Current Date: 17 Nov, 2024

श्री लक्ष्मी चालीसा | Shri Laxmi Chalisa with Hindi Lyrics.

- B Vini


श्री लक्ष्मी चालीसा लिरिक्स | Shri Laxmi Chalisa Lyrics.


॥ दोहा॥


मातु लक्ष्मी करि कृपा,

करो हृदय में वास ।

मनोकामना सिद्घ करि,

परुवहु मेरी आस ॥

॥ सोरठा॥

यही मोर अरदास,

हाथ जोड़ विनती करुं ।

सब विधि करौ सुवास,

जय जननि जगदंबिका ॥

 

॥ चौपाई ॥

सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही ।

ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही ॥

 

तुम समान नहिं कोई उपकारी ।

सब विधि पुरवहु आस हमारी ॥

 

जय जय जगत जननि जगदम्बा ।

सबकी तुम ही हो अवलम्बा ॥

 

तुम ही हो सब घट घट वासी ।

विनती यही हमारी खासी ॥

 

जगजननी जय सिन्धु कुमारी ।

दीनन की तुम हो हितकारी ॥

 

विनवौं नित्य तुमहिं महारानी ।

कृपा करौ जग जननि भवानी ॥

 

केहि विधि स्तुति करौं तिहारी ।

सुधि लीजै अपराध बिसारी ॥

 

कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी ।

जगजननी विनती सुन मोरी ॥

 

ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता ।

संकट हरो हमारी माता ॥

 

क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो ।

चौदह रत्न सिन्धु में पायो ॥ 

 

चौदह रत्न में तुम सुखरासी ।

सेवा कियो प्रभु बनि दासी ॥

 

जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा ।

रुप बदल तहं सेवा कीन्हा ॥

 

स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा ।

लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा ॥

 

तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं ।

सेवा कियो हृदय पुलकाहीं ॥

 

अपनाया तोहि अन्तर्यामी ।

विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी ॥

 

तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी ।

कहं लौ महिमा कहौं बखानी ॥

 

मन क्रम वचन करै सेवकाई ।

मन इच्छित वांछित फल पाई ॥

 

तजि छल कपट और चतुराई ।

पूजहिं विविध भांति मनलाई ॥

 

और हाल मैं कहौं बुझाई ।

जो यह पाठ करै मन लाई ॥

 

ताको कोई कष्ट नोई ।

मन इच्छित पावै फल सोई ॥ 

 

त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि ।

त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी ॥

 

जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै ।

ध्यान लगाकर सुनै सुनावै ॥

 

ताकौ कोई न रोग सतावै ।

पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै ॥

 

पुत्रहीन अरु संपति हीना ।

अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना ॥

 

विप्र बोलाय कै पाठ करावै ।

शंका दिल में कभी न लावै ॥

 

पाठ करावै दिन चालीसा ।

ता पर कृपा करैं गौरीसा ॥

 

सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै ।

कमी नहीं काहू की आवै ॥

 

बारह मास करै जो पूजा ।

तेहि सम धन्य और नहिं दूजा ॥

 

प्रतिदिन पाठ करै मन माही ।

उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं ॥

 

बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई ।

लेय परीक्षा ध्यान लगाई ॥ 

 

करि विश्वास करै व्रत नेमा ।

होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा ॥

 

जय जय जय लक्ष्मी भवानी ।

सब में व्यापित हो गुण खानी ॥

 

तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं ।

तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं ॥

 

मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै ।

संकट काटि भक्ति मोहि दीजै ॥

 

भूल चूक करि क्षमा हमारी ।

दर्शन दजै दशा निहारी ॥

 

बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी ।

तुमहि अछत दुःख सहते भारी ॥

 

नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में ।

सब जानत हो अपने मन में ॥

 

रुप चतुर्भुज करके धारण ।

कष्ट मोर अब करहु निवारण ॥

 

केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई ।

ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिकाई ॥

 

॥ दोहा॥

त्राहि त्राहि दुख हारिणी,

हरो वेगि सब त्रास ।

जयति जयति जय लक्ष्मी,

करो शत्रु को नाश ॥

 

रामदास धरि ध्यान नित,

विनय करत कर जोर ।

मातु लक्ष्मी दास पर,

करहु दया की कोर ॥

Shri Laxmi Chalisa Lyrics. श्री लक्ष्मी चालीसा लिरिक्स 

॥ Doha ॥

Maatu Lakshmi Kari Kripa

Hridaya Mein Vaas ।

Manokamna Siddha Kari

Paruvahu Meri Aas ॥

॥ Sortha ॥

Yahi Mor Ardas,

Hath Jod Vinati karun ।

Sab Vidhi Karau Suvas,

Jai Janani Jagadambika ।

 

॥ Chaupai ॥

Sindu Suta Main Sumirau Tohi ।

Gyan, Buddhi, Vidya Do Mohi ॥

 

