हे मां वीणा वादिनी स्वर का दे दो ज्ञान
श्री कृष्ण जन्म की कथा कर रहा हूं मैं गुणगान ||
श्री हरि विष्णु ने धरा भ्राज का अवतार
प्रगट हो गए थे धरती पर हरने उसका भार ||
ध्यान लगाकर बैठिए हुई कथा आरंभ
होने जा रहा है भक्तों श्री कृष्ण का जन्म ||
भारत में मथुरा नगरी राजा जिसका कंस
अत्याचारी अनाचारी भरा हुआ था घमंड ||
अपने माता-पिता को दिया उसने कारावास
मथुरा की जनता को दिया उसने बहुत ही त्रास ||
बहन थी उसकी देवकी स्नेह था अपार
बड़े भाई का बहना पर अजब था प्यार दुलार ||
वासुदेव संग से उसका कराया ब्याह
विदा कराने बहन को खुद ही रथ हाका ||
जो ही पहुंचा मार्ग में बादल थे घिर आये
बिजली कड़की जोर से आंधी तूफान आए ||
हुई आकाश से वाणी कंस हो सावधान
काल तेरा जल्द आएगा सुनले लगाकर ध्यान ||
देवकी की जब होगी आठवीं संतान
उसके हाथों होगा तेरा काम तमाम ||
सुनते ही वह चौक गया हाथ में ली तलवार
रथ रोका और करने चला देवकी पर वार ||
वासुदेव गिरे पावों में बहन को मत दो मार
एक बार बस ध्यान से सुन लो मेरा विचार ||
भविष्य में जो भी होगी हमारी वह संतान
तुम्हारे हाथों सौंपेंगे बात मेरी लो मान ||
बहन जमाई को भेज दिया कंस ने कारावास
हाथ पैरों में बेड़ियां देता बहुत था त्रास ||
एक-एक करके मार दी सात ही संतान
अब आने वाली थी आठवीं संतान ||
भादो अष्टमी आ गई काली अंधेरी रात
प्रसव पीड़ा में देवकी रो रो था बुरा हाल ||
श्री हरि विष्णु ने लिया कृष्ण का अवतार
लीला दिखला ने चले भक्तों लीलाधार ||
ज्यो ही कान्हा जन्म लिए सो गए पहरेदार
अपने आप ही खुल गए बंद जेलों के द्वार ||
पिता के मन आयी प्रेरणा बालक बचाऊ
किसी तरह में बालक को यमुना पार कराऊ ||
एक टोकरी में धरा चल पड़े यमुना और
बारिश बिजली और तूफान आंधी का था शोर ||
जूही नदी में पांव धरा यमुना चरण छुआए
नदी बीच मार्ग बना उससे पार हो जाए ||
शेषनाग छैया करें कान्हा भीग ना जाए
टोकरी लेटे कान्हा जी मंद मंद मुस्काए ||
नंद के द्वारे पहुंच गए महल के भीतर आए
यशो मत ने कन्या जन्मी उसको लिया उठाएं ||
कान्हा जी को लिटा दिया यशो मत जी के पास
कन्या को फिर ले आए वह तो कारावास ||
कन्या जूही रोने लगी उठ गए पहरेदार
कंस को फिर दे आए जन्म का समाचार ||
पापी जेल में आ गया कन्या लीन्ही छीन
ज्यों ही शील पर लटका उसे हुई आकाश विलीन ||
महामाया कहने लगी भक्तों आह्वान
बोली तेरा काल तो पहुंच नंद के पास ||
कंस से बुलवा लिया अपना सब दरबार
योजना बनवाने लगा करूं कृष्ण संहार ||
अकासुर और बकासुर पूतना सारे ही भिजवाए
स्वयं मरे राक्षस अभी तुमको मार न पाए ||
अक्रूर को भेजा था कंस तुमको लिया बुलवाएं
दाऊ संग में कान्हा जी मथुरा गए थे आए ||
ज्यो ही मथुरा पग धरा पागल गज छुड़वाए
कान्हा हाथों मारा गया मुक्ति गज लें पाए ||
कुबड़ा का कूबड़ हटा राक्षस मार गिराए
कंस ने मल्लयुद्ध को आपका लिया बुलाए ||
भूमि पटक के गिरा दिया तूने किया प्रहार
कृष्ण कन्हैया लाल ने कंस को दिया मार ||
अग्रसेन को सौंप दिया फिर मथुरा का राज
तीनो लोक में गूंज रहे जयकारे हैं आज ||
चंदन ने गाथा कहीं भक्तो ध्यान लगाओ
कृष्ण कन्हैया लाल भव से पार लगाओ ||
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