मन्दं हसन्तं प्रभया लसन्तं जनस्य चित्तं सततं हरन्तम् ।
वेणुं नितान्तं मधु वादयन्तं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥
अर्थ : मृदु हास्य करनेवाले; तेज से चमकनेवाले, हमेशा लोगों का चित्त आकर्षित करनेवाले;
अत्यंत मधुर बासुरी बजानेवाले बालकृष्ण का मै मन से स्मरण करता हुँ।
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