सोमवार व्रत महिमा लिरिक्स हिंदी में (Somvar Vrat Katha Lyrics in Hindi)
शिव महादानी भोले नाथ की कथा सुनाते है
पावन कथा सुनाते है
सोमवार के महाव्रत की महिमा गाके बतातो है
हम कथा सुनाते है
सत्य कथा एक महादेव की आज बताते है
हम कथा सुनाते है
सोमवार के महाव्रत की महिमा गाके सुनाते है
हम कथा सुनाते है
ॐ नमः शिवाय बोलो ॐ नमः शिवाय
ॐ सोमेश्वराय बोलो ॐ नमः शिवाय
सोमवार की कथा सुनाऊ सुनो लगा के ध्यान
सब से बड़े वरदानी है शिव शंकर भगवान्
जो भी करता शिव की तपस्या होता वही निहाल
उसे फ़िक्र ना कोई चिंता रहता है खुशहाल
किसी नगर में रहता था एक धनिक परिवार
शिव शंकर की भक्ति करता था वो था साहूकार
नियम से जाता था शिव मंदिर सेठ वो सातो बार
सोमवार के दिन रहता था पुरे दिन निराहार
साहूकार की शिव भक्ति हम तुम्हे दिखाते है
सोमवार के महाव्रत की कथा सुनाते है
हम कथा सुनाते है
ॐ नमः शिवाय बोलो ॐ नमः शिवाय
ॐ सोमेश्वराय बोलो ॐ नमः शिवाय
वार्ता
किसी नगर में एक साहूकार रहता था वो साहूकार भगवान् महादेव का परम भक्त था उसके घर में धन धान्य की कमी नहीं थी ,कमी थी तो बस एक संतान की एक संतान के लिये पति पत्नी दिन रात रोते बिलखते रहते थे एक दिवस जब साहूकार शिव मंदिर में पूजा कर रहा था देव योग वश उस दिन शिव पार्वती के जी मंदिर में आये थेI
पूजा करता महादेव का रो रो के साहूकार
गंगा जल के बदले बह रही आँखों से जलधार
पार्वती शिव से कहती है नाथ सुनो मेरी बात
मुझसे देखे नहीं जा रहे इसके ये हालात
पुत्र रत्न का वर दे कर के करो इसे खुशहाल
साहूकार है सब से बड़ा पर पुत्र बिना कंगाल
इसके भगय में सुनो पार्वती नहीं कोई संतान
हँसके बोले पार्वती से शिव शंकर भगवान्
सुनके सेठ की आँखों से आंसू बहते जाते है
सोमवार के महाव्रत की गाकर के सुनाते है
हम कथा सुनाते है
ॐ नमः शिवाय बोलो ॐ नमः शिवाय
ॐ सोमेश्वराय बोलो ॐ नमः शिवाय
वार्ता
भोले नाथ की बात सुनके पार्वती जी कहती है , हे स्वामी मै कुछ नहीं जानती ये साहूकार आप का परम भक्त है तो इसके कष्ट दूर करने की जिम्मेदारी आपकी है आप इसे संतान प्राप्ति का वरदान दे दीजिये भोले नाथ बोले ठीक है मै इसको पुत्र प्राप्ति का वरदान देता हूँ परन्तु उस बालक की आयु मात्र बारह वर्ष ही होगी बारह वर्ष के पश्चात वो बालक मृत्यु को प्राप्त हो जाएगा ये सारी बाते साहूकार सुन रहा था चुपचाप
पूजा शिव की पूरी करके चला गया साहूकार
लेकिन उसके मन में मचा था भारी हाहाकार
किसी को उसने कुछ ना बताया मंदिर वाली बात
अपने कार्य को होके मगन वो करता रहा चुपचाप
नियम से वो शिव मंदिर जाता करता पूजा पाठ
एक दिन सेठ से बोली सेठानी सुनो ख़ुशी की बात
भोले नाथ ने सुनली अपनी पल रहा गर्भ में लाल
पुत्र रत्न से हो जायेंगे हम भी मालामाल
साहूकार जी मन की अपनी कह ना पाते
सोमवार के महाव्रत की गाकर के सुनाते है
हम कथा सुनाते है
ॐ नमः शिवाय बोलो ॐ नमः शिवाय
ॐ सोमेश्वराय बोलो ॐ नमः शिवाय
वार्ता
पत्नी की बात सुनके सेठ ने कोई प्रतिक्रिया नहीं की क्यों की सेठ को पता था की मेरे पुत्र की आयु मात्र बारह वर्ष ही है कुछ महीनो के बाद वो दिन भी आ गया जब सेठानी ने एक सुन्दर से बालक को जन्म दिया सेठ ने कोई ख़ुशी नहीं मनाई पहले की तरह सामान्य ही रहे पुत्र जब बड़ा हो गया तो सेठ ने अपने साले को यानी के बच्चे के मामा को बुलवा के कहा की तुम उसको लेकर काशी चले जाओ विद्या अध्यन के लिए रास्ते में हवन यज्ञ भंडारे करवाते हुए जाना जब शिक्षा पूरी हो जाए तो इसको लेकर वापस आ जाना I
