Current Date: 18 Jan, 2025

भटक भटक कर

- Sanjay Mittal


भटक भटक कर सारे जग में,
आया द्वार पे तेरे,
आया द्वार पे तेरे,
आशा की एक किरण तू दे दे,
दूर हो मेरे अँधेरे,
दूर हो मेरे अँधेरे,
भटक भटक कर सारे जग मे,
आया द्वार पे तेरे।।

दुःख अपना कहने में किसी को,
अब मुझको डर लागे,
जिनको अपना दुखड़ा सुनाऊ,
वो ही मुझसे भागे,
जो अपने थे नज़रो में मेरी,
वो नज़र अब फेरे,
आया द्वार पे तेरे,
भटक भटक कर सारे जग मे,
आया द्वार पे तेरे।।

देवो में महादेव तू बाबा,
तू है ओघड़ दानी,
मन छुपी सब बाते तू जाने,
तू है अंतरयामी,
तकदीरों को बदल देने वाले,
तकदीरों को बदल देने वाले,
कर दे नये सवेरे,
आया द्वार पे तेरे,
भटक भटक कर सारे जग मे,
आया द्वार पे तेरे।।

पापी हूँ कपटी हूँ माना,
हाल बुरा है मेरा,
अवगुण की मैं,
खान हूँ बाबा,
फिर भी लाल हूँ तेरा,
पश्चाताप के आँसू ये अपने,
पश्चाताप के आँसू ये अपने,
दर पे तेरे बिखेरे,
आया द्वार पे तेरे,
भटक भटक कर सारे जग मे,
आया द्वार पे तेरे।।

माया जगत में,
हस करके बाबा,
मैंने तुझको भुलाया,
भक्ति तेरी करने ना पाया,
फिर भी तूने निभाया,
सुबह भुला ‘पवन’ शाम को,
सुबह भुला ‘पवन’ शाम को,
आया द्वार पे तेरे,
भटक भटक कर सारे जग मे,
आया द्वार पे तेरे।।

भटक भटक कर सारे जग में,
आया द्वार पे तेरे,
आया द्वार पे तेरे,
आशा की एक किरण तू दे दे,
दूर हो मेरे अँधेरे,
दूर हो मेरे अँधेरे,
भटक भटक कर सारे जग मे,
आया द्वार पे तेरे।।

Credit Details :

Song: Bhatak Bhatak Kar
Singer: Sanjay Mittal
Music: Bijender Singh Chauhan

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