M:- हो सूर्य पुत्र अग्नये विशाला
श्री शनिदेव है दीन दयाला
कोरस :- जय शनिदेव जय दीन दयाला तुम सम और जय कौन विशाल
M:- हो तुम उत्तम सर्वोत्तम देवा
तुम पूजहि जो पावहि मेवा
कोरस :- जय शनिदेव जय दीन दयाला तुम सम और जय कौन विशाल
M:- हो न्याय तुला के तुम हो नायक
सरल ह्रदय के सदा सहायक
कोरस :- जय शनिदेव जय दीन दयाला तुम सम और जय कौन विशाल
M:- हो शनिवार दिन नाम तुम्हारे
तुम निज भक्तन के रखवारे
कोरस :- जय शनिदेव जय दीन दयाला तुम सम और जय कौन विशाल
M:- हो लोह उड़द तिल तेल चढ़ा के
नेष्ट दोष सबका कट जाते
कोरस :- जय शनिदेव जय दीन दयाला तुम सम और जय कौन विशाल
M:- हो टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराली
नीच को नहीं बक्शने वाली
कोरस :- जय शनिदेव जय दीन दयाला तुम सम और जय कौन विशाल
M:- हो शिम्पापुर में धाम तुम्हारा
हुआ नगर प्रकशित सारा
कोरस :- जय शनिदेव जय दीन दयाला तुम सम और जय कौन विशाल
M:- हो ना दरवाजे नहीं ताले
हो शनिदेव तुम ही रखवाले
कोरस :- जय शनिदेव जय दीन दयाला तुम सम और जय कौन विशाल
M:- हो दिव्य शिला ने वास तुम्हारा
तुमको पूज रहा जग सारा
कोरस :- जय शनिदेव जय दीन दयाला तुम सम और जय कौन विशाल
M:- हो तुम शीतल तुम अंगारा
नेत्र में बहती क्रोध की धारा
कोरस :- जय शनिदेव जय दीन दयाला तुम सम और जय कौन विशाल
M:- हो जो कोई पूजे सरल ह्रदय से
वो बच जाए शनि प्रलय से
कोरस :- जय शनिदेव जय दीन दयाला तुम सम और जय कौन विशाल
M:- हो शनि कृपा जिसको मिल जाती
आती ना फिर साढ़े साती
कोरस :- जय शनिदेव जय दीन दयाला तुम सम और जय कौन विशाल
M:- हो हे शनिदेव है अन्तर्यामी
दया करो सुखदेव पे स्वामी
कोरस :- जय शनिदेव जय दीन दयाला तुम सम और जय कौन विशाल
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