Tum Samaan Nahi Koi Upkari ।

Sab Vidhi Puravahu Aas Hamari ॥

 

Jai Jai Jagat Janani Jagadamba ।

Sabaki Tum Hi Ho Avalamba ॥

 

Tum Hi Ho Sab Ghat Ghat Vaasi ।

Vinati Yahi Hamari Khaasi ॥

 

Jagajanani Jai Sindhu Kumari ।

Dinan ki Tum Ho Hitakari ॥

 

Vinavaun Nitya Tumahin Maharani ।

Kripa Karau Jaga Janani Bhavani ॥

 

Kehi Vidhi Stuti Karaun Tihari ।

Sudhi Lijai Aparadh Bisari ॥

 

Kripa Drishti Chitavavo Mam Ori ।

Jaga Janani Vinati Sun Mori ॥

 

Gyan Buddhi Jai Sukh Ki Data ।

Sankat Haro Hamari Mata ॥

 

Kshirasindhu Jab Vishnu Mathayo ।

Chaudah Ratna Sindhu Mein Payo ॥

 

Chaudah Ratna Mein Tum Sukharasi ।

Seva Kiyo Prabu Bani Dasi ॥

 

Jab Jab Janma Jahan Prabhu Linha ।

Roop Badal Tahan Seva Kinha ॥

 

Svayan Vishnu Jab Nar Tanu Dhara ।

Linheu Avadhapuri Avatara ॥

 

Tab Tum Pragat Janakapur Mahin ।

Seva Kiyo Hridaya Pulakahin ॥

 

Apanaya Tohi Antaryami ।

Vishva Vidit Tribhuvan Ki Swami ॥

 

Tum Sam Prabal Shakti Nahin Aani ।

Kahan Lau Mahima Kahaun Bakhani ॥

 

Man Kram Vachan Karai Sevakai ।

Man Ichchhita Vanchhit Phal Pai ॥

 

Taji Chhal Kapat Aur Chaturai ।

Pujahin Vividh Bhanti Man Lai ॥

 

Aur Haal Main Kahaun Bujhai ।

Jo Yah Paath Karai Man Lai ॥

 

Tako Koi Kashta Noi ।

Man Ichchhita Pavai Phal Soi ॥

 

Trahi Trahi Jai Dukh Nivarini ।

Trividh Taap Bhav Bandhan Harini ॥

 

Jo Chalisa Pade Padave ।

Dhyana Lagakar Sunai Sunavai ॥

 

Takau Koi Na Rog Satavai ।

Putra Aadi Dhan Sampatti Pavai ॥

 

Putrahin Aru Sampatti Hina ।

Andh Badhir Kodhi Ati Dina ॥

 

Vipra Bolaya Kai Paath Karavai ।

Shanka Dil Mein Kabhi Na Lavai ॥

 

Paath Karavai Din Chalisa ।

Ta Par Kripa Karain Gaurisa ॥

 

Sukh Sampatti Bahut Si Pavai ।

Kami Nahin Kaahu Ki Avai ॥

 

Barah Maas Karai Jo Puja ।

Tehi Sam Dhanya Aur Nahin Duja ॥

 

Pratidin Paath Karai Man Mahin ।

Un Sam Koi Jag Mein Kahun Naahin ॥

 

Bahuvidhi Kya Mai Karaun Badai ।

Leya Pariksha Dhyana Lagai ॥

 

Kari Vishvas Karai Vrat Nema ।

Hoy Siddha Upajai Ur Prema ॥

 

Jai Jai Jai Lakshmi Bhavani ।

Sab Mein Vyapita Ho Gun Khaani ॥

 

Tumharo Tej Prabal Jag Mahin ।

Tum Sam Kou Dayalu Kahun Naahin ॥

 

Mohi Anath Ki Sudhi Ab Lijai ।

Sankat Kaati Bhakti Mohi Dijai ॥

 

Bhul Chuk Kari Kshama Hamari ।

Darshan Dajai Dasha Nihari ॥

 

Bin Darshan Vyakul Adhikari ।

Tumahi Achhat Dukh Sahate Bhaari ॥

 

Nahin Mohin Gyan Buddhi Hai Tan Mein ।

Sab Janat Ho Apane Man Mein ॥

 

Roop Chaturbhuja Karake Dharan ।

Kashta Mor Ab Karahu Nivaran ॥

 

Kehi Prakar Main Karaun Badai ।

Gyan Buddhi Mohin Nahin Adhikai ॥

 

॥ Doha ॥

Trahi Trahi Dukh Harini,

Haro Vegi Sab Tras ।

Jayati Jayati Jai Lakshmi,

Karo Shatru Ko Naash ॥

Ramdas Dhari Dhyan Nit,

Vinay Karat Kar Jor ।

Maatu Lakshmi Daas Par,

Karahu Daya Ki Kor ॥

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