रंग बिरंगे फूल लाया हूं तेरे चरणों में चढ़ाने
सिद्धिविनायक के स्वामी हम आए तुम्हें मनाने। ।
पग-पग पर है फूल खिले,आपका सदैव हृदय खिले
जो भी भक्ति से पुकारे,गणपति उसको तुरत मिले। ।
सुखकर्ता दुखहर्ता मेरे सुख-दुख के स्वामी तुम
हे गणपति दुख से हमें उबारो कहां हो गए गुम। ।
रिद्धि-सिद्धि के हो स्वामी तुम
दीन दुखियों के रखवाले तुम।
एक दो तीन चार गणपति जी की जय जयकार
पांच छह सात आठ गणपति जी है सबके साथ। ।
जब तुम्हें गणपति का आशीर्वाद मिलेगा
तुम्हारा मस्तिष्क एक अलग प्रतिक्रिया देगा
इस प्रेरणा को पहचानना और
अपने भक्ति से कार्य आरंभ करना
तुम्हारे सभी कार्य पूर्ण होंगे। ।
सिद्धिविनायक के विषय में तर्क करना
स्वयं के अस्तित्व पर प्रश्न उठाना है
क्योंकि तर्क सदैव आपको निराश करती है। ।
जब आप सचमुच अपने मनसे
गणपति के भक्ति में लीन हो जाते हैं
फिर आप जो देखना चाहते हैं
वैसा ही देखते हैं गणपति बप्पा मोरिया। ।
बार-बार गणेश जी का नाम दोहराने से
आप स्वयं गणेश जी के निकट पहुंच जाते हैं
और कष्ट आपसे कोसों दूर भाग जाता है। ।
आप गणेश जी को स्वयं के भीतर भी खोज सकते हैं
इसके लिए एकाग्र भाव से ध्यान लगाकर बैठे
और गणेश जी को अपने भीतर अनुभव करें। ।
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