Current Date: 07 Jan, 2025

ज्ञानवापी

- Hansraj Raghuwanshi


है विश्वनाथ बाबा,
सबसे बड़ा प्रतापी,
उसका ही बनारस है,
उसका ही ज्ञानवापी,
हम उसका कर्ज साँस ये,
देकर चुकाएंगे,
मंदिर जहाँ था फिर,
वहीँ मंदिर बनाएँगे,
मंदिर जहाँ था फिर,
वहीँ मंदिर बनाएँगे।।

हम भोले के भगत है,
फक्क्ड़ मिजाज वाले,
मस्ती में है मगन हम,
दुनिया से निराले,
हम काशी विश्वनाथ से,
वादा निभाएंगे,
मंदिर जहाँ था फिर,
वहीँ मंदिर बनाएँगे।।

आई भगवे की लहर है,
मंदिर है सजने वाला,
कैलाशी आए काशी,
डमरू है बजने वाला,
बस उसके सामने ही अपना,
सर झुकाएंगे,
मंदिर जहाँ था फिर,
वहीँ मंदिर बनाएँगे।।

है विश्वनाथ बाबा,
सबसे बड़ा प्रतापी,
उसका ही बनारस है,
उसका ही ज्ञानवापी,
हम उसका कर्ज साँस ये,
देकर चुकाएंगे,
मंदिर जहाँ था फिर,
वहीँ मंदिर बनाएँगे,
मंदिर जहाँ था फिर,
वहीँ मंदिर बनाएँगे।।

Credit Details :

Song: Gyanvapi
Singer: Hansraj Raghuwanshi
Lyrics: Shekhar Astitwa
Music: Dj String

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