Current Date: 28 Dec, 2024

कैसे तोड़ा श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा का घमंड? (Kaise Toda Shree Krishna Ne Apni patni Satyabhama Ka Ghamand?)

- The Lekh


कैसे तोड़ा श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा का घमंड?

एक बार भगवान श्री कृष्ण की पत्नी सत्यभामा को अभिमान हो गया कि वह सबसे सुंदर है. इस लिए भगवान ने उनके कहने पर स्वर्ग से पारिजात का वृक्ष पृथ्वी पर ले आए. वह एक बार भगवान श्री कृष्ण के साथ सिंहासन पर बैठी थी. श्री कृष्ण से पूछने लगी प्रभु जब आपने त्रेता युग में श्री राम का अवतार लिया था . क्या सीता जी भी मुझ जैसी सुंदर थी? 

उनके पास में गरुड़ जी खड़े थे .उनको भी अभिमान  था कि मेरी गति सबसे ज्यादा तेज है . मुझसे तेज गति और किसी की भी नहीं है . इसीलिए भगवान श्री हरि हर जगह मुझे साथ ले जाते हैं .

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सुदर्शन चक्र को घमंड हो गया कि भगवान ने कई दुष्टों का संहार मेरे द्वारा किया है. मैं भगवान का सबसे शक्तिशाली  शस्त्र हूँ.  भगवान श्री कृष्ण ने सोचा कि  इन तीनों के अहंकार मिटाने का समय आ गया है. 

भगवान श्री कृष्ण ने गरुड़ जी से कहा जा कर हनुमान जी से कहो कि भगवान श्री राम माता सीता के साथ आपसे मिलने की प्रतीक्षा द्वारिका जी में कर रहे हैं . सत्यभामा से कहा, "तुम सीता जी की तरह तैयार हो जाओ . स्वयं श्री राम के जैसा स्वरूप बना लिया. सुदर्शन चक्र से कहा ,"तुम दरवाजे पर पहरा दो, मेरी आज्ञा के बिना कोई अंदर ना आ पाए".

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 गरुड़ जी हनुमान जी के पास पहुंचे और उन्हें संदेश दिया प्रभु श्री राम मां सीता के साथ द्वारिका जी में आपसे मिलना चाहते हैं . गरुड़ जी ने हनुमान जी से कहा, " आप मेरी पीठ पर बैठ जाओ, मैं शीघ्रता से आपको पहुंचा दूंगा ", हनुमान जी ने कहा तुम जाओ . मैं स्वयं आ जाऊंगा . 

गरुड़ जी जब कृष्ण जी के पास  पहुंचे तो क्या देखते हैं हनुमान जी तो पहले से ही वहां विद्यमान है . गरुड़ जी का अपनी तेज गति का घमंड उसी समय टूट गया. 
श्री कृष्ण हनुमान जी से पूछा ,"हनुमान तुम अंदर कैसे आए ,द्वार पर तुमको किसी ने रोका नहीं ".हनुमान जी कहा,  प्रभु द्वार पर सुदर्शन चक्र ने मेरा रास्ता रोकने की कोशिश की थी "

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 आपके दर्शन में विलंब करने वाले उस चक्र को मैंने अपने मुंह में रख लिया और हनुमान जी ने  सुदर्शन चक्र निकालकर प्रभु के चरणों में रख दिया और सुदर्शन चक्र का घमंड टूट गया. 
अब बारी आई सत्यभामा की हनुमान जी कहने लगे आपको तो मैंने पहचान लिया आपने द्वापर युग में श्री कृष्ण के रूप में जन्म लिया है.

 आपने सीता माता के स्थान पर किस दासी को बैठाया है . इतना सुनते ही सत्यभामा को अपनी सुंदरता पर जो  घमंड था चूर चूर हो गया  .जब हनुमान जी ने उनकी तुलना दासी से कर दी .इस प्रकार श्री कृष्ण ने  हनुमान जी की मदद से सत्यभामा, सुदर्शन चक्र और गरुड़ जी का घमंड चूर- चूर कर दिया.

 How Shri Krishna broke the pride of his wife Satyabhama?

Once Satyabhama, wife of Lord Shri Krishna became proud that she is the most beautiful. That's why God brought the Parijat tree from heaven to earth on his request. She once sat on the throne with Lord Shri Krishna. She started asking Shri Krishna, Lord, when did you incarnate as Shri Ram in Treta Yug. Was Sita ji also beautiful like me? 

Garud ji was standing near him. He was also proud that my speed is the fastest. No one else has a faster speed than me. That's why Lord Shri Hari takes me everywhere.

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Sudarshan Chakra became proud that God has killed many evils through me. I am the most powerful weapon of God. Lord Shri Krishna thought that the time has come to remove the ego of these three. 

Lord Shri Krishna told Garuda ji to tell Hanuman ji that Lord Shri Ram is waiting to meet you with Mother Sita in Dwarka ji. Said to Satyabhama, "You get ready like Sita ji. Made yourself like Shri Ram. Said to Sudarshan Chakra," You guard the door, no one can come inside without my permission".

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 Garud ji reached to Hanuman ji and gave him the message that Lord Shri Ram wants to meet you in Dwarka ji along with mother Sita. Garud ji said to Hanuman ji, "You sit on my back, I will quickly reach you", Hanuman ji said you go. I'll come myself. 

When Garuda ji reached to Krishna ji, what did he see, Hanuman ji was already present there. Garud ji's pride of his fast speed broke at the same time. 
Shri Krishna asked Hanuman ji, "Hanuman how did you come inside, no one stopped you at the door". Hanuman ji said, Sudarshan Chakra tried to block my way at Lord's door. 

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 I kept that disc in my mouth which delayed your darshan and Hanuman ji took out Sudarshan Chakra and placed it at the feet of the Lord and the pride of Sudarshan Chakra was broken. 
Now it was the turn of Satyabhama. Hanuman ji started saying that I have recognized you that you have taken birth as Shri Krishna in Dwapar Yug.

 Which maidservant have you made sit in place of Mother Sita? On hearing this, Satyabhama's pride in her beauty was shattered. When Hanuman ji compared her to a maidservant. In this way, with the help of Hanuman ji, Shri Krishna shattered the pride of Satyabhama, Sudarshan Chakra and Garuda ji.

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