सीने में राम बैठे ये दिखाऊ में चीर के
इनके सिवा न पास कुछ है इस फ़क़ीर के
निंदा करे जो राम की मंजूर न मुझे
ताकत दिखने को कभी ना मजबूर कर मुझे
चाहु तो बदल सकू रस्ते समीर के
इसके सिवा ना पास कुछ है इस फकीर के
अमृत ये राम नाम का खाटू में हर घड़ी
पावन हो जाये पीने से जीवन की हर कड़ी
सुख में बदल दिए सपने दुःख की लकीर के
इनके सिवा ना पास कुछ है इस फकीर के
इनके लिए तो में अपना सर्वस्व वार दूँ
सेवा में तेरी अर्पण केशव तारीफ क्या करू
कुर्मी अमन के आंसू है खुशियों के नीर के
इनके सिवा ना कुछ है इस फकीर के
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