कोरस:- ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
M:- ॐ नमः शिवाय बोलिये देवाधिदेव भोलेनाथ महादेव की
कोरस :- जय
M:- भक्तो , भोलेनाथ सत्य है भोलेनाथ शिव है और भोलेनाथ ही सुन्दर है भोलेशंकर ही आदि है और भोलेनाथ ही अंत ऐसे भोले है जो मात्र सच्ची श्रद्धा और सच्चे भाव के साथ अर्पित किये गए एक लोटा गंगाजल से ही प्रसन्न हो जाते है कहते है जो प्राणी भगवान शिव के पावन सोमवार के व्रत रखता है उन्हें श्रद्धा से माँगा फल व् बेल पत्र आदि अर्पित करता है और सायकर सोमवार व्रत कथा का पठान श्रवण कर एक साथ फलाहार करता है वो प्राणी जीवन के समस्त सुख भोग कर अंतरः शिवलोक को प्राप्त करता है तो आइये सुनतेहै भगवान शिव के पावन व्रत की कथा एक बार फिर बोलिये देवाधिदेव भोलेनाथ महादेव की
कोरस :- जय
M:- पावन सोमवार व्रत गाथा श्रद्धा से जो सुनाता
हो कल्याण जी पाता है शिव से वरदान जी
शिव भक्ति से तन मन रंग लो
भक्तो नमः शिवाय सुमरलो
शिव नाम जो पाता है शिव से वरदान जी
कोरस :- पाता है शिव से वरदान जी
M:- भक्तो सोमवार पावन व्रत कथा कुछ इस प्रकार है किसी नगर में एक साहूकार सेठ अपनी धर्मपत्नी के साथ रहता था जीवन में धन धान्य की कोई कमी नहीं थी परन्तु एक ही दुःख था की उनके कोई संतान नहीं थी दोनों प्रत्येक सोमवार को शिवजी का व्रत करते उन्हें गंगाजल बेल पत्र इत्यादि अर्पित करते सायकल पूजन आरती कर फल प्रसाद ग्रहण करते और कातर स्वर में भोलेनाथ से प्रार्थना करते की भगवन जीवन में सब कुछ आपका ही दिया हुआ है बस एक पुत्र की कमी है कृपा करो दीनानाथ कृपा रो समय व्यतीत होता गया भक्तो एक एक कर 16 सोमवार व्यतीत हो गए और 16 वे सोमवार केवरात के पश्चात जब दोनों की मुराद पूर्ण ना हुई तो रो रो कर भगवान शिव से ये प्रार्थना करने लगे
M:- भगीरथ को गंगा दे दी और रावण ने लंका पायी
हमरी बारी भोले बाबा क्यों कर तुमने देर लगाई
खली गोद है बाबा हमारी कृपा हो जाए तुम्हारी दो संतान जी
दर पे खड़े है खाली हाथ जी
कोरस :- दर पे खड़े है खाली हाथ जी
M:- दोनों की करुणा पुकार
पावन सोमवार व्रत गाथा श्रद्धा से जो सुनाता
हो कल्याण जी पाता है शिव से वरदान जी
कोरस :- पाता है शिव से वरदान जी
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
M:- दोनों की करुणा पुकार माता पारवती से सुनी नहीं हाई भक्तो वो भोलेनाथ से बोली स्वामी आपके दर से आज तक कोई खाली नहीं लोटा फिर क्यों आप इन्हे संतान का वरदान नहीं देते भोलेनाथ बोले प्रिये प्राणी अपने कर्मानुसार ही फल प्राप्त करता है इनके पूर्व जन्मो के कर्मोत्तर इस जनम में इन्हे संतान का सुख नहीं है परन्तु माँ गोरा एक ना मानी बोली भगवान इन्होने पूरी श्रद्धा भाव के साथ आपके 16 सोमवार के व्रत रखे है फिर भला ये मन इच्छित वरदान से वंचित कैसे रह सकते है इन्हे तत्काल संतान का सुख प्रदान कीजिये माता की हठ के आगे भगवान शिव भी टिक नहीं पाए और उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दे दिया परन्तु यह भी बता दिया जो ही ये बालक 12 वर्ष का हो जायेगा इसकी अकाल मृत्यु हो जाएगी यह बाल सेठ सेठानी दोनों ने सुनली दिर सोचा 12 वर्ष पश्चात की बात बाद में सोचेंगे अभी तो 11 वर्ष सुख से बिताये
M:- सुन्दर बालक गोद में आया माँ बाबा ने लाड लड़ाया
मिलकर शिव की भक्ति करके हर पल शिव का नाम सुमिरते
11 वर्ष हो गए पुराण चिंतित हो गया दोनों का मन हुआ बेहाल जी मामा को बुलाया तत्काल जी
कोरस :- मामा को बुलाया तत्काल जी
M:- पावन सोमवार व्रत गाथा श्रद्धा से जो सुनाता
हो कल्याण जी पाता है शिव से वरदान जी
कोरस :- पाता है शिव से वरदान जी
