M:- श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम
कोरस :- श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम
M:- श्री रामचंद्र चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम् -2
नवकंज लोचन, कंज मुख, कर कंज, पद कन्जारुणम ॥1॥
कोरस :- श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम
M:- कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम ।
पट पीत मानहु तड़ित रुचि शुचि नौमी जनक सुतावरम् ॥2॥
श्री रामचंद्र चंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारुणम्
कोरस :- श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम
M:- भजु दीनबंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम् ।
रघुनंद आनंदकंद कौशलचंद दशरथ नन्दनम ॥3॥
श्री रामचंद्र चंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारुणम्
कोरस :- श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम
M:- सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारू उदारु अंग विभुषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धुषणं ॥4॥
श्री रामचंद्र चंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारुणम्
कोरस :- श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम
M:- इति वदति तुलसीदास शंकर-शेष-मुनि-मन-रंजनम् ।
मम् हृदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम् ॥5॥
श्री रामचंद्र चंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारुणम्
कोरस :- श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम
M:- मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सांवरों ।
करुना निधान सुजान सिलु सनेहु जानत रावरो ॥6॥
श्री रामचंद्र चंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारुणम्
कोरस :- श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम
M:- एही भांती गौरी असीस सुनि सिय सहित हिय हरषी अली ।
तुलसी भवानी पूजि पूनि पूनि मुदित मन मंदिर चली ॥7॥
श्री रामचंद्र चंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारुणम्
कोरस :- श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम
M:- जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे
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