प्रथम देव है महादेव जी,प्रथम बार सोमवार है
सोमवार की कथा सुनो जो, मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
1
सरल निराले भोले भाले, शिव शंकर वरदानी की
सुना रहा हूं कथा आज में, शंभू औघड़ दानी की
सोमवार दिन क्यों उत्तम है,शिवजी क्यों सर्वोत्तम है
12 ज्योतिर्लिंगों वाले,महादेव क्यों प्रथम है
शिव की भक्ति में है तृप्ति,यही कथा का सार है
सोमवार की कथा सुनो जो, मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो,ओम नमः शिवाय
2.
किसी नगर में एक सेठ था,बिल्कुल भोला भाला था
सरल स्वभाव नेत्रदान था,सरल स्वभाव नेत्रदान का
शिव जी का मतवाला था ,प्रतिदिन जाता शिव मंदिर में
नियम से पूजन करता था,गंगा जल और दूध चढ़ाकर
नियमित वंदन करता था,लेकिन एक संतान के बिना
जीवन में अंतर और है,सोमवार की कथा सुनो जी
मुक्ति का आधार है,ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
3.
घर में कोई कमी नहीं थी,पूरी तरह खुशहाली थी
परंतु एक संतान के बिना,होली ना दिवाली थी
सेठ सेठानी दोनों को ही,चिंता यही सताती थी
वंश चलेगा कैसे कोई,किरण नजर ना आती थी
दोनों सोचते मन ही मन में,जीवन यह बेकार है
सोमवार की कथा सुनो जी,मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय
4.
दिन हफ्ते और साल महीने,चिंता में ही बीत रहे
दिन की रोशनी में भी उनको,अंधियारे ही दिख रहे
एक दिवस दिन सोमवार था ,सेठ जी पहुंचे मंदिर में
शिव शंकर पार्वती जी,आन बिराजे मंदिर में
मन में ही विश्वास अगर हो होती कभी ना हार है
सोमवार की कथा सुनो जी मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय
5.
सेठ खो गया पूजा पाठ में पार्वती मां देख रही
कैसे करूं कल्याण सेठ का मन ही मन में सोच रही
शिव शंकर से पार्वती मां बोली बड़े मधुर स्वर में
भक्त आपका दुखी बहुत है व्यतीत बहुत मन अंतर में
भक्त आपका है यह फिर क्यों,फसा हुआ मझदार है
सोमवार की कथा सुनो, जो मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
6.
पुत्र रतन की चाह है इसको,बोले भोले मधुर वाणी
किस्मत में संतान नहीं है,इसकी सुनो है कल्याणी
पार्वती हटकर के बोली,इसकी इच्छा पूर्ण करो
इसका अधूरा जीवन स्वामी,बालक दे संपूर्ण करो
शिव जी बोले सुनो पार्वती,हट करना बेकार है
सोमवार की कथा सुनो,जो मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
7.
हाथ जोड़कर माता बोली,स्वामी इस पर दया करो
अगर किया अपराध हो इसने ,कृपा करके क्षमा करो
वर्षों से नियमित ही सेठ ये,आपके मंदिर आता है
सोमवार का व्रत रखता है प्रतिदिन दुग्ध चढ़ाता है
शिव शंभू ने पार्वती से मान ली अपनी हार है
सोमवार की कथा सुनो जी मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
8.
बोले भोले पार्वती दे देता हूं वरदान इसे
शीघ्र प्राप्त हो जाएगी इसको सुंदर सी संतान इसे
सेठ सुन रहा था सब बातें,मन में खुशी अपार हुई
वर्षों की यह मेरी तपस्या,पूर्ण रूप साकार हुई
बड़ा दयालु दया का सागर,मेरा शिव ओमकार है
सोमवार की कथा सुनो जी,मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
9.
शिव जी बोली सुनो पार्वती ,अल्प आयु उसकी होगी
जब होगा वह 12 साल का,तब उसकी मृत्यु होगी
आपके हट के आगे इसको,यह वरदान दिया मैंने
करुणामई ह्रदय का तुम्हारे, हर सम्मान किया मैंने
उसकी आयु बढ़ाई ऐसा,नहीं मेरा अधिकार है
सोमवार की कथा सुनो जी ,मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
10.