M:- दोनों ने लड़के के मामा को बुलाया ढेर सारा धन देकर यह समझाया की आज से पुरे एक वर्ष अब तुम दोनों तीर्थाटन करेंगे हर तीर्थ पर यज्ञ हवन करते जाना भवगण शिव के महा मृत्युंजय मंत्र का पथ करते जाना और जिस दिन इसका 12वा जन्मदिन हो तुम कशी विश्वनाथ मंदिर में होने चाहिए इस बात का ध्यान रहे ढेर सारा धन धान्य लेकर दोनों मामा भांजा तीर्थाटन को निकल पड़े
M:- तीर्थाटन वो करते जाते यज्ञ हवन में ध्यान लगाते
महामृत्युंजय जाप वो करते शिव के नाम को रटे सुमरते
लगभग 1 वर्ष था बिता पढ़ते रामायण और गीता
सुबह शाम जो आ गए काशी वाले धाम जी
कोरस :- आ गए काशी वाले धाम जी
M:- पावन सोमवार व्रत गाथा श्रद्धा से जो सुनाता
हो कल्याण जी पाता है शिव से वरदान जी
कोरस :- पाता है शिव से वरदान जी
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
M:- भक्तो 12वे जन्मदिन की घड़ी भी आ गयी अब उसे 12 वर्ष के होने में मात्र एक रात्रि बची थी भक्तो माता पिता के वचनानुसार वो दोनों काशी के धामा में थे दोनों मां भाँजे पूरी रात यज्ञ हवन करते रहे महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते रहे भगवान भोलेनाथ के नाम के अटूट मंत्र का जाप करते रहे भगवान भोले नाथ के नाम अतुटू भंगार करवाते रहे परन्तु जैसे जैसे सूर्योदय की बेला आने लगी सेठ सेठानी के पुत्र की तबियत बिगड़ने लगी और ज्यो ही सूर्योदय हुआ भांजे ने अपने प्राण त्याग दिए मां जोर जोर से विलाप कर भगवान शिव को पुकारता था उधर उसका रुदन माँ गोरा के कानो में पड़ा माँ शिवजी से बोली भगवान ये व्यक्ति क्यों रो रहा है इसका रुदन मुझको सहन नहीं हो रहा आप कृपा कर इसको दरश दीजिये इसका कष्ट मिटाइये भोलेबाबा ने माँ पारवती को बताया ये वही बालक है जिसे मेने वरदान स्वरूप सेठ सेठानी को दिया था आज यह 12 वर्ष का हुआ और मेरे कथनानुसार इसकी मृत्यु हो गयी इस पर माँ पारवती बोली भगवन पुरे 1 वर्ष तक यज्ञ हवन दान पुण्य करता रहा आपका अति हितकारी महामृत्युंजय मंत्र का पथ करता रहा फिर भला इसकी अकाल मृत्यु कैसे हो सकती है आप तुरंत इसे जीवन दान दे एक बार फिर भोले बाबा माँ गोरा की हठ के आगे हार गए और बालक को जीवन दान दे दिया
M:- शिव ही जाने शिव की माया शिव महिमा कोई जान ना पाया
जीवन दान दिया बालक को उठ बालक ने नाम को गाया
जय हो शिव शंकर त्रिपुरारी तुम भोले बाबा भण्डारी
दीनानाथ रे तेरे होते कोई ना अनाथ रे
कोरस :- तेरे होते कोई ना अनाथ रे
M:- उधर सेठ सेठानी जो अब तक अश्रुओ की धार में दुबे हुए थे जब उन्हें ज्ञात हुआ की उनके पुत्र को जीवनदान मिल गया है तो मारे प्रसन्नता के फुले नहीं समाये दौड़ के भगवान शिव चरणों में गिर गए और श्रद्धा भाव से शिव का गुणगान करने लगे इधर दोनों मां भंजा नगर में वापिस आ गए अब पूरा परिवार मिलकर सदा शिव भक्ति करता सोमवार का व्रत बड़े विधिपूर्वक करता भगवान शिव को जलाभिषेक देता साय काल पूजन आरती कर फलाहार ग्रहण कर शिव के प्रसाद को ग्रहण करता तो देखा अपने भक्तो जिस प्रकार सोमवार के पावन व्रत रखने से सेठ सेठानी की हर मनोकामना पूरी हुई वैसे ही इस घनघोर कलयुग में कोई भी प्राणी भगवान शिव के पवित्र सोमवार का व्रत करता है उन्हें जलांजलि अर्पित करता है उनका गुणगान करता है वो प्राणी जीवन में समस्त सुख भोगकर अंत में शिवलोक प्राप्त करता है तो एक बार फिर पूरी श्रद्धा भाव के साथ बोलिये शंकर भगवान की जय
M:- सोमवार व्रत जो कर जाए गंगाजल शिवलिंग पे चढ़ाये
व्रत कथा का पाठ करे जो चंदन तिलक जो शिव पे चढ़ाये
पावन हो जाता है तन मन आ जाता जीवन में सावन
हो कल्याण रे पाता है शिव से वरदान रे
कोरस :- पाता है शिव से वरदान रे
M:- पावन सोमवार व्रत गाथा श्रद्धा से जो सुनाता
हो कल्याण जी पाता है शिव से वरदान जी
कोरस :- पाता है शिव से वरदान जी पाता है शिव से वरदान जी
पाता है शिव से वरदान जी पाता है शिव से वरदान जी
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