मामा भांजा चल दिए दोनों काशी जी की ओर
फूल कमला के जैसे लगता बालक सुघर किशोर
जहाँ करे विश्राम रात को करे यज्ञ और दान
भंडारे करवाके करते द्रव्य वस्त्र का दान
चलते चलते हुए गए वो किसी नगर के पास
ढलने वाली सांझ थी सोचा कर ले यही निवास
एक सराय में ठहर गए वो करने लगे विश्राम
किस्मत अब उस की करती है क्या काम
इसके आगे जो होता है वो बतलाते है
सोमवार के महाव्रत की गाकर के सुनाते है
हम कथा सुनाते है
ॐ नमः शिवाय बोलो ॐ नमः शिवाय
ॐ सोमेश्वराय बोलो ॐ नमः शिवाय
वार्ता
उस सराय के बगल में शामियाने सजाये एक बरात ठहरी हुयी थी ,जो उस नगर के साहूकार के बेटो को ब्याहने के लिए आयी थी सब कुछ अच्छा था बस दूल्हा कुरूप और एक आंख से काना था उसी बात को लेकर दूल्हे का बाप परेशान था की लड़की मेरे लड़के को देखते ही शादी से मना कर देगी तभी उसकी नजर सराये में सो रहे साहूकार के दूल्हे का बाप लड़के के मामा से कहता है भाई मेरी लाज बचा लीजिये लड़के का मामा हैरान परेशान दूल्हे के बाप मुँह देखता रह जाता है दूल्हे का बाप बोला सिर्फ द्वारा पूजा तक के लिए आपके बालक को दूल्हा बना के ले जाना चाहता हूँ इसके बदले में मुँह मांगी दौलत देने के लिए तैयार हूँ I
हाथ जोड़ के हो के रुवासा वो दूल्हे का बाप
करे निवेदन मामा से उसके करते हुए विलाप
हामी भर दी मामा ने उसके हो गया वो तैयार
दूल्हा बन के उसका भांजा पहुंचा पूजा द्वार
चंद्र के जैसे चमके मुखड़ा लगता राज कुमार
रेशम जोड़ा फूलो का सेहरा लटक रही तलवार
सुंदर रूप देख दूल्हे का मोहित हो गए लोग
अब आगे का भक्तो देखो कैसा है संयोग
इसके आगे क्या होता है वो बतलाते है
सोमवार के महाव्रत की गाकर के सुनाते है
हम कथा सुनाते है
ॐ नमः शिवाय बोलो ॐ नमः शिवाय
ॐ सोमेश्वराय बोलो ॐ नमः शिवाय
वार्ता
द्वार पूजा पर दूल्हे को देख के सभी मन्त्र मुग्ध हो जाते द्वार पूजा के बाद विवाह की रश्म होनी थी काने दूल्हे के बाप को चिंता बढ़ती जा रहे थी द्वारे पूजा तो हो गई अब फेरो पे मेरे बेटे को देख के क्या कहेंगे ससुराल वाले ये सोच के वो फिर से साहूकार के लड़के के मामा के पास जाता है और विनती करता है की फेरे भी करवा दो बदले में जो चाहो ले लो उसका मामा तैयार हो जाता है
फेरे करवाने की खातिर मामा हुआ तैयार
बना के दूल्हा भेज दिया फिर अपना राज कुमार
हो गई शादी फेरे हो गए काना छुपा रहा
ओढ़ के चादर काना था कोने में पड़ा रहा
भोजन कर के दूल्हा दुल्हन कोहबर में जाते है
दूल्हा दुल्हन आपस में
हसंते बतलाते है
नींद आ गई दुल्हन को जब दूल्हा चला गया
सारे बाते चुन्नी पे लिख कर के चला गया
वहां से मामा भांजा दोनों काशी आते है
सोमवार के महाव्रत की गाकर के सुनाते है
हम कथा सुनाते है
ॐ नमः शिवाय बोलो ॐ नमः शिवाय
ॐ सोमेश्वराय बोलो ॐ नमः शिवाय
वार्ता
सुबह जब दुल्हन सो के उठती है तो अपने दूल्हे को गायब पाती है अपने चुन्नी पे देखती है सारी सचाई लिखी हुयी थी की मै तुम्हाता पति नहीं तुम्हारा पति तो एक कान्हा है मै तो सिर्फ फेरो तक के लिए तुम्हारा पति था अब मै काशी जा रहा हूँ विद्या ग्रहण के लिए दुल्हन सारी बात अपने पिता से बताती है उसका पिता बारातियो को भगा देता है I