इतना कहकर पार्वती संग,शिवजी अंतर्ध्यान हो गए
सेठ पर टूट पड़ी बिजली सी,जीते जी बेजान हो गए
वर्षों बाद ख़ुशी की वीणा,गुंजी थी इन कानो में
बारिश देखि मगर जल बुँदे,बंध सी गई आसमानों में
सेठ के नैनो से शिवलिंग पर,गिरने लगी जल धार हैं
सोमवार की कथा सुनो जी,मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
11.
पूजा करके घर आया जब,कुछ न कहा सेठानी से
गूंज रहे थे कान उसके,जी का सुना वरदानी से
पूजा पाठ वो नियम से करता,जैसे पहले करता था
पूजा के पश्चात ही सेठ वो,भोजन ग्रहण करता था
कैसे जीते किस्मत से,जब लिखी हार ही हार हैं
12.
कुछ दिन बीते इसी तरह से, एक दिन सेठानी बोली
लगता है ऊपर वाले ने,खुशियों से भर दी झोली
गर्भ मुझे है तीन माह का हो गयी आस मेरी पूरी
कैसे कहते सेठ जी उससे ख़ुशी तेरी निराधार है
सोमवार की कथा सुनो जी मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
13.
बीते जब दस मास तो घर में पुत्र रतन का जनम हुआ
बीत गए दिन दुखों के सारे खुशियों का प्रारंभ हुआ
सेठानी प्रसन्न बड़ी खुशियों का नहीं ठिकाना है
सेठ को था मालूम एक दिन फिर से नीर बहाना है
कैसे बताते सेठानी से बस दो दिन की बहार है
सोमवार की कथा सुनो जी मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
14.
चंद्रकला की भांति पल वो दिन प्रतिदिन यू बढ़ने लगा
सूर्य के जैसे तेज लाल के मुख्य मंडल पर चढ़ने लगा
11 वर्ष की आयु हुई तो साले को अपने बुलवाया
दे करके धन-धान्य बहुत सा फिर साले को समझाया
ले जाओ मेरे लाल को काशी शिक्षा योग्य तैयार है
सोमवार की कथा सुनो जो मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
15.
काशी जाकर उत्तम शिक्षा दिलवाना इस बालक को
शिक्षा के पश्चात ही वापस ले आना इस बालक को जा
ते हुए जहां भी रुकना यज्ञ वहाँ पर करवाना
द्रव्य दान और वस्त्र दान संग भोजन सबको करवाना
साला बोला जैसी आज्ञा मुझे नहीं इंकार है
सोमवार की कथा सुनो जी मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
16.
मामा के संग चला भांजा शिक्षा ग्रहण करने को
बालक चला है काशी नगरी शिक्षा ग्रहण करने को
यज्ञ और भंडारे करते दान लुटाते जाते हैं
प्रयागराज काशी नगरी को पथ पथ बढ़ते जाते हैं
नहीं पता था उन दोनों को रास्ता किस प्रकार है
सोमवार की कथा सुनो जी मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
17.
जो भी लिखा है भाग्य के अंदर टाले नहीं टल सकता है
और भाग्य से अधिक किसी को कभी नहीं मिल सकता है
किसी शहर में टिके थे दोनों मामा भांजा सोए थे भां
जे की तकदीर में देखो कैसे दिन संजोए थे
उसी शहर में ब्याह ने आया काना राज कुमार है
सोमवार की कथा सुनो जो मुक्ति जो मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
18.
काना दूल्हा ब्याह कराने उसी शहर में आया था
चिंता से दूल्हे के पिता का मुख मंडल मुरझाया था
चिंतित था दूल्हे का पिता वह गहरी सोच में डूबा था
लाज बचे ससुराल में कैसे रस्ता कोई ना दूजा था
सोया पड़ा था सेठ का बेटा लगता राजकुमार है
सोमवार की कथा सुनो जी मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
19.
हामी भर दी मामा ने उसके दूल्हा बनवाने के लिए
तैयार हो गया उसका भांजा स्वागत करवाने के लिए
काने के बदले उसका भांजा दूल्हा बन तैयार हुआ
पूरी तरह से सजके घोड़ी पर सवार हुआ
घोड़ी पर बैठा उसका भांजा लगता राजकुमार है
सोमवार की कथा सुनो जी मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
21.
