श्री राम जी ने शिव धनुष क्यों तोड़ा
राजा जनक ने अपनी प्रजा को और अपने राज्य को प्राकृतिक सूखे से बचाने के लिए किसान बन कर हल चलाया और खेत जोता तभी उनको धरती में एक मिट्टी का घड़ा मिला जिसमें एक कन्या थी। उसका नाम सीता रखा जो माता लक्ष्मी का अवतार थी। जब वो बड़ी हुई तो राजा जनक ने उनका विवाह करने के लिए स्वयंवर रखा। स्वयंवर में सीता जी से विवाह करने के लिए सभी राजा आये, इसी में राक्षस राज रावण भी आया था।
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स्वयंवर की शर्त ये थी कि जो महादेव शिव जी के धनुष पिनाक पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा उसका विवाह जानकी सीता जी से किया जाएगा। सबने प्रयास किया पर कोई उस शिव धनुष की प्रत्यंचा नही चढ़ा पाया, रावण भी नहीं जब उसने शिव धनुष को उठाना चाहा तो वह भी न उठा सका ओर शिव जी के धनुष को प्रणाम करके वापस लौट गया। फिर भगवान श्री राम जी आये उन्होंने धनुष पर जैसे ही प्रत्यंचा चढ़ाई वैसे ही शिव धनुष भंग हो गया।
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शिव धनुष भंग होने पर भगवान परशूराम जी बहुत क्रोधित भी हुए थे। परंतु बाद में श्री राम जी ने बड़ी ही विनम्रता से उन्हें शांत किया। और उनका विवाह जनक दुलारी सीता जी के साथ संपन्न हुआ।
Why did Shri Ram break the bow of Shiva
To save his people and his kingdom from natural drought, King Janak, disguised as a farmer, plowed the field and plowed the field, only then he found an earthen pot in the earth, in which there was a girl. She was named Sita who was an incarnation of Goddess Lakshmi. When she grew up, King Janak organized a Swayamvara to get her married. All the kings came to marry Sita ji in Swayamvar, in this the demon king Ravana also came.
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The condition of Swayamvara was that the one who would string Mahadev Shiva's bow on Pinak, would be married to Janaki Sita. Everyone tried but no one could string the bow of Shiva, not even Ravana, when he wanted to lift the bow of Shiva, he too could not lift it and returned after bowing down to Shiva's bow. Then Lord Shri Ram came, as soon as he put the string on the bow, the bow of Shiva broke.
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Lord Parshuram was also very angry when Shiva's bow was broken. But later Shri Ram ji very politely pacified him. And his marriage was completed with Janak Dulari Sita ji.
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