काशी के गुरुकुल में विद्या ग्रहण करता है
देव शास्त्र और बीज मंत्र का मंथन करता है
उसका मामा करे भंडारे करे अन्न धन का दान
विद्या अर्जन करता भांजा भरे ज्ञान की खान
बारह साल हो गए पुरे उसके जीवन के
पूर्ण हो चुके थे दिन सारे उसके जीवन के
उठ गया सर में दर्द भयंकर पीड़ा सही ना जाए
ऐसे गिरा धरा पे बालक नब्ज सांस थम जाए
पिंजरा खाली छोड़ के ज्यों पक्षी उड़ जाते है
सोमवार के महाव्रत की गाकर के सुनाते है
हम कथा सुनाते है
ॐ नमः शिवाय बोलो ॐ नमः शिवाय
ॐ सोमेश्वराय बोलो ॐ नमः शिवाय
वार्ता
बारह वर्ष की आयु पूर्ण होते है बालक की मृत्यु हो जाती उसका मामा दहाड़े मार मार के रोता है मै किस मुँह से वापस जाऊँगा अपनी बहन को क्या जबाब दूंगा देव योग से उसी समय शिव पार्वती उधर से जा रही होते है माता पार्वती की नजर मरे हुए बालक पे जाती है तो वो जान जाती है की ये तो उसी साहूकार का पुत्र है जाप भोले नाथ का परम भक्त है आर ये बालक भोले नाथ के वरदान का ही फल हो वो भोले नाथ से कहती है की उस बालको जो जीवित कर दो
भोले बोले पार्वती से ये है विधि का विधान
नियम के है विपरीत अगर मै लौटाऊंगा प्राण
पारबती बोली की दिया था आपने ही वरदान
जीवित कर दो इसको स्वामी बालक है नादान
पार्वती की हठ के आगे शिव शंकर हार गए
जीवन दान उसे देने को हो गए वो तैयार
भोले नाथ ने उस बालक को दे दिया जीवन दान
उस बालक के मृत शरीर में वापस आ गया प्राण
उठ के बैठ गया वो बालक सत्य बताते है
सोमवार के महाव्रत की गाकर के सुनाते है
हम कथा सुनाते है
ॐ नमः शिवाय बोलो ॐ नमः शिवाय
ॐ सोमेश्वराय बोलो ॐ नमः शिवाय
वार्ता
वो बालक आंखे खोलता है और उठ के बैठ जाता है ये देखके उसका मामा हैरान हो जाता है उसे भगवान् भोले नाथ का चमत्कार मानता है वो बालक पूछता है मामा जी आप रो क्यों रहे है मामा कोई बहाना बना के टाल देता है और कहता है अब हम यहाँ नहीं रहेंगे चलो वापस घर चलते है और उसी दिन दोनों अपने नगर की तरफ प्रस्थान करते है I
चलते चलते पहुंच गए वो उसी नगर के पास
जहाँ विवाह हुआ था उसका सुकुमारी के साथ
उसी सराय में आ कर के वो फिर से रुकते है
कर स्थान आदि फिर दोनों भोजन करते है
उधर से गुजरी सेठ की लड़की हुयी बड़ी हैरान
इन्ही से ब्याह हुआ था मेरा तुरत हो गई पहचान
सेठ के सैनिक बुलाके उनको घर में लाते है
मामा भांजा को जम के सत्कार कराते है
देख के पाती को दुल्हन के नैना शर्माते है
सोमवार के महाव्रत की गाकर के सुनाते है
हम कथा सुनाते है
ॐ नमः शिवाय बोलो ॐ नमः शिवाय
ॐ सोमेश्वराय बोलो ॐ नमः शिवाय
वार्ता
लड़के का मामा सारी बात साफ़ साफ़ बता देता है की कैसे काने के बाप ने मेरे भांजे को एक रात का दूल्हा बना के आपकी पुत्री से विवाह करवा दिया था सेठ ने कहा विधि का विधान कोई टाल नहीं सकता है सो अब आपका भांजा ही मेरी पुत्री का पति है कुछ दिन वहां ठहरने के बाद अपनी पत्नी को लेकर अपने घर की तरफ चल पड़ते है सेठ ने बहुत सारा धन धन्य दास दासियाँ देकर अपनी पुत्री को विदा किया था पति पत्नी डोली पे बैठ के पीछे पीछे चल रहे है आइये अब जानते है की साहूकार और उसकी पत्नी क्या कर रहे है जान सोचा की मेरे पुत्र की आयु तो बारह की हो चुकी है I
साहूकार पत्नी संग दोनों छत पर जाते है
