स्वर बुद्धि का ज्ञान दो पूर्ण कीजे काज
श्री गणेश के जन्म की गाथा कहता आज ||
कैसे इनका जन्म हुआ कैसे गवाएं प्राण
कैसे गज का शीष लगा कैसे लौट आए प्राण ||
गाथा का प्रारंभ करूं ले गणेश का नाम
गौरी नंदन आपके चरणों में है प्रणाम ||
आओ आपको ले चलो भक्तों में कैलाश
शिव शंभू तप में लगे शिवगंज कर रहे काज ||
गौरा मां ने विचार किया स्नान में कर आउ
जब तक शिवजी जागते वापस में आ जाऊं ||
जया और विजया सखी गौरा लीन्ही बुलाए
तीनों फिर एक साथ में स्नान घर को जाए ||
क्या होगा जो कोई भीतर को आ जाए
हम तीनों की लाज तो बाकी रह ना पाए ||
पार्वती मन में करी भक्तों एक विचार
उबटन को मां शरीर से एकदम दई उतार ||
उत्तरी उबटन को दिया फिर मानव आकार
प्राण मंत्र को फूंक के किया प्राण संचार ||
हष्ट पुष्ट बालक फिर एक पुतला वह बन जाए
गोरा चरण में बालक ने शीश दिया झुकाए ||
जाओ पुत्र जाकर बैठो स्नानघर के द्वार
जब तक हम स्नान करें तुम रहो पहरेदार ||
ध्यान रखो इस बात का चाहे कुछ हो जाए
स्नानघर के भीतर को कोई ना आने पाए ||
हाथों में फिर दंड लिया शरण शीश झुकाए
बालक जाकर द्वार पर भक्तों बैठे ही जाएं ||
और इधर कैलाश पर शिवजी गए थे जाग
गौरा को वह बुलाए रहे शिव शंभू वह आज ||
नंदी ने फिर शिवजी को बात दई बताए
सखियों संग मां पार्वती स्नान करण को जाए ||
जल्दी जाओ तुम अभी गोरा को बुलाओ
शिवजी को है भूख लगी गोरा को बतलाओ ||
नंदी और शिव गण पहुंचे स्नानघर
देखा बालक बैठा है स्नानाघर के द्वार ||
परिचय पूछने पर कहा मैं गौरा का लाल
वापस सब चले जाइए नहीं बनूंगा काल ||
सींग पकड़ नंदी भृंगी हवा में दिए उड़ाई
बुरी तरह फिर शिव गणों की मार दई लगाए ||
रोते-रोते आ गए शिव भोले के पास
और बताइ भोले को गौरी पुत्र की बात ||
बात सुनी जब नंदी की शिव जी क्रोध में आए
गोरी ललन के पास में शिव भोले फिर आए ||
जाओ बालक चले जाओ और छोड़ो तुम द्वार
मैं भीतर को जाऊंगा मैं गौरा भरतार ||
कोई भीतर ना आए मैया का आदेश
आप वापस चाहिए आग्रह करें विशेष ||
तीजा नेतृ खुल गया लिया त्रिशूल उठाए
बाल गणेश के शीश को काट के दिया उड़ाए ||
शोर सुना गौरा ने तो मैया बाहर आए
मृत देखा जब बालक को चंडी रूप बनाए ||
हे भोले बालक को दो तुम जीवनदान
नहीं तो सारी सृष्टि को आप करूं शमशान ||
विष्णु से आग्रह किया दक्षिण दिशा भिजवाए
गज बालक के शीश को शिवजी दिए मंगवाए ||
बालक के धड़ से प्रभु गजमुख दिया लगाए
प्राण मंत्र फिर फूंक के बालक दिया खिलाएं ||
बाल गणेश की हो रही जग में जय जय कार
पूरे कैलाश में मन रहा भक्तों आज त्यौहार ||
प्रथम पूज्य का दे दिया शिव जी ने वरदान
तुम गंगा के इस हो दिया गणेश का नाम ||
ब्रह्मा ने सब भेज दिए और ब्रह्माणी ज्ञान
विष्णु सुदर्शन दे दिए लक्ष्मी ने धन धान ||
सभी देवों ने दे दिया शक्तियों का दान
चंदन तीनो लोक में गणपत का गुणगान ||
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