Current Date: 17 Nov, 2024

सोलह श्रृंगार

- Surya Dev Sen


मालनिया कर सोलह श्रृंगार मालनिया कर सोलह श्रृंगार 
भाँति भांति उबटन लगाय के अपनों रूप  निखार 
करे स्नान सरोवर तट पे सुन्दर केश सवार 
तन पे कंचुक सुवधि पेहेनके लेहेंगा तट में धार 
अपने करले शृंग चुनरी लायी शीश पे डार
मालनिया कर सोलह श्रृंगार मालनिया कर सोलह श्रृंगार 
मुख पे विविध लगाए प्रसाधन काजर रेख सवार 
हरी मंजूषा रंग गंधसुर दुखी विटप की धार 
बैठ सुविध सुवि पुष्प पिरोये माला करे तैयार 
चढ़ी चढ़ाई श्याम सुन्दर पे महिमा अपरम्पार 
मालनिया कर सोलह श्रृंगार मालनिया कर सोलह श्रृंगार 
बाज उठी घंटी मंदिर में आरती रही उतार 
भक्ति भाव की सरस माधुरी बार बार बलिहार 
सुन्दर श्याम सलोने की छवि नैनं रही निहार 
भूल गयी वो तन मन की सुध भूल गयी संसार 
मालनिया कर सोलह श्रृंगार मालनिया कर सोलह श्रृंगार 
भाँति भांति उबटन लगाय के अपनों रूप  निखार 
मालनिया कर सोलह श्रृंगार मालनिया कर सोलह श्रृंगार 

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