Current Date: 23 Nov, 2024

शेर कैसे बना मां दुर्गा का वाहन (Sher Kaise Bana Maa Durga Ka Vaahan)

- The Lekh


शेर कैसे बना मां दुर्गा का वाहन? 

शेर के मां दुर्गा का वाहन बनने की कहानी तब शुरू होती है, जब देवी पार्वती घोर तपस्या करके भगवान शिव को पति के रूप में पाने की कोशिश कर रही थीं। सालों तक तप करने के बाद माता पार्वती को भोले भंडारी अपनी पत्नी के रूप में अपना लेते हैं। इसी बीच तपस्या की वजह से मां पार्वती का रंग काफी काला पड़ गया था। एक दिन ऐसे ही बातचीत के दौरान भगवान शिव मां पार्वती को काली कह देते हैं। यह बात उन्हें पसंद नहीं आती, वो नाराज होकर दोबारा तप करने के लिए चली जाती हैं।

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एक दिन बाद घूमते-घूमते एक शेर घोर तप कर रहीं मां पार्वती के पास पहुंचा। उन्हें खाने की इच्छा से वो वहां घूमता रहा। मां को तप में लीन देखकर शेर भी वहीं इंतजार करता रहा। देवी का इंतजार करते-करते सालों बीत गए। शेर मां पार्वती के तेज की वजह से उनके पास नहीं पहुंच पाता था। कोशिश करता और असफलता हाथ लगने पर दोबारा लौटकर कोने में बैठ जाता।

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होते-होते कई साल बीत गए। मां के तप से खुश होकर भगवान शिव प्रकट हुए और मां से मन चाहा वर मांगने को कहा। देवी पार्वती अपना गोरा रंग वापस चाहती हैं। भगवान ने आशीर्वाद दिया और वहां से चले गए। वरदान मिलते ही मां पार्वती नहाने के लिए चली गईं।

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नहाते ही उनके शरीर से एक और देवी का जन्म हुआ, जिनका नाम कौशिकी पड़ा। उनके शरीर से काला रंग भी निकल गया था और मां का रंग पहले की तरह ही साफ हो गया। इसी वजह से माता पार्वती का नाम मां गौरी भी पड़ गया। नहाने के कुछ देर बाद मां की नजर शेर पर पड़ी। शेर को देखते ही उन्होंने भगवान शिव को याद किया और शेर के लिए भी वरदान मांगा

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माता पार्वती ने भगवान से कहा, “हे नाथ! यह शेर सालों से मुझे भोजन के रूप में ग्रहण करने के लिए इंतजार कर रहा था। मेरे पूरे तप के दौरान यह यहीं था। जितना तप मैंने किया है, उतनी ही तपस्या इसने भी की है। इसी वजह से अब वरदान के रूप में इस शेर को मेरी सवारी बना दीजिए। भगवान ने प्रसन्न होकर माता की बात मान ली और शेर को उनकी सवारी बना दिया। आशीर्वाद मिलने के बाद माता शेर पर सवार हो गईं और तभी से उनका नाम मां शेरावाली और दुर्गा पड़ गया

How did the lion become the vehicle of Maa Durga?

The story of the lion becoming the vehicle of Maa Durga begins when Goddess Parvati was trying to get Lord Shiva as her husband by doing severe penance. After doing penance for years, Bhole Bhandari adopts Mother Parvati as his wife. Meanwhile, due to penance, the complexion of Mother Parvati had turned very dark. One day during such a conversation, Lord Shiva called Mother Parvati Kali. She doesn't like this thing, she gets angry and goes to do penance again.

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After a day, while roaming around, a lion reached near Mother Parvati, who was doing great penance. He wandered there with the desire to eat them. Seeing the mother engrossed in penance, the lion also kept waiting there. Years passed while waiting for the Goddess. The lion could not reach Maa Parvati because of her sharpness. He used to try and when he failed, he would return and sit in the corner.

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Many years passed by. Pleased with the penance of the mother, Lord Shiva appeared and asked the mother to ask for the desired groom. Goddess Parvati wants her fair complexion back. God blessed and left from there. Mother Parvati went to bathe as soon as she got the boon.

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As soon as he took bath, another goddess was born from his body, whose name was Kaushiki. The black color had also gone out from his body and the mother's complexion became as clear as before. For this reason, the name of Mother Parvati was also known as Mother Gauri. After some time after the bath, the mother's eyes fell on the lion. On seeing the lion, he remembered Lord Shiva and asked for a boon for the lion as well.

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Mother Parvati said to God, “O Nath! This lion was waiting for years to have me as a meal. It was here during my entire penance. As much penance as I have done, he has also done the same penance. For this reason, now make this lion my ride as a boon. God was pleased and obeyed the mother and made the lion her ride. After getting the blessings, Mata rode on the lion and since then she got the name Maa Sherawali and Durga.

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