पुत्र शोक में बैठे के दोनों नीर बहाते है
बारह साल तो गुजरे गए है मर गया होगा लाल
उसी सोच में उन दोनों का हाल हुआ बेहाल
उन दोनों ने सोच लिया था दे देंगे हम प्राण
हम भी अब ना रहेंगे ज़िंदा जब ना रही संतान
अंतिम बार पुकार रहे हम है शंकर भगवान
पुत्र वियोग में हम दोनों भी चले गवाने जान
छोड़ के धरती हम दोनों अब स्वर्ग को जाते है
सोमवार के महाव्रत की गाकर के सुनाते है
हम कथा सुनाते है
ॐ नमः शिवाय बोलो ॐ नमः शिवाय
ॐ सोमेश्वराय बोलो ॐ नमः शिवाय
वार्ता
पति पत्नी दोनों छत कूदने वाले ही होते है तभी सेठ का साला नीचे से आवाज लगता है दीदी जी बहनोई जी आरती की थाली सजा के ले आओ आपकी पुत्र वधु को लेकर आया हूँ ये सुन के पति पत्नी दोनों चौंक जाते है पुत्र की आयु मात्र बारह वर्ष ही बताई जाती है और बारह वर्ष तो पुरे हो चुके है पत्नी पटनी दोनों उससे शपथ खिला के कहते है तुम सत्य बोल रहे हो ना उसने कहाँ विश्वास ना हो तो चलके देखो गांव के बहार बाग़ में डोली के साथ साथ हजारो दास दसिया और स्वर्ण भंडार के साथ पड़ाव दाल रखा है दोनों ख़ुशी ख़ुशी उतर आते और पुत्र को देखने के लिए बाग़ की तरफ दौड़ते है
दौड़ के दोनों बाग़ में पहुंचे रुका जहाँ डोला
पुत्र वधु को देख के अपने साहूकार बोला
ये सब कृपा है भोले की गया हूँ मै ये जान
बड़े दयालु बड़े कृपालु है शंकर भगवान्
पुत्र वधू को लेकर अपने घर में आते है
पुरे साल खुशहाल मगन हो त्यौहार मनाते
सोमवार की व्रत की महिमा सबसे उत्तम है
सोमवार के व्रत का फल सबसे सर्वोत्तम है
कथा लिखी सुखदेव काला गाके सुनाते है
सोमवार के महाव्रत की गाकर के सुनाते है
हम कथा सुनाते है
ॐ नमः शिवाय बोलो ॐ नमः शिवाय
ॐ सोमेश्वराय बोलो ॐ नमः शिवाय
सोमवार व्रत महिमा लिरिक्स अंग्रेजी में (Somvar Vrat Katha Lyrics in English)
Shiv mahaadaanii bhole naath kii kathaa sunaate hai
Paavan kathaa sunaate hai
Somavaar ke mahaavrat kii mahimaa gaake bataato hai
Ham kathaa sunaate hai
Saty kathaa ek mahaadev kii aaj bataate hai
Ham kathaa sunaate hai
Somavaar ke mahaavrat kii mahimaa gaake sunaate hai
Ham kathaa sunaate hai
Om namah shivaay bolo om namah shivaaya
Om someshvaraay bolo om namah shivaay
Somavaar kii kathaa sunaauu suno lagaa ke dhyaana
Sab se bade varadaanii hai shiv shankar bhagavaan
Jo bhii karataa shiv kii tapasyaa hotaa vahii nihaala
Use fikr naa koii chintaa rahataa hai khushahaala
Kisii nagar men rahataa thaa ek dhanik parivaara
Shiv shankar kii bhakti karataa thaa vo thaa saahuukaar
Niyam se jaataa thaa shiv mandir seṭh vo saato baara
Somavaar ke din rahataa thaa pure din niraahaara
Saahuukaar kii shiv bhakti ham tumhe dikhaate hai
Somavaar ke mahaavrat kii kathaa sunaate hai
Ham kathaa sunaate hai
Om namah shivaay bolo om namah shivaaya
Om someshvaraay bolo om namah shivaaya
Vaartaa
Kisii nagar men ek saahuukaar rahataa thaa vo saahuukaar bhagavaan mahaadev kaa param bhakt thaa usake ghar men dhan dhaany kii kamii nahiin thii ,kamii thii to bas ek santaan kii ek santaan ke liye pati patnii din raat rote bilakhate rahate the ek divas jab saahuukaar shiv mandir men puujaa kar rahaa thaa dev yog vash us din shiv paarvatii ke jii mandir men aaye thei
