Current Date: 24 Dec, 2024

श्रीमद् भागवत कथा पुराण का माहात्म्य (Shrimad Bhagwat Katha Puran Ka Mahatmya)

- The Lekh


श्रीमद् भागवत कथा पुराण का माहात्म्य

श्रीमद् भागवत कथा पुराण की सप्ताह श्रवण विधि – 

श्रीमद् भागवत कथा पुराण का आयोजन प्रायः सभी लोगो के सहयोग और उनके धन के द्वारा ही होता है। सबसे पहले किसी विद्वान ज्योतिषी को बुलाकर शुभ मुहूर्त के बारे में पूछना चाहिए। फिर जिस प्रकार एक गरीब कन्या की विवाह के लिए धन एकत्रित किया जाता है वैसे ही सभी लोगो का सहयोग लेना चाहिए।

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भागवत कथा का मुहूर्त –

श्रीमद् भागवत कथा पुराण का आयोजन भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीष, आषाढ़ और श्रावण के महीने श्रेष्ठ होते है। इन महीनो में कथा सुनने से मोक्ष की प्राप्ति आसान हो जाती है।

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श्रीमद् भागवत कथा पुराण में सबका सहयोग –

इस आयोजन में ऐसे लोगो को शामिल करना चाहिए जो इस आयोजन के लिए अति उत्साही हो। फिर उन्ही लोगो की सहायता से जितने लोगो को सूचित कर सकते है ज्यादा से ज्यादा करे और उन्हें सपरिवार कथा स्थल पर पधारने के लिए अनुरोध करे। इसमें चारो वर्ण ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र के साथ साथ स्त्रियों को भी बुलाये और उनके बैठने की उचित व्यवस्था करे।

उन वैष्णव, हरिकीर्तन के प्रेम, और साधु सन्तु को विशेष तौर पर बुलाये जो इसके लिए लालायित रहते है। उनके पास श्रीमद् भागवत कथा पुराण का यह निमंत्रण पत्र अवश्य भेजे। जो इस प्रकार लिखा हो –

हे महानुभावो ! – हमारे यहाँ सात दिन तक सत्पुरुषों का बड़ा दुर्लभ समागम होगा और अपूर्व रसमयी श्रीमदभागवत कथा होगी। आप लोग इस श्रीभगवद रसके रसिक है। अतः श्रीमद भागवत कथा का रसामृत पान करने के लिए प्रेमपूर्वक शीघ्र पधारने की कृपा करे। यदि आपको अवकाश न हो तब भी आपको समय निकालना चाहिए। क्युकी यहाँ का तो एक क्षण भी बड़ा दुर्लभ है। ”
इस प्रकार उन्हें विनयपूर्वक आमंत्रित करे।

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श्रीमद् भागवत कथा पुराण का स्थान –

श्रीमद् भागवत कथा पुराण का श्रवण अगर किसी तीर्थ स्थान, वन में, तथा अपने घर जहाँ लम्बा चौड़ा मैदान हो, पर अत्यंत शुभ माना गया है। भूभि खोजने के बाद वहाँ साफ सफाई करे। आस पास पुष्पोंऔर तुलसी के पौधे लगाए। जगह जगह पर चौक पूरे, लेपन करे।

 

 

Week listening method of Shrimad Bhagwat Katha Puran – 

Shrimad Bhagwat Katha Puran is organized mostly with the help and money of all the people. First of all, a learned astrologer should be called and asked about the auspicious time. Then the way money is collected for the marriage of a poor girl, in the same way cooperation of all the people should be taken.

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Muhurta of Bhagwat Katha –

The months of Bhadrapada, Ashwin, Kartik, Marshish, Ashadh and Shravan are best for organizing Shrimad Bhagwat Katha Puran. It becomes easy to attain salvation by listening to stories in these months.

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Everyone's cooperation in Shrimad Bhagwat Katha Purana –

Such people should be included in this event who are very enthusiastic about this event. Then, with the help of those people, inform as many people as possible and request them to visit the family story site. In this, along with the four varnas Brahmins, Kshatriyas, Vaishyas and Shudras, women should also be called and proper arrangements should be made for their seating.

Specially invite those Vaishnavas, the love of Harikirtan, and Sadhu Santu who yearn for it. Make sure to send this invitation letter of Shrimad Bhagwat Katha Puran to him. Which is written like this -

Hey gentlemen! For seven days, there will be a very rare meeting of good men and there will be a unique ritual Shrimad Bhagwat Katha. You people are fond of this Shri Bhagwad juice. Therefore, please come soon with love to drink the Rasamrit of Shrimad Bhagwat Katha. You should find time even if you don't have time off. Because even a single moment here is very rare. Thus invite them politely.

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Location of Shrimad Bhagwat Katha Purana –

Shrimad Bhagwat Katha Purana is considered very auspicious if heard in a pilgrimage place, forest, and at home where there is a long wide ground. After finding the land, clean it there. Plant flowers and basil plants around. Complete the square at every place, coat it.

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