Current Date: 17 Nov, 2024

गणेश अमृतवाणी (Ganesh Amritwani Lyrics in Hindi)

- अनुराधा पौडवाल


जय जय श्री गणेश

विघ्न विनाशक गणराय भये से मुक्त करे
इस्कि दया से भक्तन के भाव से ना तारे
पार्वती ललाना का मान से भजन तू कर्ता जा
करुणा की इस मुरत से मन वंचित फाल तु पा
जीसके घर मैं गनराय के नाम का दीप जले
जिंकपे करुणा स्वयंवर करे गौरी सुत महाराज
पलक झपकते ही अनके सिद्ध हो जाते हैं काज

जय जय श्री गणेश
जय गणपति गणेश

मिटि के है हम बन गणपति प्राण स्वरूप
वो है राचइया हम रचना व सूरज हम धुप
सदा समरपं भव से जयं गणपति पश्य
जीवन गथरी का तुमको कस्त ना देगा भर
नर नारायण ऋषि मुनि जिस्का मन ना करे
दीन हें के वो स्वामी घडी मैं पाप हरे
गुन गौरव और ज्ञान की गंगा गपती प्रीत
इस्सके साधक को जग मेरा कल साके ना जीत

जय जय श्री गणेश
जय गणपति गणेश

आदी सिद्धिया हाय जिस्की सेवा करे दिन बारिश
उसके चरण सरोज से जड़े रहिये नैन
मन मंदिर मैं तू बस अम्बा लाल गणेश
कस्त नास्त हो जयेंगे मिटेंगे सकले कलश
त्रिभुवन के इस नाथ का चित्त से चितन कर
जनम जनम की पेदा तेरी जयगी है
सागर है प्रभु प्रेम का प्यासा बन कर देख
अमरत मय हो जायेंगे बडी और विवेक

जय जय श्री गणेश
जय गणपति गणेश

घट्ट घट्ट की जनता शिव नंदन भगवान
चरन शरण मैं जाऊ को सहि स्वर ते है दया निधान
दीन का शुक विशद को हरता गणपति जाप
एक दन्त केँ अचन सी डरते दुःख संताप
कसद भाँगुर तु बुलबुल जो सोपान की बात
एसे तू झाड़ जइगा जइसे वृक्षा से पात
नश्येलाता दया धरम गजानन से सीक
शंकर सुत से मांगल सत्त गुनो के भायख

जय जय श्री गणेश
जय गणपति गणेश

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