Puujaa karataa mahaadev kaa ro ro ke saahuukaara
Gangaa jal ke badale bah rahii aankhon se jaladhaara
Paarvatii shiv se kahatii hai naath suno merii baata
Mujhase dekhe nahiin jaa rahe isake ye haalaata
Putr ratn kaa var de kar ke karo ise khushahaala
Saahuukaar hai sab se badaa par putr binaa kangaala
Isake bhagay men suno paarvatii nahiin koii santaana
Hansake bole paarvatii se shiv shankar bhagavaan
Sunake seṭh kii aankhon se aansuu bahate jaate hai
Somavaar ke mahaavrat kii gaakar ke sunaate hai
Ham kathaa sunaate hai
Om namah shivaay bolo om namah shivaaya
Om someshvaraay bolo om namah shivaaya
Vaartaa
Bhole naath kii baat sunake paarvatii jii kahatii hai , he svaamii mai kuchh nahiin jaanatii ye saahuukaar aap kaa param bhakt hai to isake kashṭ duur karane kii jimmedaarii aapakii hai aap ise santaan praapti kaa varadaan de diijiye bhole naath bole ṭhiik hai mai isako putr praapti kaa varadaan detaa huun parantu us baalak kii aayu maatr baarah varsh hii hogii baarah varsh ke pashchaat vo baalak mṛtyu ko praapt ho jaaegaa ye saarii baate saahuukaar sun rahaa thaa chupachaap
Puujaa shiv kii puurii karake chalaa gayaa saahuukaara
Lekin usake man men machaa thaa bhaarii haahaakaara
Kisii ko usane kuchh naa bataayaa mandir vaalii baata
Apane kaary ko hoke magan vo karataa rahaa chupachaapa
Niyam se vo shiv mandir jaataa karataa puujaa paaṭha
Ek din seṭh se bolii seṭhaanii suno khaushii kii baata
Bhole naath ne sunalii apanii pal rahaa garbh men laala
Putr ratn se ho jaayenge ham bhii maalaamaala
Saahuukaar jii man kii apanii kah naa paate
Somavaar ke mahaavrat kii gaakar ke sunaate hai
Ham kathaa sunaate hai
Om namah shivaay bolo om namah shivaaya
Om someshvaraay bolo om namah shivaaya
Vaartaa
Patnii kii baat sunake seṭh ne koii pratikriyaa nahiin kii kyon kii seṭh ko pataa thaa kii mere putr kii aayu maatr baarah varsh hii hai kuchh mahiino ke baad vo din bhii aa gayaa jab seṭhaanii ne ek sundar se baalak ko janm diyaa seṭh ne koii khaushii nahiin manaaii pahale kii tarah saamaany hii rahe putr jab badaa ho gayaa to seṭh ne apane saale ko yaanii ke bachche ke maamaa ko bulavaa ke kahaa kii tum usako lekar kaashii chale jaao vidyaa adhyan ke lie raaste men havan yajñ bhanḍaare karavaate hue jaanaa jab shikshaa puurii ho jaae to isako lekar vaapas aa jaanaa i
Maamaa bhaanjaa chal die donon kaashii jii kii or
Phuul kamalaa ke jaise lagataa baalak sughar kishora
Jahaan kare vishraam raat ko kare yajñ owr daana
Bhanḍaare karavaake karate dravy vastr kaa daana
Chalate chalate hue gae vo kisii nagar ke paasa
Ḍhalane vaalii saanjh thii sochaa kar le yahii nivaasa
Ek saraay men ṭhahar gae vo karane lage vishraama
