Current Date: 03 Jan, 2025

वेदसार शिवस्तव

- Pujya Bhaishree Rameshbhai Ojha


पशूनां पतिं पापनाशं परेशं
गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम्।
जटाजूटमध्ये स्फुरद्गांगवारिं
महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम्।।1।।

महेशं सुरेशं सुरारार्तिनाशं
विभुं विश्वनाथं विभूत्यंगभूषम्।
विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं
सदानन्दमीडे प्रभुं पंचवक्त्रम्।।2।।

गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं
गवेन्द्राधिरूढ़ं गणातीतरूपम्।
भवं भास्वरं भस्मना भूषितांग
भवानीकलत्रं भजे पंचवक्त्रम्।।3।।

शिवाकान्त शम्भो शशांकार्धमौले
महेशान शूलिन् जटाजूटधारिन्।
त्वमेको जगद्व्यापको     विश्वरूप
प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप।।4।।

परात्मानमेकं जगद्वीजमाद्यं
निरीहं निराकारमोंकारवेद्यम्।
यतो जायते पाल्यते येन विश्वं
तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम्।।5।।

न भूमिर्न चापो न वह्निर्न वायु –
र्न चाकाशमास्ते न तन्द्रा न निद्रा।
न ग्रीष्मो न शीतं न देशो न वेषो
न यस्यास्ति मूर्तिस्त्रिमूर्तिं तमीडे।।6।।

अजं शाश्वतं कारणं कारणानां
शिवं केवलं भासकं भासकानाम्।
तुरीयं तम:पारमाद्यन्तहीनं
प्रपद्ये परं पावनं द्वैतहीनम्।।7।।

नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते
नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते।
नमस्ते नमस्ते तपोयोगगम्य
नमस्ते   नमस्ते   श्रुतिज्ञानगम्य।।8।।

प्रभो  शूलपाणे विभो विश्वनाथ
महादेव शम्भो महेश त्रिनेत्र।
शिवाकान्त शान्त स्मरारे पुरारे
त्वदन्यो वरेण्यो न मान्यो न गण्य:।।9।।

शम्भो महेश करुणामय  शूलपाणे
गौरीपते पशुपते पशुपाशनाशिन्।
काशीपते करुणया जगदेतदेक-
स्त्वं हंसि पासि विदधासि महेश्वरोSसि।।10।।

त्वत्तो जगद्भवति देव भव स्मरारे
त्वय्येव तिष्ठति जगन्मृड विश्वनाथ।
त्वय्येव गच्छति लयं जगदेतदीश
लिंगात्मकं हर चराचरविश्वरूपिन्।।11।।

इति श्रीमच्छंकराचार्यकृतो वेदसारशिवस्तव: सम्पूर्णम्।

Credit Details :

Song: Vedsar Shiv Stav
Singer: Pujya Bhaishree Rameshbhai Ojha
Lyrics: Traditional

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