श्री गणेश का सुमिरन करके,शारदे माँ का करके ध्यान
नमन करू गुरुदेव को अपने,चरण धरु गुरु देना ज्ञान
कोटि कोटि देवो की वंदना ,मेरी कलम विराजो आन
कथा लिखू में खाटू श्याम की,रख लेना सुखदेव का मान
दसो दिशाओ में सहाई ,कर किरपा बरसाओ ज्ञान
निपट अनाड़ी मंद बुद्धि में ,मुझको नहीं तनिक भी ज्ञान
हाथ जोड़ में करू प्रार्थना ,सुनलो सारे तुम विद्वान
भूल चूक लिखने में हो तो करना क्षमा मान नादान ||
२
द्वापर युग को कथा सुनाऊ ,महाभारत की ये है बात
कुरुक्षेत्र रण क्षेत्र बनाया ,हो रही बाणो की बरसात
कौरव पांडव डटे थे रण में,मान रहा ना कोई हार
कट कट शीश गिरे धरती पर ,मचा हुआ था हाहाकार
तरह साल का सुन्दर बालक ,होक लीले पे असवार
चला जा रहा तेज गति से ,युद्ध देखने राजकुमार
किसकी होगी विजय युद्ध में ,होगी युद्ध में किसकी हार
३
तीन बाण तरकश के अंदर,युद्ध कला में निपुण अपार
तीन बाण तरकश के अंदर ,मन था ये बर्बरीक के
रण में जिसकी होगी हार ,युद्ध करूँगा उसी तरफ
चला सोचता राज कुमार ,श्री कृष्णा सब जान गए थे
ठीक नहीं लगते आसार ,किसी तरह से रोकना होगा
वरना पांडव जायेंगे हार ,एक अकेला बर्बरीक हो
देगा सारी सेना मार ,भेस बनके खुद तभी विप्र का
गले में कंठी माला धार,बिच राह में खड़े हो गए
आता दिखा वो राज कुमार ,शीश विप्र ने दान में माँगा
बालक ने दे दिया उतार ,शीश विप्र ने दान में माँगा ||
4
कथा यही से प्रारम्भ होती ,और यही पे होता अंत
बर्बरीक की महिमा गाता,ऋषि मुनि और साधु संत
गाथा बड़ी विशाल श्याम की ,जिसका कही नहीं है अंत
नाम दिया श्री श्याम श्याम ने ,कलियुग में होंगे भगवंत
कैसे प्रगट हुए कलियुग में,कैसे बना भव्य मंदिर
कैसे मिला शीश बाबा की ,कैसे बना महल सुन्दर
कैसे चमत्कार करे बाबा ,कैसे बना है खाटू धाम
कैसे जीत दिला रहे सबको,बैठ भवन में बाबा श्याम
कैसे जीत दिला रहे सबको
5.
बात बड़ी प्राचीन है भक्तो,तुम सबको हम रहे बताये
खाटू गांव का राज घराना ,जिनके पास थी बहुत सी गाय
नौकर चाकर बहुत थे उनके,और बहुत थे सेवादार
दूध काढ़ते सुबह शाम वो ,पहुंचाते राजा के द्वार
दिन में चराने ले जाते थे ,नदी खंडेला के वो तीर
दिन भर परती घास वो गइया,फिर नदिया में पीती नीर
एक गाय का नाम था राधा ,सुन्दर भोली बड़ी सुशील
चरने जाती जब जंगल में दूर निकल जाती कई मीत
५
सुबह शाम था दूध निकलता,जाता था राजा के द्वार
राधा गाय का दूध था पिता ,उस राजा का राज कुमार
इक दिन दूध निकलने बैठा ,जब राधा का सेवा दर
राधा अटक बातरी देती ,कसके रही दुल्लती मार
थक गया कोशिश कर कर के ,सेवादार गया था हार
दूध ना निकला गाय के थन से ,बैठ गया होके लाचार
किसका दूध में लेकर जाऊ ,आज में राजा के दरबार
किसी और गाय का पीता,दूध नहीं वो राजकुमार
किसी और गाय का पीता
६
खाली बाल्टी लेके बैठा,माथा अपना रहा था पीट
आदत बदल गयी राधा की,हो गयी है ये पूरी ढीट
दो दिन पहले ठीक ठाक थी,हो गया क्या राधा को आज
दूध ना पंहुचा राधा के घर ,गिरेगी मुझपे तगड़ी गाज
आजा पीटूंगा में हंटर से ,दूध की चोरी के इंतजाम
इतनी मार पड़ेगी मुझपे ,हो जायेगा काम तमाम
है ईश्वर मेरी जान बचालो,किया नहीं मेने अपराध
राधा है कोई चाल चल रही,कर रही दगा हमारे साथ
राधा है कोई चाल चल रही
७
तभी एक उसी लड़के का साथी,आके बैठा उसके पास
बोलै वो क्या हुआ है तुझको ,क्यों बैठा है बना उदास
हुआ रुवासा लड़का बोला,बात बड़ी ही है गंभीर
