प्रथम गुरु को वंदना दूजे आदि गणेश
तीजे माता शारदे कंठ में करो प्रवेश ओ मैया ||
शिव विवाह की कथा है यह सुनो लगाकर ध्यान
सुनने से हो जाएगा भक्तों का कल्याण ||
राजा हिमाचल और मैना हो रहे आज प्रसन्न
माता घर में प्रकट हुई जीवन हो गया धन्य ||
पुत्री बनी है जगदंबा उत्सव मोड मनाए
देने बधाई हिमाचल को सब महलों से आए ||
पर्वतराज की पुत्री है रखा पार्वती नाम
बचपन से ही भोले को पति लिया था मान ||
लाड प्यार से पली-बढ़ी सबसे पाया प्यार
धीरे धीरे हो गई 16 की उम्र पार ||
ब्याह की चिंता होने लगी ढूंढे राजकुमार
राम पंडित बुला लिया राजा ने इस बार ||
घूमो तीनो लोक में महल महल तुम जाओ
पार्वती हित वर कोई उत्तम ढूंढ के लाओ ||
पोथी पोटला उठाई के पंडित जी चले जाएं
महलों की फिर द्वार पर पार्वती को पाए ||
पंडित से बोली गोरा सीधा कैलाश पर जाओ
मेरे शिव भोलेनाथ को ब्याह संदेश सुनाओ ||
कहना तुमसे ब्याह को गोरा है तैयार
जल्दी बारात को ले आओ हो नंदी असवार ||
पंडित धरती घूम लिया घूम लिया आकाश
वर कोई गौरा के लिए मिल नहीं पाया खास ||
पंडित जी सोचने लगे क्यों ना कैलाश पर जाए
गोरा के संदेश को शिव जी को दे सुनाएं ||
शिव भोले को दे दिया गौरा का संदेश
मेरे लिए क्या दे प्रभु आपका आदेश ||
बैठने को शिव ने दी बाघ की थी छाल
खाने को सामने रखा भांग धतूरे का थाल ||
पीने को फिर दे दिया एक लोटा भांग
पंडित जी फिर भाग लिए सिर पर रखकर टांग ||
भागते भागते जा पहुंचे राजा हिमाचल पास
भूख से बेहाल थे और लगी थी प्यास ||
भरपेट भोजन किया और किया जलपान
अब बोले हैं राजन तुम लगाकर ध्यान ||
वर कोई लायक नहीं ढूंढ लिया ब्रह्मांड
गौरा बीच में बोल उठी बात मेरी लो मान ||
शिव शंकर से मात-पिता ब्याह दो करवाए
शिव ही प्राण मेरे मैया मेरे ह्रदय समाय ||
पंडित एकदम बोल उठे मानना नहीं बात
मत ब्याहना गौरा को तुम उस औघड़ के साथ ||
अर्धनग्न वह रहता है तन पर भस्म रमाए
नाग गले लहरा रहे भांग धतूरा खाए ||
मुंडमाला से करें अपना वह श्रृंगार
महल दुमहले कुछ नहीं और नहीं घर बार ||
बेटी को कुंवारी रखूं रखूं अपने पास
बेटी को ब्याहूंगी उस औघड़ के साथ ||
अन्नजल छोड़ के गौरा ने शिव का ध्यान लगाए
सप्त ऋषि माता-पिता कोई समझा ना पाए ||
मन मार के मात-पिता हुए ब्याह को तैयार
सप्त ऋषि भी जा पहुंचे शिव भोले के पास ||
समझाने पर शिव हुए ब्याह को फिर तैयार
और कैलाश पर गुंज उठी शिव की जय जय कार ||
मैना हिमाचल को शिवजी अब तो सबक सिखाएं
दूल्हा रूप को छोड़कर ओगड़ रूप बनाए ||
हिमाचल द्वारे आ गई भूतों की बारात
डाकिन शकीन प्रेतनी झूम झूम रही नाच ||
शामियाने में मची भगदड़ देखो आज
शुक्र शनिचर खा गए सारा ही अनाज ||
मां मैंना फिर गिर पड़ी भूमि खाकर पछाड़
राजा हिमाचल रो रहे मार कर देखो दहाड़ ||
बातें ये गौरा जानती यह शिव की माया
माया समेट लो प्राण पति चरणन फरमाया ||
जैसे ही माया हटी सज गई थी बारात
ब्रह्मा विष्णु देव सभी आए बारात के साथ ||
ब्रह्मा जी ने गौरा संग फेरे लिए पड़वाए
गौरा शिव के नाम में भक्तों आन समाए ||
शिव संग नंदी बैठ के मां कैलाश पर आई
ब्रह्माणी और लक्ष्मी स्वागत थी करवाई ||
पूरे हुए विवाह के सारे रस्मो रिवाज
सारी सृष्टि आ गई देखो कैलाश पर आज ||
शिव शंकर मां गौरा के सब ने दर्शन पाए
चंदन तिलक नमन करें चरनन शीश नवाए ||
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