Kismat ab us kii karatii hai kyaa kaama
Isake aage jo hotaa hai vo batalaate hai
Somavaar ke mahaavrat kii gaakar ke sunaate hai
Ham kathaa sunaate hai
Om namah shivaay bolo om namah shivaaya
Om someshvaraay bolo om namah shivaaya
Vaartaa
Us saraay ke bagal men shaamiyaane sajaaye ek baraat ṭhaharii huyii thii ,jo us nagar ke saahuukaar ke beṭo ko byaahane ke lie aayii thii sab kuchh achchhaa thaa bas duulhaa kuruup owr ek aankh se kaanaa thaa usii baat ko lekar duulhe kaa baap pareshaan thaa kii ladakii mere ladake ko dekhate hii shaadii se manaa kar degii tabhii usakii najar saraaye men so rahe saahuukaar ke duulhe kaa baap ladake ke maamaa se kahataa hai bhaaii merii laaj bachaa liijiye ladake kaa maamaa hairaan pareshaan duulhe ke baap munh dekhataa rah jaataa hai duulhe kaa baap bolaa sirph dvaaraa puujaa tak ke lie aapake baalak ko duulhaa banaa ke le jaanaa chaahataa huun isake badale men munh maangii dowlat dene ke lie taiyaar huun i
Haath jod ke ho ke ruvaasaa vo duulhe kaa baapa
Kare nivedan maamaa se usake karate hue vilaapa
Haamii bhar dii maamaa ne usake ho gayaa vo taiyaara
Duulhaa ban ke usakaa bhaanjaa pahunchaa puujaa dvaara
Chandr ke jaise chamake mukhadaa lagataa raaj kumaara
Resham jodaa phuulo kaa seharaa laṭak rahii talavaara
Sundar ruup dekh duulhe kaa mohit ho gae loga
Ab aage kaa bhakto dekho kaisaa hai samyoga
Isake aage kyaa hotaa hai vo batalaate hai
Somavaar ke mahaavrat kii gaakar ke sunaate hai
Ham kathaa sunaate hai
Om namah shivaay bolo om namah shivaaya
Om someshvaraay bolo om namah shivaaya
Vaartaa
Dvaar puujaa par duulhe ko dekh ke sabhii mantr mugdh ho jaate dvaar puujaa ke baad vivaah kii rashm honii thii kaane duulhe ke baap ko chintaa badhatii jaa rahe thii dvaare puujaa to ho gaii ab phero pe mere beṭe ko dekh ke kyaa kahenge sasuraal vaale ye soch ke vo phir se saahuukaar ke ladake ke maamaa ke paas jaataa hai owr vinatii karataa hai kii phere bhii karavaa do badale men jo chaaho le lo usakaa maamaa taiyaar ho jaataa hai
Phere karavaane kii khaatir maamaa huaa taiyaara
Banaa ke duulhaa bhej diyaa phir apanaa raaj kumaara
Ho gaii shaadii phere ho gae kaanaa chhupaa rahaa
Odh ke chaadar kaanaa thaa kone men padaa rahaa
Bhojan kar ke duulhaa dulhan kohabar men jaate hai
Duulhaa dulhan aapas men
Hasante batalaate hai
Niind aa gaii dulhan ko jab duulhaa chalaa gayaa
Saare baate chunnii pe likh kar ke chalaa gayaa
Vahaan se maamaa bhaanjaa donon kaashii aate hai
Somavaar ke mahaavrat kii gaakar ke sunaate hai
Ham kathaa sunaate hai
Om namah shivaay bolo om namah shivaaya
Om someshvaraay bolo om namah shivaaya
Vaartaa