स्वागत की हर रसम हो गई बात चल पड़ी फेरो की
फिर से अब काने के बाप के धरती खिसक गई पैरों की
बना था दूल्हा सेठ का बेटा लगता राज दुलारा सा
जिसने भी देखा रहा देखता मुखड़ा प्यारा प्यारा सा
चांद भी फीका लगने लगा था ऐसा रूप निखार है
सोमवार की कथा सुनो जी मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
22.
लड़के के मामा से फिर बोला पिता दोबारा काम का
मुंह मांगा धन तुमको दूंगा बस फेरे करवाने का
फेरे कराते जाना चले तुम इतना काम और कर दो
स्वागत कि जैसे रसम करा दि ये एहसान और कर दो
वरना लाज बचानी अपनी लगता अब दुश्वार है
सोमवार की कथा सुनो जी मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
23.
बात मान ली मामा ने उसके फेरे भी करवाने को हां
कर दी काने के बाप कोउसकी लाज बचाने को
सेठ के लड़के के संग पड़ गए फेरे राजकुमार के
देख लो भक्तों चमत्कारी शिव शंकर त्रिपुरारी को
ब्याह हुआ संपूर्ण रीति रिवाज से हो रही जय जय कार है
सोमवार की कथा सुना दो मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
24.
शयन कक्ष में सो गई दुल्हन सेठ का लड़का जाग रहा
कैसे बताऊं अपनी हकीकत मन ही मन वो सोच रहा
दुल्हन की चुनरी पर फिर उसने लिख डाली सारी सच्चाई है
मेरे साथ तेरे हुए हैं फेरे होगी काने के साथ विदाई
मैं तो जा रहा पढ़ने काशीकान्हा तेरा राजकुमार है
सोमवार की कथा सुनो जो मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
25.
सुबह उठी जब सोकर दुल्हन, चुनरी की लिखाई पड़ने लगी
समझ गई जब सारी सच्चाई, बात पिता से कहने लगी
ब्याह हमारा हुआ है जिससे ,उसी के संग में जाऊंगी
काने के संग मुझे जो भेजा,खाके जहर मर जाऊंगी
पति छोड़ में गैर को जाऊं,जीवन पर धिक्कार है
सोमवार की कथा सुनो जो मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
26.
मामा भांजा चलते-चलते,पहुंच गए काशी नगरी
यज्ञ और भंडारे करते,पहुंच गए काशी नगरी
पढ़ने लगा गुरुकुल में भांजा, दान और पुण्य करें मामा
द्रव्य दान कभी वस्त्र दान,कभी ब्राह्मण भोज करें मामा
12 वर्ष का हो गया लड़का,लगता राजकुमार है
सोमवार की कथा सुनो जो मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
27.
होनी तो होकर के रहेगी,होनी है बलवान बड़ी
12 बरस का हो गया लड़का,उम्र डूब परवान चढ़ी
12 सावन उम्र थी निश्चित,गुजर गए 12 सावन
सेठ का लड़का पढ़ने आया,घबराहट थी उसके मन
बोला भांजा मामा जी से लगता है मुझे बुखार है
सोमवार की कथा सुनो जो मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
28.
हालत उसकी बिगड़ रही थी तेज हो गई थी धड़कन
मामा को कुछ समझ ना आया भांजे की सांसे गई थम
घड़ी अचानक थी यह घटना मामा समझना पाता है
देख लाश भांजे की मामा जोर-जोर चिल्लाता है
मामा के आगे चिर निद्रा में सोता राजकुमार है
सोमवार की कथा सुनो जो मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
29.
पिट के छाती अपनी मामा रुदन मचाता है
क्या मुँह लेके घर जाऊं मैं कुछ भी समझ ना आता है
उसी समय शिव पार्वती भ्रमण हेतु निकलते हैं
जहां रो रहा बच्चे का मामा उसी दिशा में चलते हैं ‘
सोच में पड़ गई पार्वती मा किसकी करुणा पुकार है
सोमवार की कथा सुनो जो मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
30.
नजर पड़ी जब उस लड़के पर तुरंत उसे पहचान गई
यह बच्चा है उसी सेठ का दिया था वर सब जान गई
12 वर्ष की आयु भोग के इस बालक को मरना था
कुछ दिन का मेहमान था जग में आखिर इस को मरना था
शिव ने कहा ना सोचो ज्यादा नश्वर यह संसार है
सोमवार की कथा सुनो जो मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
31.
