Current Date: 18 Dec, 2024

शिव शंकर भोला नाचे, कैलाश के माहि

- संजय मित्तल जी।


शिव शंकर भोला नाचे,
कैलाश के माहि,
डिम डिम डिम डमरू,
गूंज रया संसार में भाई,
शिव शंकर भोला नाच रह्या,
कैलाश के माहि।।

तर्ज – दिल दीवाने का डोला।

सावन का महीना आया,
शिव शंकर भांग चढ़ाया,
खाकर के आक धतूरा,
भोला मस्ती में आया,
छम छम छम घुंगरू बाजे,
रुत नाचन की आई,
शिव शंकर भोला नाच रया,
कैलाश के माहि,
डिम डिम डिम डमरू,
गूंज रया संसार में भाई।।

सन्देशा भू पर आया,
भक्तो का मन हर्षाया,
शिव शंकर तप से जागे,
मिलने का अवसर आया,
गंगा जल लेकर दौड़ो,
रुत कांवड़ की आई,
शिव शंकर भोला नाच रया,
कैलाश के माहि,
डिम डिम डिम डमरू,
गूंज रया संसार में भाई।।

कांवड़िया बढ़ता जावे,
बम बम की अलख जगावे,
शिव भक्ता की भक्ति में,
सारी दुनिया शीश नवावे,
‘नंदू’ शिव भोले नाथ का,
दर्शन है सुखदाई,
शिव शंकर भोला नाच रया,
कैलाश के माहि,
डिम डिम डिम डमरू,
गूंज रया संसार में भाई।।

शिव शंकर भोला नाचे,
कैलाश के माहि,
डिम डिम डिम डमरू,
गूंज रया संसार में भाई,
शिव शंकर भोला नाच रह्या,
कैलाश के माहि।।

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