Current Date: 16 Nov, 2024

शिरडी साईं बाबा मंदिर

- Traditional


शिरडी अत्यंत प्रसिद्द स्थान है जहाँ पूरे वर्ष भर भक्तों और सैलानियों का आना जाना लगा रहता है, और इस श्रद्धा भक्ति का मुख्य कारण है शिरडी का साईं बाबा का मंदिर। यह स्थान एक प्रमुख धार्मिक स्थल है जो की महाराष्ट्र के अहमदनगर में स्थित है। साईं बाबा सभी धर्मों का आदर करते थे और उनकी विचारधाराएं भी सभी धर्मों को आपस में जोड़ने का कार्य करती थीं, इसलिए आज भी उनके दर्शनों के लिए सभी धर्मों के लोग उनके दर पर आते हैं।

साईं मंदिर का इतिहास:-

शिरडी का साईं बाबा का मंदिर उनकी ही समाधी स्थली है, उन्होंने अपने अंतिम समय में समाधी ली थी और इसी समाधी के ऊपर मंदिर का निर्माण किया गया है। साईं की भक्ति की ज्योत जलाये रखने के लिए ही उनके भक्तों द्वारा इस मंदिर का निर्माण 1922 में किया गया। माना जाता है साईं अपनी सोलहवीं आयु में शिरडी आये थे और फिर अपना सारा जीवन यही बिताया और यहीं अंत में समाधी ले ली। साईं बाबा को कुछ लोग आध्यात्मिक गुरु और और कुछ लोग फ़क़ीर की तरह याद करते हैं। साईं बाबा का हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही अनुसरण करते हैं।

साईं बाबा की पौराणिक कथा:-

साईं बाबा कब जन्मे और कौन उनके माता पिता हैं इस बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं है, किन्तु फिर भी अनुमान और कुछ तथ्यों से उनका जन्म 28 सितम्बर 1835 का माना जाता है। साईं बाबा 16 वर्ष की आयु में अहमदनगर के शिरडी गाँव पधारे थे। यहां उन्होंने एक नीम के पेड़ के नीचे आसान बनाकर तपस्या शुरू की थी। उनके बारे में सुनकर कई लोग उन्हें वहां देखने आते थे और देखकर चकित रह जाते की कैसे एक युवा सर्दी-गर्मी के परवाह किये बिना इतनी कठोर तपस्या कर रहा है। उनकी आयु देख कुछ माताओं को उन पर दया आ गयी और वे उनके भोजन लाने लगीं, किन्तु तप में लींन वह युवक कुछ नहीं खाता था। कुछ लोग उन्हें पागल समझते थे और उन्हें परेशान करने की कोशिश करते रहते थे।

एक दिन वे गाँव में बिना किसी से कुछ कहे चले गए, तीन वर्ष शिरडी में बिताने के पश्चात् वे अचानक गायब हो गए। उसके कुछ वर्षों पश्चात वे एक बरात के साथ वापस शिरडी लौटे और सदा के लिए वहां बस गए। उनकी वेशभूषा देखकर कुछ लोगों ने उन्हें मुस्लिम समझा और उनका उचित सम्मान नहीं किया, किन्तु कुछ लोगों ने उन्हें पहचान लिया। उन्होंने एक जर्जर मस्जिद में अपना घर बना लिया और वहीं अपना जीवन बिताने लगे। वह प्रतिदिन पांच घरों से भिक्षा लेते थे और उसी से जीवन यापन करते थे। उन्होंने वहां एक धूनी जलाई थी जिसकी राख़ को वे अपने भक्तों को दिया करते थे। वह राख चमत्कारी थी जिससे किसी भी प्रकार की बीमारी दूर हो जाती थी। वह लोगो को उपदेश भी दिया करते थे और उनके कई चमत्कार देख कर लोग उन्हें भगवान् का ही अंश मानने लगे थे। धीरे धीरे उनका ख्याति दूर दूर के गाँवों में भी फ़ैल गयी और लोग अपने दुख लेकर उनके पास आने लगे। वे जिस मस्जिद में रहते थे उसका नाम उन्होंने द्वारकामाई रखा था, वहां पर उनके भक्त शाम के समय उनकी आरती भी करने लगे। 

