🎵जगत चेतना हूँ अनादि अनंता🎵
🙏 गायक: कैलाश खेर
🎼 संगीत: कैलाश खेर
विवरण:
कैलाश खेर का भजन "जगत चेतना हूँ अनादी अनंत" हमें आत्मिक चेतना और ब्रह्म के अद्वितीय स्वरूप से परिचित कराता है। इस भजन के माध्यम से कैलाश खेर ने हमें यह अहसास दिलाया है कि हम न तो मन हैं, न बुद्धि, न चित, और न ही अहंकार। यह भजन हमें संसार की अस्थिरता और अद्वितीय चेतना की ओर मार्गदर्शन करता है। 'जगत चेतना हूँ अनादी अनंता' के संदेश में निराकार और साकार ब्रह्म के साथ एकता का अनुभव होता है।
गीत के बोल:
ना मन हूँ ना बुद्धि ना चित अहंकार
ना जिव्या नयन नासिका करण द्वार
ना मन हूँ ना बुद्धि ना चित अहंकार
ना जिव्या नयन नासिका करण द्वार
ना चलता ना रुकता ना कहता ना सुनता
जगत चेतना हूँ अनादि अनन्ता
ना चलता ना रुकता ना कहता ना सुनता
जगत चेतना हूँ अनादि अनन्ता
ना मैं प्राण हूँ ना ही हूँ पंच वायु
ना मुज्मे घृणा ना कोई लगाव
ना लोभ मोह इर्ष्या ना अभिमान भाव
धन धर्म काम मोक्ष सब अप्रभाव
मैं धन राग गुणदोष विषय परियांता
जगत चेतना हूँ अनादि अनन्ता
मैं धन राग गुणदोष विषय परियांता
जगत चेतना हूँ अनादि अनन्ता
मैं पुण्य ना पाप सुख दुःख से विलग हूँ
ना मंत्र ना ज्ञान ना तीर्थ और यज्ञ हूँ
ना भोग हूँ ना भोजन ना अनुभव ना भोक्ता
जगत चेतना हूँ अनादि अनन्ता
ना भोग हूँ ना भोजन ना अनुभव ना भोक्ता
जगत चेतना हूँ अनादि अनन्ता
ना मृत्यु का भय है ना मत भेद जाना
ना मेरा पिता माता मैं हूँ अजन्मा
निराकार साकार शिव सिद्ध संता
जगत चेतना हूँ अनादि अनंता
निराकार साकार शिव सिद्ध संता
जगत चेतना हूँ अनादि अनंता
मैं निरलिप्त निरविकल्प सूक्ष्म जगत हूँ
हूँ चैतन्य रूप और सर्वत्र व्याप्त हूँ
मैं हूँ भी नहीं और कण कण रमता
जगत चेतना हूँ अनादि अनंता
मैं हूँ भी नहीं और कण कण रमता
जगत चेतना हूँ अनादि अनंता
ये भौतिक चराचर ये जगमग अँधेरा
ये उसका ये इसका ये तेरा ये मेरा
ये आना ये जाना लगाना है फेरा
ये नाश्वर जगत थोड़े दिन का है डेरा
ये प्रश्नों में उत्तर हुनिहित दिगंत
जगत चेतना हूँ अनादि अनंता
ये प्रश्नों में उत्तर हुनिहित दिगंत
जगत चेतना हूँ अनादि अनंता
ना मन हूँ ना बुद्धि ना चित अहंकार
ना जिव्या नयन नासिका करण द्वार
ना मन हूँ ना बुद्धि ना चित अहंकार
ना जिव्या नयन नासिका करण द्वार
ना चलता ना रुकता ना कहता ना सुनता
जगत चेतना हूँ अनादि अनंता
ना चलता ना रुकता ना कहता ना सुनता
जगत चेतना हूँ अनादि अनंता
ना चलता ना रुकता ना कहता ना सुनता
जगत चेतना हूँ अनादि अनंता
ना चलता ना रुकता ना कहता ना सुनता
जगत चेतना हूँ अनादि अनंता।
Credit Details :
Song: Jagat Chetna Hu Anaadi Ananta
Singer: Kailash Kher
Music: Kailash Kher
Lyrics: Kailash Kher & Dr. M
अगर आपको यह भजन अच्छा लगा हो तो कृपया इसे अन्य लोगो तक साझा करें।