Current Date: 18 Dec, 2024

लिंगाष्टकम स्तोत्र

- Jaya Kishori Ji and Chetna Sharma


M:-    ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् ।
कोरस:-     ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् ।
M:-    जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥ १॥
कोरस:-     जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥ १॥

M:-    देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहम् करुणाकर लिङ्गम् ।
कोरस:-     देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहम् करुणाकर लिङ्गम् ।
M:-    रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ २॥
कोरस:-     रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ २॥

M:-    सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् ।
कोरस:-     सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् ।
M:-    सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ ३॥
कोरस:-     सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ ३॥

M:-    कनकमहामणिभूषितलिङ्गं फनिपतिवेष्टित शोभित लिङ्गम् ।
कोरस:-     कनकमहामणिभूषितलिङ्गं फनिपतिवेष्टित शोभित लिङ्गम् ।
M:-    दक्षसुयज्ञ विनाशन लिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ ४॥
कोरस:-     दक्षसुयज्ञ विनाशन लिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ ४॥

M:-    कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गं पङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम् ।
कोरस:-     कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गं पङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम् ।
M:-    सञ्चितपापविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ ५॥
कोरस:-     सञ्चितपापविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ ५॥

M:-    देवगणार्चित सेवितलिङ्गं भावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम् ।
कोरस:-     देवगणार्चित सेवितलिङ्गं भावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम् ।
M:-    दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ ६॥
कोरस:-     दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ ६॥

M:-    अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गं सर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम् ।
कोरस:-     अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गं सर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम् ।
M:-    अष्टदरिद्रविनशितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ ७॥
कोरस:-     अष्टदरिद्रविनाशितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ ७॥

M:-    सुरगुरुसुरवरपूजित लिङ्गं सुरवनपुष्प सदार्चित लिङ्गम् ।
कोरस:-     सुरगुरुसुरवरपूजित लिङ्गं सुरवनपुष्प सदार्चित लिङ्गम् ।
M:-    परात्परं परमात्मक लिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ ८॥
कोरस:-     परात्परं परमात्मक लिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ ८॥


M:-    ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् ।
कोरस:-     ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् ।
M:-    जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥ १॥
कोरस:-     जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥ १॥
 

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