Current Date: 18 Nov, 2024

श्री शनि अष्टकम

- Avinash Karn


यह एक प्रभावशाली शनिस्तवन है। इसका अनुष्ठान पूर्ण श्रद्धा और विश्वास से करें तथा जप काल में
किसी प्रकार की अशुद्धि अथवा त्रुटि भी नहीं रहनी चाहिए। 
 विनियोगःॐ अस्यश्रीशनैश्चरस्तोत्रमंत्रस्यदशरथऋषिःत्रिष्टुपछंद:
श्री शनैश्चरोदेवताश्रीशनैश्चरप्रीत्यर्थेजपेविनियोगः । 

दाए हाथ में जल लेकर विनियोग करे इसके बाद शनि का ध्यान करते हुए स्तवन आरम्भ करे 

दशरथउवाच
कोणोऽन्तकोरौद्रयमोऽथबभ्रुःकृष्णःशनिःपिंगलमन्दसौरिः। 
नित्यंस्मृतोयोहरते च पीड़ांतस्मैनमःश्रीरविनंदनाय॥ 
नरानरेंद्राःपशवोमृगेन्द्रावन्याश्वयेकीटपतंगभृगाः। 
पीड्यन्तिसर्वेविषमस्थितेनतस्मैनमःश्रीरविनन्दनाय॥ 
देशाश्चदुर्गाणिवनानियत्रसेनानिवेशा: पुरपत्तनानि।
पीड्यन्तिसर्वेविषस्थितेनतस्मैनमःश्रीरविनंदाय।। 
तिलै्यवैर्माघगुडान्नदानैःलौह्हेश्चनीलाम्बरदानतोवा।
प्रीष्तििमंत्रैन्निजवासरे च तस्मैनमःश्रीरविनंदनाय॥ 
प्रयागकूलेयमुनातटेवासरस्वतीपुण्यजलेगुहायाम्। 
योयोगिनाध्यानगतोऽपिसूक्ष्मतस्मैनमःश्रीरविनंदनाय॥ 
अन्यप्रदेशात्स्वगृहंप्रविष्टस्तदीयवारे स नरःसुखीस्यात्। 
गृहाद्गतोयो न पुनःप्रयातितस्मैनमःश्रीरविनंदनाय॥ 
स्त्रष्टास्वयम्भुर्भुवनत्रयस्यत्राताहरीशोहरतेपिनाकी। 
एकस्त्रिधाऋग्यजुसाममूर्तितस्मैनमःश्रीरविनन्दनाय॥ 
शन्यष्टकंयःप्रयतःप्रभातेनित्यंसपुत्रैःपशुबान्धवैश्च। 
पठेत्तुसौख्यंभुविभोगयुक्तःप्राप्नोतिनिर्वाणपदंतदन्ने॥

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