Current Date: 18 Nov, 2024

श्री ललिता माता अमृतवाणी

- Tara Devi


जयति-जयति जय ललिते माता
तव गुण महिमा है विख्याता
कोरस: तू सुन्दरी त्रिपुरेश्वरी देवी
सुर नर मुनि तेरे पद सेवी
F: तू कल्याणी कष्ट निवारिणी
तू सुख दायिनी विपदा हारिणी
 कोरस: मोह विनाशिनी दैत्य नाशिनी
भक्त भाविनी ज्योति प्रकाशिनी

 F: आदि शक्ति श्री विद्या रूपा
 चक्र स्वामिनी देह अनूपा
कोरस: हृदय निवासिनी-भक्त तारिणी
नाना कष्ट विपति दल हारिण
F: दश विद्या है रूप तुम्हारा
 श्री चन्द्रेश्वरी नैमिष प्यारा
कोरस:धूमा, बगला, भैरवी, तारा 
भुवनेश्वरी, कमला, विस्तारा
F: षोडशी, छिन्न्मस्ता, मातंगी
ललितेशक्ति तुम्हारी संगी
कोरस: ललिते तुम हो ज्योतित भाला
 भक्तजनों का काम संभाला

F: भारी संकट जब-जब आए
उनसे तुमने भक्त बचाए
कोरस: जिसने कृपा तुम्हारी पाई
 उसकी सब विधि से बन आई
F: संकट दूर करो मां भारी
भक्तजनों को आस तुम्हारी
कोरस: त्रिपुरेश्वरी, शैलजा, भवानी
जय-जय-जय शिव की महारानी
F: योग सिद्धि पावें सब योगी
 भोगें भोग महा सुख भोगी
कोरस: कृपा तुम्हारी पाके माता
जीवन सुखमय है बन जाता

F: दुखियों को तुमने अपनाया
महा मूढ़ जो शरण न आया
कोरस:तुमने जिसकी ओर निहारा
मिली उसे संपत्ति, सुख सारा
F: आदि शक्ति जय त्रिपुर प्यारी
 महाशक्ति जय-जय, भय हारी
कोरस: कुल योगिनी, कुंडलिनी रूपा
लीला ललिते करें अनूपा
F: महा-महेश्वरी, महाशक्ति दे
त्रिपुर-सुन्दरी सदा भक्ति दे
कोरस: महा महा-नन्दे कोरस:
मूकों को देती हो वाणी

F: इच्छा-ज्ञान-क्रिया का भागी
 होता तब सेवा अनुरागी
कोरस: जो ललिते तेरा गुण गावे
 उसे न कोई कष्ट सतावे
F:सर्व मंगले ज्वाला-मालिनी
 तुम हो सर्वशक्ति संचालिनी
कोरस: आया मां जो शरण तुम्हारी
 विपदा हरी उसी की सारी

F: नामा कर्षिणी, चिंता कर्षिणी
 सर्व मोहिनी सब सुख-वर्षिणी
कोरस: महिमा तव सब जग विख्याता
तुम हो दयामयी जग माता
F: सब सौभाग्य दायिनी ललिता
 तुम हो सुखदा करुणा कलिता
कोरस: आनंद, सुख, संपत्ति देती हो
 कष्ट भयानक हर लेती हो
F: मन से जो जन तुमको ध्यावे
 वह तुरंत मन वांछित पावे
कोरस: लक्ष्मी, दुर्गा तुम हो काली
 तुम्हीं शारदा चक्र-कपाली

F: मूलाधार, निवासिनी जय-जय
सहस्रार गामिनी मां जय-जय
कोरस: छ: चक्रों को भेदने वाली
 करती हो सबकी रखवाली
F: योगी, भोगी, क्रोधी, कामी
सब हैं सेवक सब अनुगामी
कोरस: सबको पार लगाती हो मां
 सब पर दया दिखाती हो मां
F: हेमावती, उमा, ब्रह्माणी
भण्डासुर की हृदय विदारिणी
कोरस: सर्व विपति हर, सर्वाधारे
 तुमने कुटिल कुपंथी तारे
F: चन्द्र-धारिणी, नैमिश्वासिनी
 कृपा करो ललिते अधनाशिनी
कोरस:भक्तजनों को दरस दिखाओ
 संशय भय सब शीघ्र मिटाओ

F: जो कोई पढ़े ललिता चालीसा
होवे सुख आनंद अधीसा
कोरस:जिस पर कोई संकट आवे
 पाठ करे संकट मिट जावे
F: ध्यान लगा पढ़े इक्कीस बारा
पूर्ण मनोरथ होवे सारा
कोरस: पुत्रहीन संतति सुख पावे
निर्धन धनी बने गुण गावे
F: इस विधि पाठ करे जो कोई
 दु:ख बंधन छूटे सुख होई
कोरस: जितेन्द्र चन्द्र भारतीय बतावें
 पढ़ें चालीसा तो सुख पावें
F: सबसे लघु उपाय यह जानो
सिद्ध होय मन में जो ठानो
कोरस:ललिता करे हृदय में बासा
 सिद्धि देत ललिता चालीसा
ललिता करे हृदय में बासा
 सिद्धि देत ललिता चालीसा

F: ललिते मां अब कृपा करो 
सिद्ध करो सब काम
श्रद्धा से सिर नाय कर
करते तुम्हें प्रणाम

बोलिए ललिता मैया की
कोरस: जय

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