Current Date: 22 Nov, 2024

शिवोहम

- Kailash Kher


आत्मा ने परमात्मा को लिया
देख ध्यान की दृष्टि से ।
प्रकाश हुआ हृदय-हृदय,
बेड़ा पार हुआ इस सृष्टि से ।
है एक ओंकार निरंजन निरंकार,
है अजर अमर आकर
विश्वधार मन भजे ।

शिवोहम शिवोहम शिवोहम..
शिवोहम शिवोहम शिवोहम..

भूख में तपसी तप रहा,
भोजन बीच पठाय ।
विलप में साधु हंस रहा,
अपना ही उपजा खाय ।
शेष अशेष विशेष में
समर्पण के भाव में ।

शिवोहम शिवोहम शिवोहम..
शिवोहम शिवोहम शिवोहम..

ठहर शांत एकांत में,
साधके मूलाधार ।
सर्जन स्वाधिष्ठान से,
सूर्य मणि चमकार ।
विशुद्धि आज्ञा सहसरार
तक गूंजे अनाहत ।

शिवोहम शिवोहम शिवोहम..
शिवोहम शिवोहम शिवोहम..

खाली को तो भर दिया,
भरे में भरा न जाए ।
पानी में प्यासा रहा,
तट पे बैठ लखाय ।
प्रष्न व्यस्न में उलझ-उलझ
हां बिरथा गया जन्म ।

शिवोहम शिवोहम शिवोहम..
शिवोहम शिवोहम शिवोहम..

शिवोहम शिवोहम शिवोहम..
शिवोहम शिवोहम शिवोहम..

अगर आपको यह भजन अच्छा लगा हो तो कृपया इसे अन्य लोगो तक साझा करें।