शिव महापुराण के अनुसार जब माता पार्वती और शिव अक्सतय मुनि से कथा सुन कर लौट रहे थे उसी दौरान भोलेनाथ ने देखा की उनके आराध्य देव भगवान राम माता सीता के वियोग मे भटक रहे हैं उन्हें देखने के बाद शिव ने उन्हें प्रणाम किया मगर माता पार्वती के मन में राम की परीक्षा लेने का विचार आया भोलेनाथ से आग्रह कर वे प्रभु राम की परीक्षा लेने पहुंची लेकिन पार्वती को देखते ही भगवान राम ने पार्वती को माता का सम्बोधन देते हुए कहा आप यहाँ भोलेनाथ कहाँ है वहीं भगवान द्वारा पहचाने जाने और माता शब्द के सम्बोधन को छिपाते हुए पार्वती ने शिव से झूठ का सहारा लिया पार्वती ने कहा कि भगवान राम ने उन्हें नहीं पहचाना इसके बाद ध्यान करने पर जब भगवान शिव को पता चला कि राम ने उन्हें माता से सम्बोधित किया है तो उन्होंने पार्वती का त्याग कर दिया पार्वती के त्याग का एक कारण यह भी रहा की राम ने पार्वती को माता कहा था इसलिए उन्होंने अपने आराध्य देव की माता को पत्नी रूप से त्याग कर दिया इस से यही अंदाजा लगया जा सकता है की भगवान शिव अपने भक्तों के लिए कुछ भी कर सकते है तो आइये सुनते हैं सोलह सोमवर व्रत की विधि:-
सोमवार का व्रत श्रावण चैत वैशाख कार्तिक व माघ महीने की शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि से शुरू किया जाता है इसे सोलह सोमवार तक पूरी श्रद्धा के साथ व्रत रखने से मनभावन फलो की प्राप्ति होती है व्रत करने वाले को सूर्य उदय से पहले उठकर पानी में कुछ काले तिल डालकर नहाना चाहिए भगवान शिव का अभिषेक जल गंगाजल से होता है परन्तु विशेष अवसर व विशेष मनोकामनाओ की पूर्ति के लिए दूध दही घी शहद चने की दाल सरसो का तेल काले तिल अदि कई सामग्रियों से अभिषेक की विधि चले आ रही है इसके बाद ॐ नमः शिवाय मंत्र के द्वारा सफ़ेद फूल सफ़ेद चन्दन चावल पंचयामृत सुपारी फल और गंगाजल व साफ़ पानी से भगवान शिव और पार्वती का पूजन करना चाहिए मान्यता है कि अभिषेक के दौरान पूजन विधि के साथ साथ मंत्रों का जाप भी बेहद आवश्यक माना गया है फिर महामृत्युंजय मन्त्र गायत्री मंत्र या फिर भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र शिव पार्वती की पूजा के बाद सोमवार की व्रत कथा करें आरती करने के बाद भोग लगायें और घर परिवार में बाँटने के बाद स्वयं ग्रहण करें दिन में केवल एक समय नमक रहित भोजन ग्रहण करें !
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