वे सदा बोलते थे "सबका मालिक एक", जिससे हिन्दू और मुस्लिम में आपसी सदभाव बना रहे। साईं बाबा की मृत्यु 15 अक्टूबर 1918 को शिरडी गाँव में ही हुई, जिस समय उनकी आयु लगभग 83 वर्ष की थी।

मंदिर में दर्शन का प्रारूप:-

साईं बाबा का मंदिर प्रातःकाल 4 बजे खुलता है, इसके पश्चात यहां आरती, भजन, अभिषेक आदि किया जाता है। प्रातःकाल 5.40 से श्रद्धालुओं के लिए द्वार खोल दिए जाते हैं, जिसके बाद दर्शनों का सिलसिला चलता रहता है। दर्शनों के दौरान भी दोपहर और शाम को साईं की आरती की जाती है। इसके पश्चात रात्रि 10.30 बजे दिन की अंतिम आरती की जाती है और साईं को एक शॉल ओढ़ाई जाती है। साईं को एक रुद्राक्ष की माला भी पहनाई जाती है, उनके समक्ष पानी का गिलास भरकर रखा जाता है तथा एक मच्छरदानी लगा कर मंदिर के कपाट रात्रि में 11.15 बजे बंद कर दिए जाते हैं।

मंदिर कार्यकर्मों की समय सारणी :

प्रातःकाल मंदिर खुलने का समय = 4:00 बजे

काकड़ आरती का समय = 4:30 बजे

साईबाबा मंदिर में भजन =  5:00 बजे

समाधी मंदिर में मंगल स्नान = 5:05 बजे

दर्शन आरम्भ = 5:40 बजे

अभिषेक पूजा का समय = 9:00 बजे 

द्वारकामाई में चावल और घी के साथ धूनी पूजा = 11:30 पूर्वाह्न


साईं बाबा की दुर्लभ तस्वीर
मध्याहन आरती = 12:00 अपराह्न

समाधि मंदिर में पोथी पढ़ने का समय = 4:00 बजे

सूर्यास्त के समय धूप आरती

सेज आरती का समय = 10:30 बजे

समाधी मंदिर बंद होने का समय = 11:15 बजे

कैसे पहुचें शिरडी? :-

सड़क मार्ग:

शिरडी बस द्वारा आने प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। रात में 10 बजे बोरीवली से बस सेवा शुरू होती है जो अगले दिन सुबह शिरडी पहुँचती है। शिरडी मुंबई से  250 किलोमीटर, औरंगाबाद से 130 किलोमीटर और नासिक से 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

रेल मार्ग:

शिरडी रेलवे के माध्यम से भी सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। मुंबई से शिरडी के लिए जनशताब्दी, शिरडी फ़ास्ट पैसेंजर ट्रेन प्रतिदिन चलती हैं। पुणे से शिरडी के लिए प्रतिदिन तीन ट्रेनें निकलती हैं। इसी प्रकार दिल्ली से भी मनमाड के लिए प्रतिदिन ट्रेन चलती हैं और मनमाड से आसानी से शिरडी पंहुचा जा सकता है। इसके अलावा शिरडी चेन्नई और हैदराबाद द्वारा भी रेल नेटवर्क से जुड़ा है।

वायु मार्ग:

शिरडी का निकटतम हवाई अड्डा औरंगाबाद एयरपोर्ट है जो की शिरडी से 130 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह हवाई अड्डा दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद जैसे शहरों से जुड़ा है। औरंगाबाद पहुंचने के बाद यह से बस या टैक्सी द्वारा शिरडी आसानी से पंहुचा जा सकता है।

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