमंजस तथा वेदमि को शंकर भगवान की कृपा से एक पिंड के द्वारा साठ हजार पुत्र हुए राजा सगर ने अश्वमेघ का घोडा छोड़ा वो इंद्र देव ने कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिया
सगर पुत्र चले है खोज घोड़े की लगाने
कपिल के आश्रम आये न महिमा मुनि की जाने
कोरस :- कपिल के आश्रम आये न महिमा मुनि की जाने-2
किया प्रणाम ना उनको दुखी किया मुनि के मन को
बंधा था घोडा जहा पर मुनि बैठे थे वहां पर
कोरस :- बंधा था घोडा जहा पर मुनि बैठे थे वहां पर-2
कपिल मुनि फिर क्रोध में आये सह ना सके अपमान
सुनो गंगा की कथा महान सुनो गंगा की कथा महान
कोरस :- सुनो गंगा की कथा महान सुनो गंगा की कथा महान
वार्ता :- राजा सगर के साठ हजार पुत्र घोड़े को खोजते खोजते हुए कपिल मुनि के आश्रम आये वहा घोड़े को बंधा देख सभी प्रसन्न हो गए कपिलमुनि को प्रणाम किये बिना ही घोड़े को पकड़ने दौड़े मुनि ने अपना अनादर देख के क्रोध में आये और उनकी क्रोध भरी दृष्टि से सगर के साठ हजार पुत्र वही पर भस्म हो गए राख का ढेर हो गए जब यह समाचार सगर को मिला तो व्याकुल होकर तप करने घने जंगल में चले गए और वो सफल ना हो पाए और उनकी मृत्यु हो गयी तब उनके पुत्र असमंजस अपने भाइयो के उद्धार के लिए कठिन तप करने लगे और अंत में वो भी असफल हो गए और मृत्यु को प्राप्त हो गए
३
हुए असफल और बेवश पाए मृत्यु असमंजस
पुत्र अंशुमान भी आये करे तप और ध्यान लगाय
कोरस :- पुत्र अंशुमान भी आये करे तप और ध्यान लगाय -2
मुनि की सेवा करके अश्व को वापिस लाये
यज्ञ तो पूर्ण हुआ पर मगर चिंता ये खाये
कोरस :- यज्ञ तो पूर्ण हुआ पर मगर चिंता ये खाये -2
अपने पुरखो की मुक्ति का कैसे करू निदान
सुनो गंगा की कथा महान सुनो गंगा की कथा महान
कोरस :- सुनो गंगा की कथा महान सुनो गंगा की कथा महान
वार्ता :- तब अंशुमान ने आग्रह करके उपाय पूछा तो कपिल मुनि बोले बिना गंगा के तो इनकी मुक्ति असम्भव है जब गंगा जी पृथ्वी पर आएगी तभी इनका उद्धार होगा अंशुमान ने गंगा को लाने के लिए बहुत प्रयास किया कठिन तप किया परन्तु वो भी असफल हो गया काल की गोद में चले गए फिर अंशुमान के पुत्र दलीप ने भी बहुत प्रयास किया पर वो असफल हो गए दलीप के पुत्र भगीरथ ने निश्चय किया गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए उन्होंने तप के द्वारा भगवान विष्णु ब्रम्हा और शिव को मनाया विष्णु जी ने गंगा से कहा तुम इसी पल पृथ्वी पर जाके भगीरथ के पुरखो को मुक्ति देकर पवित्र करना होगा माँ गंगा बोली है प्रभु मेरे इस तेज वेग को कौन धारण करेगा तब भगवान बोले
४
भोले शंकर त्रिपुरारी प्रतीक्षा करे तुम्हारी
करेंगे शीश पर धारण तुम्हे वो डमरू धारी
कोरस :- करेंगे शीश पर धारण तुम्हे वो डमरू धारी -2
हुआ दुःख का ये निवारण किया गंगा को धारण
हुए जब भोले राजी माँ गंगा शीश विराजी
कोरस :- हुए जब भोले राजी माँ गंगा शीश विराजी -2
कठिन समस्या एक पल में ही कर डाली आसान
सुनो गंगा की कथा महान सुनो गंगा की कथा महान
कोरस :- सुनो गंगा की कथा महान सुनो गंगा की कथा महान
वार्ता :- शिवजी ने एक बून्द पृथ्वी पर छोड़ी तब गंगा अवतरण हुआ गंगा वहां से भगीरथ के पीछे पीछे तेज वेग से चली उनके वेग से जहानु ऋषि का आश्रम बहने लगा तो उन्होंने कुपित होकर गंगा का आचमन कर लिया तब भगीरथ जह्नुऋषि से हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगे
४
कहे फिर हाथ जोड़कर क्षमा करो है मुनिवर
आप गंगा लौटा ए मेरे पुरखे के तर जाए
कोरस :- आप गंगा लौटाए मेरे पुरखे के तर जाए-2
सुनी जब भक्त की वाणी चिर कर जंघा अपनी
