इस दुनिया में श्याम तू मेरा मुकाम,
ऐ श्याम तेरे नाम से ही मेरी पहचान।।
तर्ज – सौलह बरस की।
दोहा – भटकत भटकत हार गया,
बिगड़ गए मेरे हालात,
ऐ श्याम तेरे दर पे ही,
बिगड़ी बनी मेरी बात।।
इस दुनिया में श्याम तू मेरा मुकाम,
ऐ श्याम तेरे नाम से ही मेरी पहचान,
ऐ श्याम तेरे नाम से ही मेरी पहचान।।
जब तक ना था तू मेरा,
मेरा ना कोई था,
ना थी राहे ना थी मंजिल,
हम सफर ना मेरा,
तूने मुझे उठाया,
गले से लगा लिया,
उस घड़ी उस डगर,
उस सफर को प्रणाम,
ऐ श्याम तेरे नाम से ही मेरी पहचान,
ऐ श्याम तेरे नाम से ही मेरी पहचान।।
जो ना मिला था जग से,
वो तूने दे दिया,
जो मिला मुझको जग से,
वो तूने ले लिया,
इतनी कृपा की तूने,
मेरा नाम तूने कर दिया,
उस कृपा उस महर,
उस दया को प्रणाम,
ऐ श्याम तेरे नाम से ही मेरी पहचान,
ऐ श्याम तेरे नाम से ही मेरी पहचान।।
जब तक जियू में बाबा,
भूलू ना ये कृपा,
चाहे जियू दो पल ही,
हर पल रहूँ तेरा,
बरसे कृपा ये सब पे,
ये विनती मेरी,
तेरे दर पे झुक जाये,
बाबा सारा जहाँ,
ऐ श्याम तेरे नाम से ही मेरी पहचान,
ऐ श्याम तेरे नाम से ही मेरी पहचान।।
इस दुनिया में श्याम तू मेरा मुकाम,
ऐ श्याम तेरे नाम से ही मेरी पहचान,
ऐ श्याम तेरे नाम से ही मेरी पहचान।।
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