Current Date: 17 Nov, 2024

दुर्गा अमृतवाणी

- Avinash Karn


दुर्गा माँ की अमृतवाणी गावहि सुनहि रोज जो प्राणी 
माँ उन सबके संकट हरति सबके कष्ट निवारण करती 
माँ दुर्गा ममता की मूरत छवि अति प्यारी शीतल सूरत 
लहराए ममता का आंचल  करुणा लुटाये माता पल पल 
आदि भवानी शक्ति स्वरूपा चन्द्रवरण अति रूप अनूपा 
ह्रदय कमल अति कोमल माता है भक्तो से गहरा नाता 
नाम अनेक है रूप अनेका अति बलधारी विश्व विवेका 
हाथन  में त्रिशूल विराजे तिंहु लोक में डंका बाजे 
रक्तबीज की मर्दन हारी चंडी बन रन में चिंघारी
चंद मुंड का शीश उड़ाया देख के दानव घबराया 
रंजीत नेत्र क्रोध विकराला रन में कौन रोकने वाला 
काटी काटी दानव दाल सारा बन काली लहू पी गयी सारा 
कांपे गगन धरा थर्राये कैसे क्रोध शांत हो पाए 
देव सभी बोले शिव जी से क्रोध शांत होगा तुम्ही से 
क्रोध में कम्पित बदन अपारा काल कपाल चढ़ा काली के 
रुप्प कराल महाकाली के बन आंधी बनके तूफ़ाना
कभी धरा तो कभीअसमाना माँ काली अट्हास लगाए 
तभी दौड़ते शंकर आये रहा में माता काली जी की 
काली खप्पर वाली जी के लेट गए भोले धरती पर 
माँ का पांव पड़ा छाती पर देखा जब महारानी जी ने 
माता जग कल्याणी जी ने पांव पड़ गया शिव शंकर पर 
रुक ही गयी तत्काल वही पर हुई अचम्भित कलिका 
तुरंत निकल गयी जीभ छाती ऊपर से तुरंत 
पांव लिया है खींच क्रोध शांत हो गया था पल में 
डूबा माँ का मन हलचल में लगने लगी थी माता चिंतित 
कैसे करू में इसका प्रायश्चित उठके शिव बोले मृदुवाणी 
शांत हो जाओ जग कल्याणी हार गया दानव दल सारा 
देखि कलिका रूप तुम्हारा शांत हो गयी माता काली 
तिंहु लोक में थी खुशहाली होने लगी फूलो की वर्षा 
इंद्र धनुष बन गया सुन्दर सा जय माँ दुर्गा अष्ट भवानी 
बोल रहा था हर एक प्राणी देत्यो से हमे मुक्त कराया 
दानव दल सुर लोक का ढाया जम्मू में त्रिकूट है धामा 
वही करे माता विश्रामा भक्त लोग वह दरशन पाते 
बसी हिमाचल चिंतपूर्णी माँ ज्वाला अभिमान चूर्णी 
चामुंडा की शान निराली लगती है माँ भोली भाली
नैना माँ के दर्शन कर लो पावन छवि निज नैनं भर लो 
खोल भंडारे बैठी कांगड़ा भक्त करे निज नाच भंगड़ा 
विंध्याचल की विंध्य वासिनी मनसा देवी सिंह वाहिनी 
चंडी माँ को देख रही है गंगा कर अभिषेक रही है 
कैला माँ का धाम करौली संग में चामुंडा अलबेली 
कामाख्या में सती विराजे  घनन घनन घन घंटा बाजे 
दया करो सुखदेव के ऊपर कलम है मेरी तुम पर निर्भर 
माता सदा मेरा साथ निभाना विनती मेरी ना ठुकराना 
नाम तेरा जपता रहु जब तक तन में सांस 
सुनलो माँ विनती मेरी विनय करे अविनाश  

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