Subah jab dulhan so ke uṭhatii hai to apane duulhe ko gaayab paatii hai apane chunnii pe dekhatii hai saarii sachaaii likhii huyii thii kii mai tumhaataa pati nahiin tumhaaraa pati to ek kaanhaa hai mai to sirph phero tak ke lie tumhaaraa pati thaa ab mai kaashii jaa rahaa huun vidyaa grahaṇ ke lie dulhan saarii baat apane pitaa se bataatii hai usakaa pitaa baaraatiyo ko bhagaa detaa hai i
Kaashii ke gurukul men vidyaa grahaṇ karataa hai
Dev shaastr owr biij mantr kaa manthan karataa hai
Usakaa maamaa kare bhanḍaare kare ann dhan kaa daana
Vidyaa arjan karataa bhaanjaa bhare jñaan kii khaana
Baarah saal ho gae pure usake jiivan ke
Puurṇ ho chuke the din saare usake jiivan ke
Uṭh gayaa sar men dard bhayankar piidaa sahii naa jaae
Aise giraa dharaa pe baalak nabj saans tham jaae
Pinjaraa khaalii chhod ke jyon pakshii ud jaate hai
Somavaar ke mahaavrat kii gaakar ke sunaate hai
Ham kathaa sunaate hai
Om namah shivaay bolo om namah shivaaya
Om someshvaraay bolo om namah shivaaya
Vaartaa
Baarah varsh kii aayu puurṇ hote hai baalak kii mṛtyu ho jaatii usakaa maamaa dahaade maar maar ke rotaa hai mai kis munh se vaapas jaauungaa apanii bahan ko kyaa jabaab duungaa dev yog se usii samay shiv paarvatii udhar se jaa rahii hote hai maataa paarvatii kii najar mare hue baalak pe jaatii hai to vo jaan jaatii hai kii ye to usii saahuukaar kaa putr hai jaap bhole naath kaa param bhakt hai aar ye baalak bhole naath ke varadaan kaa hii phal ho vo bhole naath se kahatii hai kii us baalako jo jiivit kar do
Bhole bole paarvatii se ye hai vidhi kaa vidhaana
Niyam ke hai vipariit agar mai lowṭaauungaa praaṇa
Paarabatii bolii kii diyaa thaa aapane hii varadaana
Jiivit kar do isako svaamii baalak hai naadaana
Paarvatii kii haṭh ke aage shiv shankar haar gae
Jiivan daan use dene ko ho gae vo taiyaara
Bhole naath ne us baalak ko de diyaa jiivan daana
Us baalak ke mṛt shariir men vaapas aa gayaa praaṇa
Uṭh ke baiṭh gayaa vo baalak saty bataate hai
Somavaar ke mahaavrat kii gaakar ke sunaate hai
Ham kathaa sunaate hai
Om namah shivaay bolo om namah shivaaya
Om someshvaraay bolo om namah shivaaya
Vaartaa
Vo baalak aankhe kholataa hai owr uṭh ke baiṭh jaataa hai ye dekhake usakaa maamaa hairaan ho jaataa hai use bhagavaan bhole naath kaa chamatkaar maanataa hai vo baalak puuchhataa hai maamaa jii aap ro kyon rahe hai maamaa koii bahaanaa banaa ke ṭaal detaa hai owr kahataa hai ab ham yahaan nahiin rahenge chalo vaapas ghar chalate hai owr usii din donon apane nagar kii taraph prasthaan karate hai i
Chalate chalate pahunch gae vo usii nagar ke paasa
Jahaan vivaah huaa thaa usakaa sukumaarii ke saatha
Usii saraay men aa kar ke vo phir se rukate hai
Kar sthaan aadi phir donon bhojan karate hai
Udhar se gujarii seṭh kii ladakii huyii badii hairaana
Inhii se byaah huaa thaa meraa turat ho gaii pahachaana
Seṭh ke sainik bulaake unako ghar men laate hai
Maamaa bhaanjaa ko jam ke satkaar karaate hai