लगता है की आज हमारी ,फूट गयी है ये ये तकदीर
५
राधा गाय ने दिया है धोखा ,दूध नहीं देती एक बूँद
इसीलिए गुमसुम बैठा हु ,पेड़ के निचे आखे मूँद
अब तो ना हुआ था ऐसा ,नहीं मरती थी ये लात
दो दिन से ना जाने भैया ,बिगड़े क्यों इसके हालात
दो दिन से ना जाने भैया
८
बोला लड़का रामदीन से ,सब कुछ भली करेंगे राम
छोड़ दे चिंता और फ़िक्र तू,चल बाकि निपटा तू काम
आज बाते कल पे छोड़ दे ,निश्चित हो करना आराम
रामदीन को मिला हौसला ,जब भोला ने बंधाया धीर
भोला के आने से पहले ,रामदीन था बड़ा अधीर
दोनों चले गए फिर उठके,घिरने को हो आयी रात
राधा गाय कड़ी खुटे पे ,सुन रही थी दोनों की बात
भोजन पानी करके दोनों,सो गए दोनों डाल के खाट
भोजन पानी करके दोनों
९
अगले दिन फिर लिए बाल्टी,आया वो राधा के पास
फेरा हाथ पीठ पे उसके ,हरी हरी फिर डाली घास
दूध काढ़ने जब वो बैठा ,राधा ने फिर मारी लात
गयी बाल्टी छूट हाथ से ,बिगड़ गयी थी फिर से बात
रामदीन चला गया वहां से,उठा था मन में भारी क्रोध
अब घास न दूंगा तुझको ,दिखा रहा था वो भी क्रोध
लेके चलता हु जंगल में ,वही पे चलके भरना पेट
तूने तो कर ही डाला है ,पूरा मेरा मटिया मेट
तूने तो कर ही डाला है
१०
छैक छैक जंगल में देखो ,गइयो को वो रहे चराये
छोड़ झुण्ड गइयो का भैया,राधा अलग दिशा में जाय
सारी गैया घास चर रही ,राधा दर भागती जाय
रामदीन की नजर पड़ी जब ,सोच रहा मन में सकुचाय
कहा जा रही है ये राधा ,रामदीन वो था हैरान
कहा जा रही है वो रेत में,छोड़ घास के ये मैदान
पीछे पीछे वो भी चल पड़ा,जिधर जा रही राधा गाय
चिंता घेर रही थी मन में ,रामदीन की समझ ना आये
चिंता घेर रही थी मन में
११
चलते चलते रुक गयी राधा ,एक जगह थी वो वीरान
ठहर गयी वो गाय अचानक ,भक्तो सुनो लगाके ध्यान
इधर उधर देखा राधा ने ,होकरके वो पूरी शांत
आस पास ने कोई नहीं था,चारो तरफ से था एकांत
झरने लगा था दूध थनो से ,बहने लगी दूध की धार
मन्त्र मुग्ध सी खड़ी थी राधा,जैसे ममता रही पुकार
जैसे दूध गिरे धरती पर ,जैसे किसी को रही पिलाय
दृश्य अलौकिक वहां का भक्तो ,कलम से मेरी लिखा ना जाय
दृश्य अलौकिक वहां का भक्तो
१२
दूर खड़ा था रामदीन वो ,देख रहा था सारा छल
बहुत बड़ा ये चमत्कार था,मंजर था ये बड़ा विशाल
आँखे फटी की फटी रह गयी ,रामदीन था बड़ा हैरान
देख देख के धार दूध की ,गले में आके फस गयी जान
नहीं हुआ आखो पे भरोसा,राधा का है केसा खेल
लगे उसे सब उल्टा पुल्टा,बाते सारी थे बेमेल
घर पर दूध नहीं देती है ,यहाँ बह रही दूध की धार
बड़ी अनोखी थी ये घटना,उलटी बहे नदी की धार
बड़ी अनोखी थी ये घटना
१३
करके इशारा रामदीन ने ,भोला को फिर लिया बुलाये
देख के धन से बहती धार को ,भोला का भी सर ठकराय
हो गयी हालत पागल जैसी ,देख रहे थे आँखे फाड़
देख रहे थे मंजर ऐसा ,जैसे बन गया तिल का ताड़
दोनों ही थे असमंजस में,दृश्य रहे थे ऐसा देख
बहुत बड़ा ये चमत्कार था,बात भी थी य बड़ी विशेष
थोड़ी देर के बाद में राधा ,चली गयी जंगल की और
जहा झुण्ड था सब गइयो का,चली गयी राधा उस और
जहा झुण्ड था सब गइयो का
१४
रामदीन संग भोला दोनों,गइयो को ले आ गए गांव
जहा बांधते थे उन सबको,उनको बंधा उन्ही के ढाव
पहुंच गए फिर मुखिया के घर ,तुरंत बताया सारा हाल
सुनके उनका सारा माजरा ,मुखिया खड़ा हुआ तत्काल
खबर करूँगा महाराज को ,उन्हें बताऊंगा सब हाल
राधा नाम की गाय हमारी,करती है हर रोज कमाल
कल लेकरके महाराज की,आऊंगा जंगल को बेच
