श्यामा जू की पायल के घुँघरू,
नृत्य करत में बिखर गए,
प्यारी जू की पायल के घुँघरू,
नृत्य करत में बिखर गए।।
नव निकुञ्ज में नृत्य करे दोऊ,
प्रीतम संग श्यामा प्यारी,
अद्भुत छवि है नित्त रास की,
जाए सखी सब बलहारी,
टूटी पायल बिखरे घुंघरू,
घुंघरू बिखर के किधर गये,
प्यारी जू की पायल के घुँघरू,
नृत्य करत में बिखर गए।।
मन मोहन मन में मलिन अति,
व्याकुलता भारी छाई,
शब्द सुने नहीं नूपुर के कही,
श्यामा जु अति अकुलाई,
गए किधर अनमोल ये घुंगरू,
इधर गये के उधर गये,
प्यारी जू की पायल के घुँघरू,
नृत्य करत में बिखर गए।।
श्री ललिता जू सखी सहचरी,
ढूंढ रही मिलकर घुंगरू,
सुनी पायल बिन घुंगरू के,
पग में बंधे नहीं घुंगरू,
कैसे बजे वो घुँघरू बंधकर,
पायल से कैसे उतर गए,
प्यारी जू की पायल के घुँघरू,
नृत्य करत में बिखर गए।।
कभी निधिवन कभी सेवाकुंज में,
ढूंढ रही यमुना तट पर,
श्री हरिदासी जु ढूंढ के लाइ,
घुंघरू मिले बंशीवट पर,
बंधे घुँघरू और बाजी पायल,
पागल के सुख उभर गए,
प्यारी जू की पायल के घुँघरू,
नृत्य करत में बिखर गए।।
श्यामा जू की पायल के घुँघरू,
नृत्य करत में बिखर गए,
प्यारी जू की पायल के घुँघरू,
नृत्य करत में बिखर गए।।
अगर आपको यह भजन अच्छा लगा हो तो कृपया इसे अन्य लोगो तक साझा करें।