Dekh ke paatii ko dulhan ke nainaa sharmaate hai
Somavaar ke mahaavrat kii gaakar ke sunaate hai
Ham kathaa sunaate hai
Om namah shivaay bolo om namah shivaaya
Om someshvaraay bolo om namah shivaaya
Vaartaa
Ladake kaa maamaa saarii baat saaf saaf bataa detaa hai kii kaise kaane ke baap ne mere bhaanje ko ek raat kaa duulhaa banaa ke aapakii putrii se vivaah karavaa diyaa thaa seṭh ne kahaa vidhi kaa vidhaan koii ṭaal nahiin sakataa hai so ab aapakaa bhaanjaa hii merii putrii kaa pati hai kuchh din vahaan ṭhaharane ke baad apanii patnii ko lekar apane ghar kii taraph chal padate hai seṭh ne bahut saaraa dhan dhany daas daasiyaan dekar apanii putrii ko vidaa kiyaa thaa pati patnii ḍolii pe baiṭh ke piichhe piichhe chal rahe hai aaiye ab jaanate hai kii saahuukaar owr usakii patnii kyaa kar rahe hai jaan sochaa kii mere putr kii aayu to baarah kii ho chukii hai i
Saahuukaar patnii sang donon chhat par jaate hai
Putr shok men baiṭhe ke donon niir bahaate hai
Baarah saal to gujare gae hai mar gayaa hogaa laala
Usii soch men un donon kaa haal huaa behaala
Un donon ne soch liyaa thaa de denge ham praaṇa
Ham bhii ab naa rahenge zindaa jab naa rahii santaana
Amtim baar pukaar rahe ham hai shankar bhagavaana
Putr viyog men ham donon bhii chale gavaane jaana
Chhod ke dharatii ham donon ab svarg ko jaate hai
Somavaar ke mahaavrat kii gaakar ke sunaate hai
Ham kathaa sunaate hai
Om namah shivaay bolo om namah shivaaya
Om someshvaraay bolo om namah shivaaya
Vaartaa
Pati patnii donon chhat kuudane vaale hii hote hai tabhii seṭh kaa saalaa niiche se aavaaj lagataa hai diidii jii bahanoii jii aaratii kii thaalii sajaa ke le aao aapakii putr vadhu ko lekar aayaa huun ye sun ke pati patnii donon chownk jaate hai putr kii aayu maatr baarah varsh hii bataaii jaatii hai owr baarah varsh to pure ho chuke hai patnii paṭanii donon usase shapath khilaa ke kahate hai tum saty bol rahe ho naa usane kahaan vishvaas naa ho to chalake dekho gaanv ke bahaar baaga men ḍolii ke saath saath hajaaro daas dasiyaa owr svarṇ bhanḍaar ke saath padaav daal rakhaa hai donon khaushii khaushii utar aate owr putr ko dekhane ke lie baaga kii taraph dowdate hai
Dowd ke donon baaga men pahunche rukaa jahaan ḍolaa
Putr vadhu ko dekh ke apane saahuukaar bolaa
Ye sab kṛpaa hai bhole kii gayaa huun mai ye jaana
Bade dayaalu bade kṛpaalu hai shankar bhagavaan
Putr vadhuu ko lekar apane ghar men aate hai
Pure saal khushahaal magan ho tyowhaar manaate
Somavaar kii vrat kii mahimaa sabase uttam hai
Somavaar ke vrat kaa phal sabase sarvottam hai
Kathaa likhii sukhadev kaalaa gaake sunaate hai
Somavaar ke mahaavrat kii gaakar ke sunaate hai
Ham kathaa sunaate hai
Om namah shivaay bolo om namah shivaaya
Om someshvaraay bolo om namah shivaaya
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