प्रकट की मोक्ष दायनी जहनवी गंगा रानी
कोरस :- प्रकट की मोक्ष दायनी जहनवी गंगा रानी-2
भगीरथ की कठिन तपस्या होने लगी आसान
सुनो गंगा की कथा महान सुनो गंगा की कथा महान
कोरस :- सुनो गंगा की कथा महान सुनो गंगा की कथा महान
५
वार्ता :- भगीरथ की प्रार्थना स्वीकार कर गंगा माँ उनके साठ वहां आयी जहाँ उनके पुरखे भस्म हुए थे पवित्र पावन गंगा का स्पर्श होते ही राजा सगर के सारे राज कुमार पवित्र बैकुंठ धाम चले गए भगीरथ पुरखो को तार के धन्य हुए गंगा जी को भगीरथ लाये इसलिए गंगा भगीरथ कहलाये
५
ना भगीरथ जी होते ना गंगा को हम पाते
अगर गंगा ना आती कभी ना मुक्ति ना होती
कोरस :- अगर गंगा ना आती कभी ना मुक्ति ना होती -2
जो गंगा धाम पे आते दुखो से मुक्ति पाते
गंगा माँ के गुण गाते दिप श्रद्धा के जलाते
कोरस :- गंगा माँ के गुण गाते दिप श्रद्धा के जलाते -2
सुहाग हमारा अमर रहे सुहागन मांगे वरदान
सुनो गंगा की कथा महान सुनो गंगा की कथा महान
कोरस :- सुनो गंगा की कथा महान सुनो गंगा की कथा महान
वार्ता :- भक्तो दूर दूर से यात्री हरिद्वार आकर गंगा जी में डुबकी लगा कर पाप मुक्त हो जाते है और पावन गंगा जल का आचमन करके रोग मुक्त हो जाते और यहाँ पास में ही चंडी और मनसा जी के दर्शन पाकर धन्य हो जाते है इसी तरह भक्तो गंगा और सरस्वती लक्ष्मी विवाद प्रसंग आया है आइये हम संक्षिप्त में सुनाते है कथा के माधयम से
६
लक्ष्मी गंगा सरस्वती हरी की पत्नी कहलाती
सभी विष्णु जी को चाहती उनकी का ध्यान लगाती
कोरस :- सभी विष्णु जी को चाहती उनकी का ध्यान लगाती-2
एक दिन तुम्हे बताये हुई तीनो में लड़ाई
सरस्वती गंगा ने फिर बात हद से ही बढ़ाई
कोरस :- सरस्वती गंगा ने फिर बात हद से ही बढ़ाई-2
देख के इन तीनो का झगड़ा , विष्णु हुए हैरान
सुनो गंगा की कथा महान सुनो गंगा की कथा महान
कोरस :- सुनो गंगा की कथा महान सुनो गंगा की कथा महान
७
वार्ता :- गंगा सरस्वती लक्ष्मी विष्णु जी की तीनो पत्नी बताई जाती है एक दिन विष्णु जी ने गंगा को प्रेम वश ज्यादा ही लगाव दिखाया इसे देख के सरस्वती के मन में ईर्ष्या भाव आया अपनी अपेक्षा होने पर सरस्वती ने विष्णु जी को खरी खोटी सुनाई और गंगा और लक्ष्मी से भी झगड़ा करने लगी यहाँ देखकर विष्णु जी ने पत्नियों के कलह के कारण बाहर चले गए
एक दूजे को देती श्राप तीनो ही देवियां
गंगा सरस्वती से बोली नदी बनकर तू बहेगी
कोरस :- गंगा सरस्वती से बोली नदी बनकर तू बहेगी -2
बोली गंगा से सरस्वती तेरी भी होगी दुर्गति
अस्थियां ढोने वाली जा तू भी नदी बनेगी
कोरस :- अस्थियां ढोने वाली जा तू भी नदी बनेगी -2
वृक्ष बनेगी तू भी लक्ष्मी श्राप मेरा सच जान
सुनो गंगा की कथा महान सुनो गंगा की कथा महान
कोरस :- सुनो गंगा की कथा महान सुनो गंगा की कथा महान
वार्ता :- इसी श्राप के कारण मृत को की अस्थियां ढोने वाली गंगा में आज भी नदी के रूप में पृथ्वी लोक पर निरंतर बह रही है और लक्ष्मी तुलसी का वृक्ष बनकर शालिग्राम रूप में पूजा कर रही है गंगा जी एक मात्र ऐसी देवी है जो सब की मनोकामना पूर्ण करती है
९
सुहाने पर्व जो आते कुम्भ के मेले लगते
अखाड़े नागाओ के यहाँ स्नान को आते
कोरस :- अखाड़े नागाओ के यहाँ स्नान को आते-2
देवगन कुम्भ नहाते आरती माँ की गाते
यहाँ के सभी दृश्य ये स्वर्ग के जैसे दीखते
कोरस :- यहाँ के सभी दृश्य ये स्वर्ग के जैसे दीखते -2
गंगा धाम के तीरथ की तो बड़ी अनोखी शान
सुनो गंगा की कथा महान सुनो गंगा की कथा महान
कोरस :- सुनो गंगा की कथा महान सुनो गंगा की कथा महान
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