Current Date: 21 Nov, 2024

श्री कृष्ण और सुखिया मालिन की कहानी (Shri Krishna Aur Sukhiya Malin Ki Khani)

- The Lekh


श्री कृष्ण और सुखिया मालिन की कहानी 

ब्रजधाम में एक सुखिया नाम की मालिन आती थी। वह फल, फूल और सब्जी बेचकर अपना गुजारा किया करती थी। ब्रज में सुखिया जब गोपियों से मिलती, तो वो उसे नन्दलाला के बारे में बताती थीं। बाल कृष्ण की लीला सुनने में सुखिया को बहुत आनंद आता था। उसका मन भी बाल कृष्ण के दर्शन को तरसता था। सुखिया श्री कृष्ण को देखने के लिए घंटों तक नन्द बाबा के महल के सामने खड़ी रहती थी, लेकिन उसे श्री कृष्ण के कभी दर्शन नहीं होते।

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भगवान कृष्ण तो अंतर्यामी हैं, उन्हें तो सब पता चल जाता है। जब उन्हें पता चला कि सुखिया उनकी परम भक्त है, तो उन्होंने सुखिया को दर्शन देने का निर्णय लिया। अगले दिन सुखिया ने नन्द महल के सामने आवाज दी, “फल ले लो फल”। सुखिया की आवाज सुनकर श्री कृष्ण दौड़े चले आए। नन्दलाल को अपने सामने देखकर सुखिया की खुशी का ठिकाना न रहा। सुखिया ने नन्हे कृष्ण को बहुत से फल दे दिए।

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फल की कीमत चुकाने के लिए श्री कृष्ण बार-बार महल के अंदर जाते और मुट्ठी में अनाज लाने की कोशिश करते, लेकिन सारा अनाज रास्ते में ही बिखर जाता था। सुखिया को भगवान कृष्ण दो चार दाने ही दे पाए। सुखिया के मन में इस बात का कोई मलाल न था। वह तो बहुत खुश थी कि आज उसने अपने हाथों से भगवान को फल दिए और उन्होंने वो फल खाए।

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सुखिया मुस्कुराती हुई अपने घर पहुंची। उसकी फल की टोकरी खाली थी, क्योंकि वो सारे फल श्री कृष्ण को दे आई थी। घर जाकर उसने टोकरी अपने सिर से उतारी तो पाया कि उसकी टोकरी हीरे जवाहरात से भरी हुई है। सुखिया समझ गई कि यह भगवान की लीला है। उसने मन ही मन बाल गोपाल को धन्यवाद दिया। इस तरह श्री कृष्ण ने अपनी परम भक्त सुखिया का उद्धार किया।

Story of Shri Krishna and Sukhiya Malin

A maid named Sukhiya used to come to Brajdham. She used to earn her living by selling fruits, flowers and vegetables. When Sukhiya met the Gopis in Braj, they used to tell her about Nandlala. Sukhiya used to take great pleasure in listening to the pastimes of Bal Krishna. His mind also longed to see the child Krishna. Sukhiya used to stand in front of Nand Baba's palace for hours to see Shri Krishna, but she could never see Shri Krishna.

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Lord Krishna is intimate, he comes to know everything. When he came to know that Sukhiya was his ardent devotee, he decided to give darshan to Sukhiya. The next day, Sukhiya shouted in front of Nand Mahal, "Take the fruit". Shri Krishna came running after hearing Sukhiya's voice. Seeing Nandlal in front of her, Sukhiya's happiness knew no bounds. Sukhiya gave many fruits to little Krishna.

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To pay the price of the fruit, Shri Krishna repeatedly went inside the palace and tried to bring grains in handfuls, but all the grains were scattered on the way. Lord Krishna was able to give only two to four grains to Sukhiya. Sukhiya had no qualms about this. She was very happy that today she gave fruits to God with her own hands and He ate those fruits.

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Sukhiya reached her home smiling. Her fruit basket was empty because she had given all the fruits to Shri Krishna. When he went home and removed the basket from his head, he found that his basket was full of diamonds and jewels. Sukhiya understood that this is God's Leela. He thanked Bal Gopal in his heart. In this way Shri Krishna saved his supreme devotee Sukhiya.

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