जहा पे राधा अपने दूध से ,रोज रही है धरती सींच
जहा पे राधा अपने दूध से
१५
अगले दिन गइयो को लेकर ,चले गए जंगल की और
रामदीन और भोला दोनों ,राधा पे ही करते गौर
उधर से मुखिया राजा के संग ,और सेनिको को ले साथ
पहुंच गए जंगल में वो भी ,देखेंगे राजा को आज
उधर वो राधा निकली झुण्ड से ,दौड़ी उसी दिशा में जाये
जहा पे कल वो अपने थनो से ,धरती पे थी दूध गिराए
नजर थी उसपे रामदीन के ,पीछे पीछे चला वो जाय
राधा जाके उसी जगह पे ,फिर एकदम से ठहरी जाय
राधा जाके उसी जगह पे
१६
राजा मुखिया और सिपाही ,सारे पहुंच गए उस दर
देख रहे सब आँखे फाड़ के,थन से दूध गिरे झर झर
किसी को भी विशवास नहीं था ,अपनी आखो के ऊपर
राजा सहम गया था मन में ,लगने लगा था उसको डर
बहुत बड़ी अनहोनी का वो ,सोच रहे थे ये मंजर
आफत कोई आने वाली ,शायद है सबके ऊपर
सोच सोच सब काँप रहे थे,डर बैठा मन के अंदर
जाने क्या होने वाला है ,दया करो हमपे है ईश्वर
जाने क्या होने वाला है
१७
तभी उठा तूफ़ान जोर से ,बिजली चमक उठी चम् चम्
प्रलयकारी चली अँधिया ,बरसे मेघ झमा झम झम
जंगल में मच गयी खलबली ,मन में सब घबराये रहे
है ईश्वर मेरी रक्षा करना ,चीख रहे चिल्लाये रहे
गूंजा स्वर आकाशवाणी से,घबराने की बात नहीं
मेरे होते कष्ट तुम्हे है ,किसी की ये ओकात नहीं
में झप्पर का बर्बरीक हूँ,कलियुग में मुझे आना था
इसीलिए सब हुआ है ऐसा,गाय ने दूध पिलाना था
इसीलिए सब हुआ है ऐसा
१८
जहा पे गाय खड़ी है राधा ,यही धरा है मेरा शीश
नाम मिला मुझे श्री श्याम का,ये जगदीश का है आशीष
मुझे निकालो तुरंत यहाँ से ,यही बना दो तुम मंदिर
शीश की मेरे करो स्थापना ,यही विराजूंगा में फिर
दुखियो के दुःख दर्द हरूँगा,यही बनेगा खाटू धाम
है राजन अब विलम्ब करो ना,शुरू करा दो ये शुभ काम
ठीक इसी दर करो खुदाई,और निकालो मेरा शीश
नाम तुम्हारा रोशन होगा ,तुम पर दया करे जगदीश
नाम तुम्हारा रोशन होगा
१९
तुरंत बुलाके मजदूरों को ,राजा ने दे दिया आदेश
जल्द खुदाई करो यहाँ पर,काम है पानन और विशेष
तुरंत खुदाई शुरू हो गयी ,सुबह से लेके हो गयी शाम
जो भी सुनता दौड़ता आता,लग गयी वहां पे भीड़ तमाम
गढे से फिर प्रगटि रौशनी ,ज्यो चमके हीरा कोहिनूर
चमक देख के डर गए सारे,खड़े हुए सब जाके दूर
चमक रहा था शीश श्याम का ,ज्यो सूरज का चमके नूर
होठो में मुस्कान खिल रही ,देख के सबका डर हुआ दूर
होठो में मुस्कान खिल रही,
२०.
पुष्प की वर्षा आसमान से ,होने लगी वहां भारी
हुआ जै घोष श्याम बाबा ,जै हो ताकि बाण धारी
शीश उठाया महाराज ने ,फूलो की सेज सजा के फिर
राधा के दूध से नहला करके ,शीश धरा फूलो के ऊपर
करा निर्माण भवन का ,मंदिर बना है आलिशान
छोटा सा जो गांव था खाटू,आज बन गया खाटू धाम
बैठ भवन में श्याम सांवरा ,मोर छड़ी लहराए रहा
फूलो की सेज लगा के बैठा,मंद मंद मुस्काये रहा
फूलो की सेज लगा के बैठा
२१
श्री श्याम की महिमा लिखना,किसी की भी ओकात नहीं
कलम उठा के लिखे जो गाथा,किसी में ऐसी बात नहीं
गाथा बहुत बड़ी है इनकी ,कोटि जनम तक लिखी ना जाय
हाथ जोड़के क्षमा मांगके ,शीश में अपना रहा झुकाये
दया करो है शीश के दानी,दया करो है जय दातार
अब जीवन के किसी मोड़ पर ,ना दिखलाना मुझको हार
रखना सिर पर हाथ हमेशा ,थाम के रखना मेरी डोर
मुझे उड़ाके आसमान में ,श्याम ना देना डोरी छोड़
मुझे उड़ाके आसमान में ……….
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