पार्वती भोले से बोली दे दो जीवनदान इसे
है स्वामी इसे जिंदा कर दो उम्र का दो वरदान इसे
माता-पिता का है यह लाडला इसके बिना मर जाएंगे
हे भोले इसकी चिंता पर आत्मदाह कर जाएंगे
उन दोनों की जीवन का बस यही एक आधार है
सोमवार की कथा सुनो जो मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
32.
शिव शंकर ने लाख कहां पर हट कर बैठी पार्वती
जीवन का वरदान इसे दो हटकर बैठी पार्वती
हार मान के के शिव भोले ने लाल को जीवनदान दिया
जीवन का वर देकर उसको वहां से फिर प्रस्थान किया
धड़कन चल गई खुल गई आंखें हुआ रक्त संचार है
सोमवार की कथा सुनो जो मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
33.
हैरत में था मामा उसका उठके भांजा बैठ गया
कैसा चमत्कार है आखिर असमंजस में डूब गया
कुछ ना बताया लाल को उसने सीधे घर की तैयारी की तु
रंत चल पड़े घर की तरफ को पल की ना सोच बिचारी की
उधर सोच में डूबे गहरे भांजे की गुलनार है
सोमवार की कथा सुनो जो मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
34.
उसी शहर में रुके वह फिर से लाल की थी ससुराल जहां
काने के बदले लिए थे फेरे मिला बड़ा धन माल जहां
देख लिया लड़की के बाप ने तुरंत उसे पहचान गया
उन दोनों को विनय पूर्वक बना कर ले मेहमान गया
खिड़की से देख लिया दुल्हन ने आया राजकुमार है
सोमवार की कथा सुनो जो मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
35.
खातिरदारी कई दिनों तक उन दोनों की चलती रही
चोरी चोरी पति पत्नी की नजर नजर से मिलती रही
देकर के धन माल बहुत बेटी साथ विदा कर दी
लिए थे जिसके साथ फेरे उसी के साथ विदा कर दी
पति-पत्नी बैठे डोली में संग में चले के हार है
सोमवार की कथा सुनो जो मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
36.
अपने शहर के पास में आकर रॉक डाला मामा ने
घर जाकर दे आउ सूचना लाल से बोला मामा ने
तब तक तुम जलपान करो मैं अभी लौट के आता हूं
ले आए हम बहु ब्याह के खबर में घर पहुंचाता हूं
इतना बोल कर घर की तरफ को चलने को तैयार है
सोमवार की कथा सुनो जो मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
37.
उधर देखिए सेठ सेठानी बैठे घर की छत पर
अगर ना लौटा लाल हमारा देंगे प्राण दोनों गिर कर
बैठे थे दोनों पति-पत्नी मन में प्रतिज्ञा लेकर
मर जाएंगे दोनों संग में लाल ना आया जो घर
उनको देखकर साला बोला आया राजकुमार है
सोमवार की कथा सुनो जो मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
38.
हुआ नहीं विश्वास सेठ को लाल मेरा आया होगा
12 वर्ष की आयु भोग के जिंदा बच पाया होगा
बोला साले से वह अपने शपथ लो पहले गंगा की
बाद में नीचे हम उतरेंगे शपथ लो पहले गंगा की
साला बोला सच कहता हूं हाथ मेरे जलधार है
सोमवार की कथा सुनो जो मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
39.
दोनों उतर आए फिर छत से साले के संग वहां गए
जहां थी डोली रुकी दुल्हन की साले के संग वहां गए
लाल के संग दुल्हन थी उसके भक्तों उत्तरी डोरी से
चंद्रमुखी से स्वर्ण लता सी दुल्हन उतरी डोली से
सोमवार को जन्मा था बेटा फिर से आज सोमवार है
सोमवार की कथा सुनो जो मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
40
बेटा बहू को साथ में लेकर माता-पिता घर ले आए
सोमवार के व्रत के बदले शिवजी का वर ले आए
सोमवार को शिव जी का व्रत यथा नियम जो करता है
हो जाता सुखदेव अमर वह शिव की शरण जो रहता है
मुक्ति मिल जाती है उसको हो जाता भव पार है
सोमवार की कथा सुनो जो मुक्ति का आधार है
ओम नमः शिवाय बोलो ओम नमः शिवाय
अगर आपको यह भजन अच्छा लगा हो तो कृपया इसे अन्य लोगो तक साझा करें।